गुरुग्राम की मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़, हिमांशु ने पिथौरागढ़ में स्थापित किया चाय स्टार्टअप

गुरुग्राम की मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़, हिमांशु ने पिथौरागढ़ में स्थापित किया चाय स्टार्टअप

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Friday, November 29, 2024

himanshu chai startup story
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उत्तराखंड के पर्वतीय वादियों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से प्रेरित होकर पिथौरागढ़ के हिमांशु जोशी ने गुरुग्राम की मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ चाय का स्टार्ट अप 'प्राइड ऑफ हिमालया' शुरू किया। इसके जरिये उन्होंने न सिर्फ पहाड़ी किसानों को स्वरोजगार के नए रास्ते दिखाए हैं, बल्कि राज्य के जैविक उत्पादों को दुनियाभर में पहचान दिलाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाई है। आज उनका ब्रांड न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है, बल्कि एक उदाहरण बन गया है।

नौकरी छोड़कर उद्यमिता में उतरने के हिमांशु के इस साहसिक कदम में उत्तराखंड सरकार की मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना, ग्रामोत्थान योजना और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इन योजनाओं के माध्यम से उन्होंने पहाड़ी किसानों की मदद से जैविक उत्पादों को नया जीवन देने का निर्णय लिया। वे कहते हैं, ‘प्राइड ऑफ हिमालया’ सिर्फ एक व्यापार नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की दिशा में उठाया गया कदम है। हमारी कंपनी का उद्देश्य उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पादों को आधुनिक तकनीक और विपणन के जरिए बढ़ावा देना है। हम स्थानीय चाय के अलग-अलग फ्लेवर्स तैयार करने के अलावा मोटे अनाजों, जैसे जौ, मडुआ, तिल आदि को मिलाकर स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट मिठाइयों का निर्माण भी करते हैं।‘

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रखने की योजना

आज ‘प्राइड ऑफ हिमालया’ ब्रांड के चाय 50 से अधिक फ्लेवरों में उपलब्ध हैं। जैसे फ्लेवर्ड ग्रीन टी, हर्बल टी, मसाला चाय, औषधीय चाय, आइस टी आदि। इन सबने कंपनी को न केवल उत्तराखंड, बल्कि देशभर में पहचान दिलाई है। इस समय राज्य के चार जिलों- पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली और चंपावत में लगभग 600 किसानों का नेटवर्क तैयार हो चुका है। इनके उत्पाद प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, मीशो और टाटा 1mg पर उपलब्ध हैं, जिससे इनकी उपस्थिति देशभर में हो चुकी है। इसके वितरक नेटवर्क के माध्यम से यह उत्पाद ऑफलाइन भी प्रमुख शहरों में पहुंचा रहे हैं।

अब हिमांशु जोशी और उनकी टीम का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाना है। वे बताते हैं, ‘ हम जल्द ही ‘प्राइड ऑफ हिमालया’ के उत्पाद अमेरिकी बाजार में भी लॉच करेंगे। यही नहीं, यह ब्रांड ‘अमेजन लॉन्च पैड साझेदारी’ से भी जुड़ा हुआ है, जो एक बड़ा सम्मान है।

बिजनेस के साथ पर्यावरण का रखते हैं खयाल

हिमांशु जोशी का मानना है कि व्यापार केवल मुनाफा कमाने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का भी एक रास्ता है। वे हर साल अपने प्लास्टिक और कार्बन पदचिह्न का मूल्यांकन करते हैं और इसे घटाने के लिए कदम उठाते हैं। कंपनी ने प्लास्टिक रीसाइक्लिंग, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता में निवेश करने की दिशा में कई पहल शुरू की है। बताते हैं, ‘हम सस्टेनेबल डेवलपमेंट में विश्वास करते हैं। हमारे किसान कुछ इस तरह काम करते हैं कि उनकी जमीन भावी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित रहती है।‘

किसानों-बच्चों के जीवन में लाया बदलाव

बहुत कम उद्यमी होते हैं, जो कंपनी के राजस्व का हिस्सा किसानों के साथ साझा करते हैं। लेकिन हिमांशु ने ऐसा कर दिखाया है। यह राशि सीमांत किसानों के बच्चों की शिक्षा पर खर्च की जाती है, ताकि उन्हें एक उज्जवल भविष्य मिल सके। किसानों की आजीविका में भी सुधार आया है। इस तरह हिमांशु जोशी की सफलता की ये कहानी केवल एक बिजनेस मॉडल नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है। ‘प्राइड ऑफ हिमालया’ ने न केवल पिथौरागढ़ के किसानों के जीवन में एक नई उम्मीद जगाई है। यह ब्रांड उत्तराखंड के विकास का प्रतीक बन चुका है, जो स्वरोजगार से स्वावलंबन की ओर बढ़ते हुए न केवल पहाड़ी क्षेत्रों, बल्कि पूरी दुनिया को दिखा रहा है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो किसी भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है।

(हिन्दुस्तान समाचार के इनपुट्स के साथ)

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।

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