‘विशेष दर्जे'(Special Status) की गुत्थी: मोदी के लिए राजनीतिक जोखिम या सहयोगियों को खुश करना?
‘विशेष दर्जे'(Special Status) की गुत्थी: मोदी के लिए राजनीतिक जोखिम या सहयोगियों को खुश करना?
Authored By: ओम दत्त
Published On: Saturday, June 8, 2024
Updated On: Thursday, June 27, 2024
मोदी के महत्वपूर्ण सहयोगी जनता दल (यूनाईटेड) (JDU) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) लंबे समय से बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ने ही मोदी सरकार पर इस मुद्दे को लेकर दबाव बनाया है। विशेष दर्जे का मसला मोदी की नई पारी के लिए एक बड़ी कसौटी बन गया है।
Authored By: ओम दत्त
Updated On: Thursday, June 27, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी शपथ भी नहीं ली है कि नीतीश कुमार के बेहद करीबी और बिहार के मंत्री विजय चौधरी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर दी, जदयू के ही वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी बिहार को स्पेशल स्टेट्स देने की बात कही है। मोदी के महत्वपूर्ण सहयोगी जनता दल (यूनाईटेड) (JDU) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) लंबे समय से बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ने ही मोदी सरकार पर इस मुद्दे को लेकर दबाव बनाया है। मोदी को अब यह फैसला करना है कि वह अपने करीबी घरेलू सहयोगियों की मांग पूरी करें या संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ से बचें। विशेष दर्जे का मसला मोदी की नई पारी के लिए एक बड़ी कसौटी बन गया है।
बिहार और आंध्र में विशेष राज्य दर्जे की लंबी मांग
बिहार के लिए नीतीश कुमार की पुरानी मांग
- 2005 से ही विशेष राज्य का दर्जा मांगते आए है
- बिहार के प्रति भेदभाव का आरोप लगाया
गौरतलब है कि जब नीतीश विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे थे तो कहा था कि अगर 2024 में केंद्र में ग़ैर बीजेपी दलों की सरकार बनी तो बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
जेडीयू के नेताओं का तर्क है कि बिहार में संसाधन सीमित हैं, प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है इसलिए बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से केंद्रीय सहायता में वृद्धि होगी,करों में छूट मिलेगी तो बिहार का तेजी से विकास होगा।
आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की मांग
- 2014 में आंध्र विभाजन के बाद से मांग उठी
- राजस्व नुकसान के कारण विकास के लिए विशेष दर्जा की जरूरत
विभाजन होने से आंध्र प्रदेश को राजस्व का नुक़सान हुआ था इसलिये वहां का नेतृत्व चाहता था कि राज्य को विशेष दर्जा मिल जाए तो वहां विकास तेज गति से होगा। चंद्रबाबू नायडू ने 2017 में राज्य के लिए विशेष दर्जा देने की मांग उठाई थी।
विशेष राज्य का दर्जा क्या है?
विशेष श्रेणी का दर्जा यानी SCS किसी पिछड़े राज्य के लिये एक ऐसा दर्जा है जो उसकी विकास दर और पिछड़ेपन के आधार पर दिया जाता है। यह केंद्र द्वारा कुछ राज्यों को दिया गया एक वर्गीकरण है और यह वर्गीकरण 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों पर किया गया था।
- संविधान में प्रावधान नहीं, पांचवें वित्त आयोग (Finance Commission) की सिफारिश पर आधारित
- भौगोलिक (Geographical), सामाजिक (Social) और आर्थिक पिछड़ेपन (Economic Backwardness)के आधार पर विशेष सहायता
- कर और शुल्क में विशेष छूट के साथ विकास में मदद
फायदे और प्रावधान
केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 90% अनुदान, 10% कर्ज:
विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले फंड में 90 फीसदी अनुदान का होता है,जबकि सिर्फ 10 फीसदी कर्ज होता है, जिसपर राज्यों को ब्याज तक नहीं देना पड़ता है। अन्य राज्यों में केंद्र सरकार की योजनाओं में केंद्र सरकार 60 फ़ीसदी पैसा देती है और राज्य सरकार 40 फ़ीसदी।
- उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, आयकर, कॉर्पोरेट कर में छूट
- केंद्र के बजट से 30% धनराशि का आवंटन
- अप्रयुक्त फंड को अगले वित्त वर्ष में आगे ले जाने की छूट
दूसरे विशेष दर्जा प्राप्त राज्य
11 राज्यों को विशेष दर्जा – असम, नगालैंड, हिमाचल, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल
केंद्र नई मांगों पर विचार से इनकार कर चुका है
14वें वित्त आयोग ने विशेष दर्जा समाप्त किया:
14वें वित्त आयोग में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी राज्य को अब कोई विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि इससे केंद्रीय वित्त पर बोझ बढ़ता है। अप्रैल 2015 में 14वें वित्त आयोग ने विशेष श्रेणी और अन्य राज्यों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि 14वें एफसी ने कर हस्तांतरण की मात्रा को 10 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया।
राज्यों की कर आय हिस्सेदारी बढ़ाकर अंतर को कम किया गया:
कर आय में राज्यों की हिस्सेदारी में भारी वृद्धि के कारण, यह महसूस किया गया कि विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान करना अब उचित नहीं था।
तत्कालीन वित्त मंत्री ने नई मांगों को खारिज किया था:
तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री ने स्पष्ट कहा था कि केंद्र किसी भी राज्य के लिए “विशेष श्रेणी का दर्जा” की मांग पर विचार नहीं करेगा।
मोदी की नई चुनौती
NDA गठबंधन में JD(U) और TDP महत्वपूर्ण सहयोगी
- नीतीश और चंद्रबाबू की मांग पूरी करना होगी
- बदले हालातों में मोदी विशेष दर्जा देने पर विचार कर सकते हैं? (सूत्रों के अनुसार नीतीश फॉर्मूला भी पेश कर चुके हैं)
- लेकिन सीमित संसाधनों की चुनौती बनी रहेगी
इस तरह मोदी की तीसरी पारी में उनके महत्वपूर्ण सहयोगियों की एक पुरानी लेकिन कठिन मांग एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। बिहार और आंध्र को विशेष राज्य दर्जा देना संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाएगा। क्या मोदी अपने घरेलू भागीदारों की मांग पूरी करने का रास्ता निकाल पाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
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