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Char Dham Yatra 2025 : 2 मार्च से शुरू हो जाएगा ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
Char Dham Yatra 2025 : 2 मार्च से शुरू हो जाएगा ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, February 6, 2025
Updated On: Thursday, February 6, 2025
Char Dham Yatra 2025 : इस वर्ष चार धाम यात्रा 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर शुरू हो जाएगी. यमुनोत्री, गंगोत्री के कपाट खुलने के साथ ही यह यात्रा शुरू हो जाएगी. केदारनाथ-बद्रीनाथ और यमुनोत्री-गंगोत्री यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण 2 मार्च से शुरू हो जाएगा.
Authored By: स्मिता
Updated On: Thursday, February 6, 2025
Char Dham Yatra 2025: 30 अप्रैल को शुरू हो जाएगी, जो पवित्र हिमालय मंदिरों के माध्यम से तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन करेगी. ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 2 मार्च से उपलब्ध रहेगा. यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं, जो आध्यात्मिक विकास और भक्ति प्रदान करते हैं. हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक होने के कारण यह यात्रा हर साल लाखों तीर्थयात्रियों द्वारा की जाती है. यह (Char Dham Yatra 2025) लाखों लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करता है, चाहे वह भक्त हो या पर्यटक.
आंतरिक शांति प्रदान करने वाले स्थान (Inner Peace)
चार धाम यात्रा लोगों को चार प्राचीन पवित्र मंदिरों में ले जाती है: यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ. पर्वत राज हिमालय की गोद स्थित ये मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि गहरी भक्ति और आंतरिक शांति प्रदान करने वाले स्थान भी हैं। चार धाम यात्रा 2025 पर जाने से पहले तीर्थयात्रियों को रजिस्ट्रेशन के बारे में जरूर जानना चाहिए.
रजिस्ट्रेशन खोलने की तिथि और प्रक्रिया (Char Dham Yatra 2025 Registration)
यात्रा शुरू होने से पहले यात्रियों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन 2 मार्च, 2025 से शुरू होगा. इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया जा सकता है. आसान रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य पर्यटन ऐप की व्यवस्था की गई है. रुद्राभिषेक जैसे विशेष अनुष्ठानों के लिए भी ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था है.
आरंभ तिथि (Char Dham Yatra 2025 Start Date)
चार धाम यात्रा 2025 30 अप्रैल, 2025 को शुरू होगी. पहला गंतव्य यमुनोत्री मंदिर होगा. जहां तीर्थयात्री उत्तरकाशी में देवी यमुना को समर्पित इस पवित्र स्थल से अपनी यात्रा शुरू करेंगे.
किन-किन स्थानों की होगी आध्यात्मिक यात्रा (Spiritual Pilgrimage)
तीर्थयात्रा में चार पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा शामिल है: यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। हिमालय पर स्थित ये पवित्र स्थल हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्व रखते हैं. माना जाता है कि ये भक्तों को आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर ले जाने में मदद करते हैं.
यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Mandir)
यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को जानकी चट्टी से 6 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है. मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने करवाया था. यह देवी यमुना को समर्पित है.
गंगोत्री मंदिर (Gangotri Mandir)
यमुनोत्री के बाद अगला पड़ाव गंगोत्री है, जो गंगा नदी को समर्पित है. समुद्र तल से 3,048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर मोक्ष का प्रतीक पवित्र नदी का सम्मान करने के इच्छुक भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है.
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir)
केदारनाथ भारत के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है. यह 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तीर्थयात्रा का तीसरा गंतव्य है. मंदिर हिमालय के लुभावने दृश्यों से घिरा हुआ है. किंवदंती है कि इसे मूल रूप से पांडवों ने बनवाया था. बाद में आदि शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार किया था.
बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Mandir)
यह मंदिर विष्णु को समर्पित है. यह भारत के उत्तराखंड के बद्रीनाथ शहर में है. वैष्णवों के लिए यह विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देसमों (मंदिर) में से एक है, जिन्हें बद्रीनाथ के रूप में पूजा जाता है. खराब मौसम से बचने के लिए देवी लक्ष्मी ने खुद को बद्री वृक्ष (एक प्रकार का बेर का पेड़) में बदल दिया, जिससे मौसम के प्रभाव से बचा जा सके. देवी की इस भक्ति के कारण इस स्थान का नाम “बद्रीनाथ” पड़ा, जिसका अर्थ है बद्री का भगवान. यह मंदिर उन पवित्र स्थानों में से एक है, जहां पुजारियों की मदद से पूर्वजों को तर्पण दिया जाता है. बद्रीनाथ के पास अलकनंदा नदी बहती है.