Avimukteshwaranand Saraswati : अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का संकल्प, हर मंदिर की अपनी गौशाला

Avimukteshwaranand Saraswati : अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का संकल्प, हर मंदिर की अपनी गौशाला

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, September 24, 2024

Last Updated On: Tuesday, September 24, 2024

Avimukteshwaranand Saraswati
Avimukteshwaranand Saraswati

हाल में अयाेध्या में धर्माचार्यों की एक धर्मसभा आयोजित की गई। इसमें ज्याेतिर्मठ बद्रिकाश्रम जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्माचार्यों से आह्वान करते हुए कहा कि वे मंदिरों की मर्यादा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट हों। साथ ही, हर मंदिर की अपनी गौशाला होनी चाहिए।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, September 24, 2024

हाल में अयाेध्या में धर्माचार्यों की एक धर्मसभा आयोजित की गई। इसमें ज्याेतिर्मठ बद्रिकाश्रम जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) ने धर्माचार्यों से आह्वान करते हुए कहा कि वे मंदिरों की मर्यादा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट हों। इस पर चर्चा के लिए रामालय ट्रस्ट की बैठक बुलाई जाएगी। प्रस्ताव पारित होने के बाद रामालय ट्रस्ट विश्व के सभी हिंदू मंदिरों की मर्यादा के संरक्षण का काम आरंभ करेगा। रामालय ट्रस्ट समग्र हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व करता है। उसमें सभी शंकराचार्य, वैष्णवाचार्य, सभी आखड़े और विशिष्ठ जन सम्मिलित हैं। उन्होंने तिरुपति लड्डू मिलावट को देखते हुए पंचगव्य प्राशन की भी व्यवस्था की जाने की बात की।

पहली सेवा गाय की होनी चाहिए

अविमुक्तेश्वरानंद ने लोगों से अनुरोध किया कि वे पशु कल्याण के लिए काम करें। जैसे घर में पहली रोटी गाय की होती है। वैसे ही पहली सेवा गाय की होनी चाहिए। हर मंदिर की अपनी गौशाला होनी चाहिए। इससे आस-पास के लोगों को रोजगार मिलेगा। शुद्ध दूध, घी आदि भी मिलेगा। उनके गोबर गोमूत्र आदि से उगाए गये शुद्ध अनाज से लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक होगा। तिरुपति मंदिर को इसकी पहल करनी चाहिए। और आगे से अपनी गौशाला के घी से ही भगवान के नैवेद्य का लड्डू बनाना चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह गौप्रतिषठा आन्दोलन सभी पशुओं-मवेशियों के लिए नहीं है। यह केवल उन गायों के लिए है, जो शत-प्रतिशत शुद्ध देसी नस्ल की हैं। वे संकरीकृत नहीं है। शुद्ध देसी नस्ल की गाय ही वेदलक्षणा, जिन्हें रामा भी कहा जाता है।

गाै प्रतिष्ठा ध्वज स्थापना

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने क्षीरेश्वरनाथ मंदिर में भगवान भाेलेनाथ का पूजन-अर्चन कर गाै प्रतिष्ठा ध्वज स्थापना की औपचारिक घाेषणा भी की। इस अवसर पर महंत धर्मदास हनुमानगढ़ी, जगद्गुरू स्वामी परमहंसाचार्य, खड़ेश्वरी मंदिर के महंत रामप्रकाश दास, स्वामी दिलीप दास त्यागी, नया मंदिर शीशमहल के महंत रामलोचन शरण, नीरज शास्त्री, हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय आदि भी माैजूद थे।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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