Chhattisgarh Shivling : छत्तीसगढ़ के महासमुंद स्थित शिवलिंग की बढ़ रही हर साल ऊंचाई!

Chhattisgarh Shivling : छत्तीसगढ़ के महासमुंद स्थित शिवलिंग की बढ़ रही हर साल ऊंचाई!

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, February 19, 2025

Updated On: Wednesday, February 19, 2025

छत्तीसगढ़ के महासमुंद स्थित रहस्यमयी शिवलिंग की बढ़ती ऊंचाई
छत्तीसगढ़ के महासमुंद स्थित रहस्यमयी शिवलिंग की बढ़ती ऊंचाई

Chhattisgarh Shivling : ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के भंवरपुर स्थान पर एक शिवलिंग की ऊंचाई हर साल बढ़ रही है. मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

Authored By: स्मिता

Updated On: Wednesday, February 19, 2025

छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh Shivling) के महासमुंद जिले के भंवरपुर (Bhanwarpur Mandir) स्थान में स्वयंभू शिवलिंग हैं. इस शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई हर साल बढ़ती जा रही है. इसलिए भक्तों के लिए यह विशेष आस्था का केंद्र बन चुका है. यहां खासकर महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) और सावन माह (Sawan 2025) में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. यह भगवान भोलेनाथ का बहुत प्राचीन मंदिर है. यहां भक्तगण विशेष रूप से जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने आते हैं. यह मंदिर जिला मुख्यालय से महज 106 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इसकी ऊंचाई दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है. यहीं मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ की स्थापना भी की गई है. यहां एक संतोषी माता का मंदिर भी बन चुका है.

क्या है भंवरपुर मंदिर का इतिहास (Bhawanpur Shiv Mandir History)

भंवरपुर के देव तालाब रानीसागर के किनारे स्थित इस पूर्वमुखी शिव मंदिर का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रोचक भी. गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि वर्षों पहले इस मंदिर की जगह पर एक खेत था. जहां खेत के मालिक किसान ने एक कुआं बनाने के उद्देश्य से जमीन की खुदाई शुरू की. कुछ खुदाई करने के बाद किसान को उस जगह पर एक गोल पत्थर मिला, जो खुदाई को आगे बढ़ने नहीं दे रहा था. किसान ने उस पत्थर को निकालने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसे वहां से नहीं निकाल सका. तब उसने पत्थर को तोड़ने के लिए कुदाल से जोरदार प्रहार किया, लेकिन पत्थर पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उस पर कुदाल का निशान अवश्य हो गया, जो आज भी शिवलिंग पर मौजूद है। उसे स्पर्श करके महसूस किया जा सकता है.

स्वयंभू शिवलिंग (Shivling Story)

दिनभर की मेहनत के बाद भी जब किसान सफल नहीं हुआ, तो दूसरे दिन किसी भी तरह उस पत्थर को निकालने का संकल्प लेकर वह घर आ गया और आराम करने लगा. कहते हैं कि तब उसे स्वप्न में भगवान शिवजी ने दर्शन देकर कहा कि तुम जिस पत्थर को निकालना चाहते हो, वह कोई साधारण पत्थर नहीं है, एक शिवलिंग है. मैं स्वयं वहां शिवलिंग के रूप में प्रगट हो रहा हूं. मेरे विचार से तुम्हें उस जगह की खुदाई बंद कर देनी चाहिए. सुबह जब किसान उस जगह पर पुनः खुदाई करने पहुंचा, तो उसने देखा कि वह पत्थर पहले दिन से अधिक बाहर आ गया था. धीरे-धीरे यह शिवलिंग बाहर निकल आया.

जमीन से 3 फीट ऊपर आ चुका है शिवलिंग (Shivling Height)

शिवलिंग की पूजा-अर्चना प्रारंभ कर दी और गांव वालों के सहयोग से एक छोटा सा मंदिर उस जगह पर बनाकर कुएं को अन्यत्र जगह पर खोदा गया, जो आज भी मौजूद है. वह पुराना छोटा शिव मंदिर आज जन सहयोग से बड़ा और भव्य हो चुका है. शिवलिंग अब जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर आ चुका है. इसकी ऊंचाई दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. यहीं मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ की स्थापना भी की गई है और एक संतोषी माता का मंदिर भी बनाया गया है.

पूजा-अर्चना के लिए आते हैं दूर-दूर से श्रद्धालु (Shiv Puja)

मंदिर के पुजारी दिनेश वैष्णव की तीन पीढियां यहां पुजारी की भूमिका निभा रहे हैं. उनका कहना है कि यहां स्थित शिवलिंग के स्वयं प्रकट होने की मान्यता है, जिसे देखने और पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. आज से तकरीबन 30 वर्ष पूर्व 1986 में जब पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करने के लिए शिवलिंग को भूतल से ऊपर उठाकर स्थापित करने का प्रयास किया गया, तो शिवलिंग का कोई ओर छोर नजर नहीं आया. तब शिवलिंग को उखाड़ने के विचार का त्याग कर दिया गया.

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की विशेष पूजा (Mahashivratri 2025)

पुजारी दिनेश वैष्णव के अनुसार, महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में भव्य आयोजन किया जाता है. इस दिन भक्तगण विशेष रूप से यहां जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने आते हैं. यहां रात्रि जागरण कर पूरी रात भजन-कीर्तन का आयोजन होता है. पुजारी भगवान शिव का अभिषेक और आरती करते हैं. मंदिर परिसर में भक्तों के लिए प्रसाद वितरण किया जाता है. साथ ही महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव बारात भी निकाली जाती है. इस वर्ष भी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) के अवसर पर यहां भव्य आयोजन होंगे.

(हिन्दुस्थान समाचार इनपुट के साथ)

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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