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गुरु गोविंद सिंह प्रकाश उत्सव 2025: देश और धर्म की रक्षा के लिए गुरु साहिब ने जीवन किया समर्पित, 6 जनवरी को है जयंती
गुरु गोविंद सिंह प्रकाश उत्सव 2025: देश और धर्म की रक्षा के लिए गुरु साहिब ने जीवन किया समर्पित, 6 जनवरी को है जयंती
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, January 3, 2025
Last Updated On: Monday, January 6, 2025
6 जनवरी को देश भर में सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश उत्सव (Guru Gobind Singh Prakash Utsav) मनाया जा रहा है। देश और धर्म की रक्षा के लिए गुरूजी ने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया था।
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, January 6, 2025
इतिहास में ऐसे लोगों के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं, जिन्होंने धर्म, संस्कृति और देश की खातिर अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया हो। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ऐसे ही थे। उन्होंने लोगों के सामने अपनी वीरता और बलिदान का आदर्श प्रस्तुत किया था। गुरु साहिब जी ने मात्र 9 वर्ष की अवस्था में अपने पिता को अपना जीवन बलिदान करने के लिए प्रेरित किया था। इसका उद्देश्य सिर्फ समाज और धर्म की रक्षा था। अपने पिता, चारों पुत्रों की प्राणों की आहुति देने के बाद भी गुरू गोविन्द सिंह ने औरंगजे़ब से कहा- तुम्हें ईश्वर की पहचान करनी चाहिए और प्रजा को दुखी नही करना चाहिए। 6 जनवरी को देश भर में उनका प्रकाश उत्सव (Guru Gobind Singh Prakash Utsav 2025) मनाया जा रहा है।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025)
गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) भारत में हर साल मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव है। इसे ही प्रकाश उत्सव कहते हैं। उनका जन्म 1666 को पटना, बिहार (guru gobind singh birth place) में हुआ था। उनकी जयंती सिख धर्म के लिए एक बड़ा त्योहार है। यह त्योहार गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन का प्रतीक है, जो सिखों के अंतिम और दसवें गुरु थे। वे एक योद्धा, आध्यात्मिक गुरु, दार्शनिक और कवि भी थे। लोग इस अवसर को उत्साह और भव्य समारोहों के साथ मनाते हैं।
आत्मविश्वास का संदेश ( Self Confidence)
जहां सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव ने विनम्रता और समर्पण पर बल दिया, वहीं गुरु गोविन्द सिंह ने आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। उन्होंने भारतीयों के मन से डर और आशंका को दूर कर साहस और बल भर दिया।
प्रेम का मार्ग अपनाने की प्रेरणा (Guru Gobind Singh Inspiration)
गुरु साहिब ने परमात्मा की भक्ति के लिए प्रेम का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी। परमात्मा को प्रेम भक्ति से ही पाया जा सकता है। पवित्र व्यवहार और प्रेम भावना में परिपूर्ण होने की कारण ही वे सिखों के लिये धर्म के मार्ग पर जीवन को सहज ही बलिदान कर पाए। गुरु गोबिंद सिंह साहिब का पूरा परिवार धर्म के लिए बलिदान हो गया। फिर भी उनकी सहजता, अंतर की कोमलता और प्रेम रत्ती भर भी कम नहीं हुआ था।
गुरु ग्रन्थ साहिब में संपादन (Guru Granth Sahib)
उन्होंने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब का संपादन कराया और उसमें गुरु तेग बहादर जी की वाणी सम्मिलित कर सम्पूर्णता प्रदान की। गुरु साहिब ने सिखों को गुरुवाणी के अर्थ और भाव समझाने की भी व्यवस्था की। नांदेड़ साहिब में श्री गुरुग्रन्थ साहिब को गुरुगद्दी पर आसीन करना भी उनका सबसे अलग कार्य था। गुरु गोविन्द सिंह अपने जीवन का श्रेय ईश्वर को देते हुए कहते ((Guru Gobind Singh Motivational Quotes) हैं – ‘मैं हूं परम पुरख को दासा, देखन आयो जगत तमाशा।’ गुरू गोविन्द सिंह ने मात्र 41 वर्ष की आयु में ही अपने कार्य संपन्न कर शरीर त्याग दिया।