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विलायती सियासत में दामाद बाबू
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Published On: Tuesday, November 19, 2024
Last Updated On: Tuesday, November 19, 2024
अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन में मस्क के साथ शामिल विवेक रामास्वामी भारत के दामाद हैं। उनका नाम चर्चा में आने के बाद हर कोई उनके बारे में अधिक जानना चाहता है। उनके पहले भारत के एक और दामाद ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनकर चर्चा बटोर चुके हैं। आइए जानते हैं विदेश में अपना सिक्का जमाने वाले भारत के इन चर्चित दामादों के बारे में...
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Last Updated On: Tuesday, November 19, 2024
हाइलाइट्स
- विवेक रामास्वामी यूं तो अमेरिकी धरती पर ही पैदा हुए हैं, पले-बढ़े हैं…लेकिन जड़ें भारत से जुड़ी हैं।
- इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति और सुधा मूर्ति के दामाद सुनक अब वैश्विक राजनीति का परिचित नाम हैं।
विलायत…आज से कुछ दशक पहले तक भारत में यह शब्द खासा लोकप्रिय था। विदेश के लिए प्रयुक्त होने वाली इस संज्ञा को फिल्मों से लेकर गली-मोहल्ले तक खूब सुना-कहा जाता था। अरे वो तो विलायत से आए हैं…अरे वो तो विलायत जा रहे हैं…उसने विलायत से पढ़ाई की है…जैसे वाक्य प्रायः फिल्मों और असल जिंदगी में सुनने-पढ़ने को मिल जाते थे। आजकल विलायत फिर चर्चा में है और इसका कारण है भारतीय मूल के दामाद बाबू…जो वहां की सियासत में खूब रंग जमा रहे हैं। एक हैं विवेक रामास्वामी (Vivek Ramaswamy) और दूसरे ऋषि सुनक (Rishi Sunak)। दोनों ही युवा, दोनों की ही ससुराल भारत में, दोनों ही मेधावी छात्र रहे हैं और दोनों ही इन्वेस्टमेंट सेक्टर का बड़ा नाम रहे हैं और आज अमेरिका व ग्रेट ब्रिटेन की सियासत में भी बड़ा नाम हैं। जरा मिलिए विलायत की सियासत में जलवा बिखेर रहे इन दामाद बाबुओं सें…
ताजा नाम है विवेक रामास्वामी का। अपनी ही तरह की राजनीति करने वाले नए अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) की कैबिनेट के सदस्य होंगे विवेक बाबू। विभाग भी इस तरह का, जो नौकरशाही के कामकाज के तौर-तरीके दुरुस्त करने के साथ प्रशासनिक कार्यप्रणाली को भी चाकचौबंद करेगा-डिपार्टमेंट आफ गवर्नमेंट इफिशिएंसी। विवेक रामास्वामी यूं तो अमेरिकी धरती पर ही पैदा हुए हैं, पले-बढ़े हैं…लेकिन जड़ें भारत से जुड़ी हैं। 39 साल के विवेक गणपति रामास्वामी के माता-पिता बहुत पहले अमेरिका में बस गए थे। पिता वी गणपति रामास्वामी अमेरिका में इंजीनियर रहे हैं व मां गीता रामास्वामी। विवेक बचपन से ही परिवार के साथ अक्सर मंदिर जाते थे। गर्मियों में माता-पिता के साथ भारत की यात्रा भी खूब करते थे। दक्षिण भारत से संबंध रखने वाला यह परिवार भारत से एक और रिश्ता भी कायम कर चुका है। विवेक की पत्नी अपूर्वा तिवारी कानपुर शहर से हैं। वहीं पैदा हुईं और शुरुआती पढ़ाई भी वहीं की।
अपूर्वा के पिता आशुतोष तिवारी आज अमेरिका के नामचीन डाक्टर हैं और यूरोलाजी से जुड़ी सर्जरी का बड़ा नाम हैं। डा. आशुतोष ने भारत से ही मेडिकल की पढ़ाई पूरी की और कानपुर में ही उनकी शादी हुई यानी विवेक रामास्वामी की सास भी कानपुर की ही हैं। पढ़ने में मेधावी रहे विवेक हाईस्कूल तक टेनिस के नेशनल लेवल के खिलाड़ी भी रहे हैं। हार्वर्ड में पढ़े रामास्वामी ने बायोलाजी में स्नातक किया और शायद यही कारण है कि बाद में उन्होंने एक बायोटेक कंपनी भी खोली। हार्वर्ड के अलावा उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई भी की है। येल में ही उनकी मुलाकात अपूर्वा से हुई और दोनों ने विवाह का फैसला लिया। विवेक ने पढ़ाई के बाद एक हेज फंड में काम किया। इन्वेस्टमेंट सेक्टर में उनका बड़ा नाम रहा और उन्होंने अच्छी संपत्ति भी अर्जित की।
सियासत की बात करें तो भले ही नेशनल लेवल पर वह बीते कुछ समय से एक्टिव हुए हैं, लेकिन हार्वर्ड के दिनों से ही उनकी रुचि इसमें बनने लगी थी। वह हार्वर्ड पालिटिकल यूनियन के सदस्य रहे थे। कहा तो यह भी जाता है कि येल में पढ़ने के दौरान वह आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके थे। पढ़ाई के दिनों में डिबेट के शौकीन रहे विवेक ने हेज फंड के बाद अपनी कंपनी रोवियांट साइंस एंड सब्सिडियरी बनाई। एक वेबसाइट पर विवेक का बायो कहता है कि उन्होंने 2004 में लिबरटेरियन पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट किया था, लेकिन इसके बाद के कई प्रेसीडेंट इलेक्शन से दूर ही रहे। फिर 2020 में ट्रंप के लिए वोट किया और तबसे लगातार राजनीति में सक्रिय हैं। इस साल के आरंभ में रिपब्लिकन पार्टी से प्रेसीडेंट उम्मीदवार के रूप में भी प्रयास किया, बाद में पीछे हटे, ट्रंप प्रेसीडेंट बने और अब विवेक उनके सबसे अहम विभागों में से एक की जिम्मेदारी एलन मस्क के साथ संभालेंगे।
अब थोड़ा दूसरे दामाद बाबू की भी चर्चा हो जाए। ऋषि सुनक भी भारतीय मूल के हैं जिनके माता-पिता ईस्ट अफ्रीका से ग्रेट ब्रिटेन पहुंचे थे। वह भी विवेक की तरह ही पढ़ने में मेधावी रहे और आक्सफोर्ड व स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। ऋषि ने फुलब्राइट स्कालरशिप भी प्राप्त की। इन्वेस्टमेंट बैंकर रहे। गोल्डमैन सैश के साथ काम किया। हेज फंड से जुड़े। 2015 में राजनीति में आए और कंजरवेटिव पार्टी ज्वाइन की। बैकबेंचर रहे लेकिन प्रतिभा थी सो 2019 में थेरेसा मे ने मंत्री जूनियर बनाया। अगले ही साल वह सीनियर मंत्री बने और कोविड 19 के दौर में अपनी नीतियों के कारण खासे लोकप्रिय रहे। बोरिस जानसन के ब्रिटेन के पीएम पद से इस्तीफे के बाद सुनक कंजर्वेटिव पार्टी में पीएम पद के लिए आगे बढ़े लेकिन लिज ट्रस से पीछे रह गए। खैर, हार नहीं मानी और ट्रस के इस्तीफे के बाद 42 साल की उम्र में ब्रिटेन के सबसे युवा पीए रहे। करीब दो साल के कार्यकाल में छाप भी छोड़ी। इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति और सुधा मूर्ति के दामाद सुनक अब वैश्विक राजनीति का परिचित नाम हैं। एक और दामाद बाबू ने मजबूत पहचान बनाई है।