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पृथ्वी दिवस 2025: जाने क्यों मनाते हैं 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस और क्या हैं इसका पर्यावरणीय महत्व?
पृथ्वी दिवस 2025: जाने क्यों मनाते हैं 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस और क्या हैं इसका पर्यावरणीय महत्व?
Authored By: Nishant Singh
Published On: Monday, April 21, 2025
Updated On: Monday, April 21, 2025
पृथ्वी दिवस 2025 (Earth Day 2025) पर जानिए क्यों हर साल 22 अप्रैल को पूरी दुनिया मिलकर इस विशेष दिन को मनाती है. यह दिन न केवल हमारी धरती की रक्षा के संकल्प का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के प्रति जागरूकता फैलाने का भी एक वैश्विक प्रयास है. आइए, जानते हैं पृथ्वी दिवस का इतिहास, इसका पर्यावरणीय महत्व और यह कैसे हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है.
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Monday, April 21, 2025
जब धरती सांस लेती है, तो हम ज़िंदा रहते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम उसे कितनी बार थामे बिना छोड़ देते हैं? 22 अप्रैल 2025 को जब हम ‘पृथ्वी दिवस’ मनाएंगे, तो ज़रा रुककर यह भी सोचें — क्या वाकई हम इस धरती के साथ कोई रिश्ता निभा रहे हैं, या बस उससे लेते जा रहे हैं? हर साल की तरह पोस्टर बनेंगे, भाषण होंगे, पेड़ लगाए जाएंगे, लेकिन असली सवाल यह है: क्या हमारी ज़िंदगी में कोई बदलाव आएगा? पृथ्वी दिवस केवल एक तारीख नहीं, एक याद है — कि यह नीला ग्रह हमें सिर्फ रहने के लिए नहीं मिला, बल्कि इसे संवारना भी हमारी ज़िम्मेदारी है.
धरती कोई चीज़ नहीं, वो एक एहसास है — हमारे बचपन की बारिश, धूप में तपता आंगन, और वो हवा जो बिना कहे हमें गले लगाती है. Earth Day 2025 सिर्फ पर्यावरण के बारे में नहीं है, यह इंसान और प्रकृति के टूटते रिश्ते को फिर से जोड़ने की पुकार है. अब वक्त है कि हम सिर्फ़ ‘Green Earth’ के नारे न लगाएँ, बल्कि उसके लिए जीना शुरू करें. क्योंकि अगर धरती रहेगी, तभी हम रहेंगे — और अगर हम बदलें, तभी धरती बचेगी.
पृथ्वी दिवस: एक तारीख़ नहीं, एक ताज़ा शुरुआत
22 अप्रैल — ये सिर्फ कैलेंडर की एक तारीख़ नहीं, बल्कि हमारी धरती के लिए प्यार जताने का दिन है. पृथ्वी दिवस हर साल हमें ये याद दिलाने आता है कि हम जिस ज़मीन पर चलते हैं, जिस हवा में साँस लेते हैं, और जिस पानी से ज़िंदा हैं — वो सब कुछ अनमोल है. इसकी शुरुआत 1970 में अमेरिका से हुई थी, जब लाखों लोगों ने पर्यावरण की बिगड़ती हालत को लेकर सड़कों पर आवाज़ उठाई. उस दिन लोगों ने सिर्फ धरती की बात नहीं की, बल्कि उसे महसूस किया.
अब ये एक दिन नहीं रहा, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है. आज, पृथ्वी दिवस 190 से ज़्यादा देशों में मनाया जाता है — स्कूलों, कॉलेजों, पार्कों और सोशल मीडिया पर. लोग नारे लगाते हैं, पेड़ लगाते हैं, और कई बार खुद से भी सवाल पूछते हैं: क्या मैं वाकई इस धरती का ख्याल रख रहा हूँ? पृथ्वी दिवस दरअसल एक दर्पण है — जिसमें हम खुद को, अपने कर्मों को और इस सुंदर ग्रह के साथ अपने रिश्ते को देख सकते हैं.
एक बीज जो बदलाव बन गया: पृथ्वी दिवस की कहानी

कभी-कभी एक छोटी सी चिनगारी पूरी दुनिया को रोशनी दे सकती है. साल था 1970, जगह थी अमेरिका — जब लोगों ने पहली बार धरती के दर्द को अपनी आवाज़ दी. पर्यावरणीय तबाही, फैक्ट्रियों से फैलता ज़हर, और नदियों में बहता प्लास्टिक… इन सबने एक सवाल खड़ा किया: “क्या हम अपनी ही धरती को मार रहे हैं?” उसी सवाल ने जन्म दिया Earth Day को. अमेरिकी सीनेटर गेइलॉर्ड नेल्सन ने इसे एक आंदोलन की शक्ल दी, और करीब 2 करोड़ लोग एक साथ उठ खड़े हुए — नारे नहीं, बदलाव के साथ.
पहला पृथ्वी दिवस इतिहास बन गया. लेकिन उसकी गूंज आज भी सुनाई देती है — जब स्कूलों में बच्चे पौधे लगाते हैं, जब सोशल मीडिया पर #EarthDay ट्रेंड करता है, या जब कोई इंसान प्लास्टिक की बोतल की जगह स्टील की बोतल थामता है. समय के साथ ये आंदोलन सीमाओं से परे हो गया — अब ये हर देश, हर उम्र, और हर सोच से जुड़ चुका है. पृथ्वी दिवस का इतिहास सिर्फ तारीख़ों का सिलसिला नहीं, बल्कि चेतना की वो लहर है जो आज भी हमें झकझोर रही है.
हमारी शक्ति, हमारा ग्रह: एक साझा जिम्मेदारी
पृथ्वी दिवस 2025 की थीम “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” हमें याद दिलाती है कि हर व्यक्ति के पास अपने ग्रह को बचाने की अनमोल शक्ति है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि छोटे-छोटे बदलावों से हम पर्यावरण को सहेजने में कितना बड़ा योगदान दे सकते हैं। चाहे वह प्लास्टिक का उपयोग कम करना हो, जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपायों पर ध्यान देना हो, या हरित ऊर्जा के विकल्पों को अपनाना हो, हर कदम महत्वपूर्ण है। इस दिन का संदेश यह है कि हमें न केवल अपने व्यक्तिगत कार्यों को सुधारने की आवश्यकता है, बल्कि सामूहिक रूप से यह समझने की जरूरत है कि हमारा ग्रह केवल हमारी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हमारे बच्चों और भविष्य पीढ़ियों के लिए भी है।
“हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” के माध्यम से, हम यह महसूस करते हैं कि पर्यावरण की रक्षा करने के लिए हम सबकी साझेदारी जरूरी है। अगर हम अपनी शक्ति का सही दिशा में उपयोग करें, तो हम धरती को फिर से हरा-भरा और सुरक्षित बना सकते हैं। यह दिन न केवल हमें यह सिखाता है कि हम छोटे कार्यों से भी बड़े बदलाव ला सकते हैं, बल्कि यह भी बताता है कि हम सब मिलकर एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण की ओर अग्रसर हो सकते हैं। आज का यह कदम हमारे कल के सुरक्षित और समृद्ध ग्रह की नींव रखेगा।
पृथ्वी दिवस: सिर्फ एक दिन नहीं, एक दिशा
पृथ्वी दिवस का असली मकसद सिर्फ एक दिन हरियाली की बातें करना नहीं है, बल्कि लोगों के दिलों में जागरूकता का एक बीज बोना है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि धरती हमारी नहीं, हम धरती के हैं. पर्यावरण की बिगड़ती हालत, जलवायु परिवर्तन का खतरा, बर्फ की पिघलती चोटियाँ और खत्म होते जंगल — ये सब सिर्फ़ अख़बार की हेडलाइन नहीं हैं, बल्कि हमारे आने वाले कल की कहानी हैं. Earth Day का उद्देश्य है, इन कहानियों को रोकना… और एक नई शुरुआत करना.
कुछ मुख्य उद्देश्य जो पृथ्वी दिवस हमें सिखाता है:
- प्रकृति का सम्मान और उसका संरक्षण करना
- प्लास्टिक, धुएं और कचरे से धरती को मुक्त करना
- जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से समझना
- अगली पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना
- छोटे-छोटे कदमों से बड़ा बदलाव लाना
तो अगली बार जब आप किसी टूटे हुए पौधे को देखो या गंदा बहता नाला पार करो, तो सिर्फ मुंह न फेरो — कुछ सोचो, कुछ करो. क्योंकि Earth Day सिर्फ जश्न नहीं, एक ज़िम्मेदारी है.

वर्तमान समय में पर्यावरण की स्थिति, धरती की साँसें उखड़ रही हैं — क्या हम सुन रहे हैं?
अगर धरती बोल सकती, तो शायद आज वो हमसे मदद मांग रही होती. जंगल चुपचाप कट रहे हैं, नदियाँ ज़हर से भर रही हैं, और आसमान अब नीला कम, धुंधला ज़्यादा दिखता है. आज की तारीख़ में पृथ्वी बीमार है — और उस बीमारी के असली डॉक्टर हम ही हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल करीब 1.2 ट्रिलियन टन ग्लेशियर बर्फ पिघल रही है, और दुनिया के 90% शहर वायु प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. भारत के कई बड़े शहर, जैसे दिल्ली और कानपुर, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में हैं.
पर्यावरण की मौजूदा हालत पर एक नज़र:
- वायु प्रदूषण से हर साल लाखों लोगों की समय से पहले मृत्यु
- तापमान में लगातार बढ़ोतरी, जिससे गर्मी की लहरें और सूखा बढ़ रहा
- हर मिनट एक फुटबॉल मैदान जितना जंगल कट रहा है
- समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों पर संकट
- जैव विविधता घट रही है, कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर
ये सिर्फ आँकड़े नहीं हैं, ये हमारे भविष्य की कहानी है — जिसे हम अभी बदल सकते हैं. पर्यावरण की हालत कोई दूर की खबर नहीं, ये हमारे आस-पास घट रही सच्चाई है. अब सवाल ये नहीं कि बदलाव कब आएगा… सवाल ये है कि क्या हम खुद वो बदलाव बनने को तैयार हैं?
धरती को बचाने के लिए रॉकेट साइंस नहीं, बस थोड़ा सा दिल चाहिए
कई लोग सोचते हैं कि पर्यावरण की रक्षा करना सरकार या वैज्ञानिकों का काम है, लेकिन सच्चाई ये है कि हर छोटा कदम, बड़ा बदलाव ला सकता है. क्या आपने कभी प्लास्टिक की जगह कपड़े का थैला उठाया? क्या आप रोज़ थोड़ा पानी बचाते हैं? अगर हाँ, तो आप पहले से ही एक ‘Earth Hero’ हैं. धरती को बचाने के लिए सुपरपावर की नहीं, सुपर-सोच की ज़रूरत है — और वो हम सबके पास है.
हम क्या कर सकते हैं? कुछ आसान लेकिन असरदार कदम:
- प्लास्टिक का उपयोग कम करें और रीयूजेबल चीज़ें अपनाएं
- हर साल कम से कम एक पेड़ ज़रूर लगाएं
- नल बंद रखें, टपकते पानी को रोकें
- छोटी दूरी पर बाइक या पैदल जाएं, कार का उपयोग सोच-समझकर करें
- कचरे को सही तरीके से अलग करें — गीला और सूखा
- दूसरों को भी जागरूक करें — एक सोच कई सोचों को जन्म देती है
हम सब मिलकर अगर थोड़ा-थोड़ा भी करें, तो ये धरती फिर से मुस्कुराना शुरू कर सकती है. याद रखिए — ये धरती हमारी नहीं, हमारी अगली पीढ़ियों की भी है… और उन्हें हम क्या सौंप रहे हैं, ये आज हम तय करते हैं.
धरती का जश्न: पृथ्वी दिवस कैसे मनाया जाता है?
पृथ्वी दिवस अब सिर्फ एक कैलेंडर इवेंट नहीं रहा — ये एक प्यारी आदत बनता जा रहा है. भारत से लेकर अमेरिका, जापान से लेकर अफ्रीका तक, हर कोना अपने-अपने अंदाज़ में धरती को सेलिब्रेट करता है. स्कूलों में बच्चे रंग-बिरंगे पोस्टर बनाते हैं, “Save Earth” के नारे लगते हैं, और छोटे-छोटे हाथ पेड़ लगाकर बड़ी बातें कह जाते हैं. कॉलेजों में रैलियाँ निकलती हैं, सोशल मीडिया पर #EarthDay2025 ट्रेंड करता है और लोग अपनी ग्रीन फोटो या ग्रीन एक्टिविटी शेयर करते हैं.
कैसे मनाया जाता है पृथ्वी दिवस? कुछ शानदार तरीक़े:
- स्कूलों और संस्थानों में वृक्षारोपण कार्यक्रम
- जागरूकता रैलियाँ और नुक्कड़ नाटक
- Reuse–Recycle वर्कशॉप्स और DIY एक्टिविटीज
- सोशल मीडिया अभियानों के ज़रिए लोगों को जोड़ना
- सेमिनार, वेबिनार और पर्यावरण पर क्विज़ या प्रतियोगिताएँ
- कुछ लोग इस दिन प्रकृति के पास जाकर ‘Eco Therapy’ का भी आनंद लेते हैं
ये दिन हमें याद दिलाता है कि धरती को बचाने के लिए एक दिन काफी नहीं, पर एक दिन से शुरुआत हो सकती है. और यही शुरुआत हर साल थोड़ी और हरी, थोड़ी और हल्की सांसों वाली होती जा रही है.
कल की धरती, आज के हाथों में है
हम जिस धरती पर आज चल रहे हैं, वो हमें विरासत में मिली थी — लेकिन हम इसे उधार ली गई चीज़ की तरह बर्बाद कर रहे हैं. क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे बाद आने वाली पीढ़ियाँ किस तरह की हवा में सांस लेंगी? क्या वे भी पक्षियों की चहचहाहट सुन पाएंगी, या सिर्फ रेकॉर्डिंग में? पृथ्वी को बचाना कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं है, ये हर रोज़ के छोटे फैसलों की कहानी है. और यही फैसले तय करेंगे कि कल का आसमान कैसा होगा.
भविष्य के लिए हम क्या कर सकते हैं?
- बच्चों में प्रकृति के प्रति प्यार और आदतें आज से ही विकसित करें
- Earth Day को सिर्फ एक दिन न मानें — इसे हर दिन जीएं
- हर पीढ़ी को यह समझाना कि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ हमें नेचर-सेंस भी चाहिए
- पर्यावरण से जुड़ी गलतियों पर चुप न रहें — आवाज़ बनें
- सामूहिक प्रयासों में भाग लें — अकेले नहीं, साथ चलें
याद रखिए, हम सिर्फ इस धरती पर जी नहीं रहे… हम इसका भविष्य भी लिख रहे हैं. और अगर हम चाहते हैं कि यह ग्रह आने वाली नस्लों के लिए भी नीला और हरा बना रहे — तो बदलाव आज, अभी और यहीं से शुरू होगा.