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46 वर्ष बाद खुला पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, क्यों वर्षों तक बंद रखा गया भगवान का खजाना
46 वर्ष बाद खुला पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, क्यों वर्षों तक बंद रखा गया भगवान का खजाना
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, July 15, 2024
Updated On: Monday, January 20, 2025
लगभग 46 वर्ष बाद भक्तों और आम जनता की मांग पर रविवार 14 जुलाई को पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोल दिया गया। सभी के आकर्षण के केंद्र रत्न भंडार में तीनों भाई-बहन श्रीजगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के आभूषण सहेज कर रखे जाते हैं। आइये जानते हैं कैसा होता है प्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार और इतने वर्ष तक क्यों बंद रखा गया?
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, January 20, 2025
ओडिशा के पुरी में हर वर्ष की तरह इस साल भी श्रीजगन्नाथ रथयात्रा हो रही है। देश-विदेश से आकर भक्तगण इस यात्रा में शामिल हुए हैं। इस साल भक्तों के बीच दोगुना उत्साह देखा जा रहा है। दरअसल, 46 वर्षों के बाद 14 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर का खजाना रत्न भंडार खोला गया है। इससे पहले 1978 को इसे खोला गया था। इसमें तीनों देवों श्रीजगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के आभूषण और अन्य कीमती सामान रखे जाते हैं।
कैसा होता है जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) का रत्न भंडार
समय-समय पर भक्त और पहले के राजा भाई-बहन भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को बहुमूल्य आभूषण, हीरे-जवाहरात, कीमती पत्थर, और सोना चांदी प्रदान करते रहे हैं। ये आभूषण 12वीं शताब्दी में तैयार जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में संग्रहित किए जाते हैं। मंदिर परिसर के भीतर यह स्थान अपनी उत्तरी दीवार के माध्यम से मुख्य मंदिर से जुड़ा हुआ है।यह मंदिर के तलघर में है।
नहीं खोला जाता है आंतरिक कक्ष
अध्यात्म के ज्ञाता और जगन्नाथपूरी की यात्रा कर चुके डॉ. राजीव व्यास बताते हैं, ‘ रत्न भंडार में दो कक्ष होते हैं: भीतर भंडार (आंतरिक कक्ष) और बाहरी भंडार (बाहरी कक्ष)।
महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और त्योहारों के दौरान देवताओं के लिए आभूषण लेने के लिए बाहरी कक्ष नियमित रूप से खोला जाता रहा है। 46 सालों से आंतरिक कक्ष नहीं खोला गया है।
मंदिर के पुरानी सूची के अनुसार, मंदिर के रत्न भंडार में अब तक कुल 454 सोने की वस्तुएं जमा हैं, जिनका शुद्ध वजन 12,838 भरी (128.38 किलोग्राम) है और 293 चांदी की वस्तुएं हैं, जिनका वजन 22,153 भरी (221.53 किलोग्राम) है। मूलयवान वस्तुओं की सूची बनाने का काम विशेषज्ञों और सोने का व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों द्वारा होता है।
अंतिम बार कब खुला था भंडार
डॉ. राजीव व्यास बताते हैं, ‘ अंतिम बार रत्न भंडार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था। इससे पहले 1926 में खोला गया था। और रत्नों की सूची भी आख़िरी बार उसी समय बनाई गई थी। सुरक्षा कारणों से रत्न भंडार को बंद कर दिया गया था। रत्न भंडार खोलने के लिए ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में 11 सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई। समिति के अनुसार 14 जुलाई को रत्न भंडार खोलने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है। यह वह अवधि है जब देवता मौसी मां मंदिर में होते हैं। इस दौरान मुख्य मंदिर के अंदर कोई दैनिक अनुष्ठान नहीं होता है। जब रत्न भंडार खोला गया, उस समय समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे। सभी सदस्य धोती और गमछा धारण किये हुए थे। सभी सदस्यों ने पहले पूजा की फिर भगवान जगन्नाथ का जयघोष करते हुए अंदर गए। सबसे पहले बाहरी कक्ष खोला गया। यहां रखे आभूषण और अन्य मूलयवान सामान को मंदिर परिसर में ही बनाये गए अस्थाई स्ट्रांग रूम के 6 बक्सों में रखा गया। आंतरिक कक्ष के 3 तालों को पूर्व में लिए निर्णय के अनुसार, नहीं खुलने पर तोड़ दिया गया। आंतरिक कक्ष को दशकों से नहीं खोला गया है, इसलिए ताला जंग खा सकता है।
संरक्षित हो पाएगी सांस्कृतिक विरासत
रत्न भंडार खुल गया है, इसलिए रत्न भंडार की सूची बनाकर और उसकी मरम्मत की जायेगी। रत्न भंडार के कक्षों की मरम्मत के बाद सामान वापस लाया जायेगा और फिर उनकी गिनती भी की जाएगी। इस कार्य से मंदिर की संपत्ति के बारे में लंबे समय से चली आ रही सार्वजनिक चिंताओं का समाधान हो जाएगा। इससे सांस्कृतिक विरासत संरक्षित भी हो पाएगी।
मंगलवार को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा गुंडिचा मंदिर से मुख्य मंदिर आ जाएंगे। इसके साथ ही रथयात्रा का समापन हो जायेगा और भक्त फिर एक साल तक तीनों भाई-बहनों की रथ यात्रा का इंतज़ार शुरू कर देंगे।