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40 वर्ष बाद खुल रहा है जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, क्यों वर्षों तक बंद रखा गया भगवान का खजाना
40 वर्ष बाद खुल रहा है जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, क्यों वर्षों तक बंद रखा गया भगवान का खजाना
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, July 10, 2024
Updated On: Monday, January 20, 2025
लगभग 40 वर्ष बाद भक्तों और आम जनता की मांग पर 14 जुलाई को पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोला जाएगा। सभी के आकर्षण के केंद्र रत्न भंडार में तीनों भाई-बहन श्रीजगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के आभूषण सहेज कर रखे जाते हैं। आइये जानते हैं कैसा होता है प्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार और इतने वर्ष बाद क्यों खुल रहा है?
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, January 20, 2025
ओडिशा (Odisha) के पुरी में श्रीजगन्नाथ रथयात्रा शुरू हो चुकी है। देश-विदेश से आकर भक्तगण इस यात्रा से खुद को जोड़ने लगे हैं। इस साल भक्तों के बीच दोगुना उत्साह देखा जा रहा है। दरअसल, 14 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर का खजाना रत्न भंडार खोला जा रहा है। इसमें तीनों देवों श्रीजगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के आभूषण और अन्य कीमती सामान रखे जाते हैं। मंदिर के खजाने वाले कमरे यानी रत्न भंडार को चार दशकों से नहीं खोला गया है।
कैसा होता है जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) का रत्न भंडार
समय-समय पर भक्त और पहले के राजा भाई-बहन भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को बहुमूल्य आभूषण, हीरे-जवाहरात, कीमती पत्थर, और सोना चांदी प्रदान करते रहे हैं। ये आभूषण 12वीं शताब्दी में तैयार जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में संग्रहित किया जाता रहा है। मंदिर परिसर के भीतर यह स्थान अपनी उत्तरी दीवार के माध्यम से मुख्य मंदिर से जुड़ा हुआ है।
नहीं खोला जाता है आंतरिक कक्ष
अध्यात्म के ज्ञाता और जगन्नाथपूरी की यात्रा कर चुके डॉ. राजीव व्यास बताते हैं, ‘ रत्न भंडार में दो कक्ष होते हैं: भीतर भंडार (आंतरिक कक्ष) और बाहरी भंडार (बाहरी कक्ष)।
महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और त्योहारों के दौरान देवताओं के लिए आभूषण लेने के लिए बाहरी कक्ष नियमित रूप से खोला जाता रहा है। 40 साल से भी अधिक समय से आंतरिक कक्ष नहीं खोला गया है।
मंदिर के अभिलेखों के अनुसार, मंदिर के रत्न भंडार में कुल 454 सोने की वस्तुएं हैं, जिनका शुद्ध वजन 12,838 भरी (128.38 किलोग्राम) है और 293 चांदी की वस्तुएं हैं, जिनका वजन 22,153 भरी (221.53 किलोग्राम) है।
अंतिम बार कब खुला था भंडार
डॉ. राजीव व्यास बताते हैं, ‘ अंतिम बार रत्न भंडार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था और रत्नों की सूची भी आख़िरी बार उसी समय बनाई गई थी। सुरक्षा कारणों से रत्न भंडार को बंद कर दिया गया था। रत्न भंडार खोलने के लिए ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई। समिति के अनुसार, 14 जुलाई को रत्न भंडार खोलने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है। यह वह अवधि है जब देवता मौसी मां मंदिर में होते हैं। इस दौरान मुख्य मंदिर के अंदर कोई दैनिक अनुष्ठान नहीं होता है।
संरक्षित हो पाएगी सांस्कृतिक विरासत
रिकॉर्ड से पता चलता है कि मौजूदा चाबी से आंतरिक कक्ष नहीं खुल सकता है। आंतरिक कक्ष को दशकों से नहीं खोला गया है, इसलिए ताला जंग खा सकता है। ताला को तोड़ने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया भी अपनाई जा सकती है। यदि 14 जुलाई को रत्न भंडार खुल जाता है, तो रत्न भंडार की सूची बनाकर और उसकी मरम्मत की जायेगी। इस कार्य से मंदिर की संपत्ति के बारे में लंबे समय से चली आ रही सार्वजनिक चिंताओं का समाधान हो सकेगा। इससे सांस्कृतिक विरासत संरक्षित हो पाएगी। यह पुरी जगन्नाथ मंदिर के खजाने की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।