Mahakumbh 2025: महाकुंभ में होगी सबसे अधिक धार्मिक पुस्तकों की मांग, दीपक और मूर्तियों की भी होगी मांग

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में होगी सबसे अधिक धार्मिक पुस्तकों की मांग, दीपक और मूर्तियों की भी होगी मांग

Mahakumbh 2025: Mahakumbh Mein Hogee Sabse Adhik Dharmik Pustakon Ki Maang, Deepak Aur Moortiyon Ki Bhi Hogee Maang
Mahakumbh 2025: Mahakumbh Mein Hogee Sabse Adhik Dharmik Pustakon Ki Maang, Deepak Aur Moortiyon Ki Bhi Hogee Maang

महाकुंभ के पहले संगम क्षेत्र में पूजन सामग्री की दुकानें सज रही हैं। धर्म और अध्यात्म के ज्ञाता इस बात का दावा कर रहे हैं कि महाकुंभ में सबसे अधिक धार्मिक पुस्तकों की मांग होगी। इसके अलावा, पूजा की सामग्री, दीपक और भगवान की मूर्तियों की भी मांग (Mahakumbh 2025) होगी।

ज्योतिषाचार्यों की गणना के अनुसार ग्रह नक्षत्रों के विशिष्ट संयोग से इस वर्ष प्रयागराज में 144 वर्ष बाद पड़ने वाले महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। 13 जनवरी, 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन से स्नान शुरू हो कर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ पूरा हो जाएगा। मेले के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं।

संगम क्षेत्र से धार्मिक सामान ले जाते हैं घर

महाकुंभ का इंतजार न केवल साधु-संन्यासी, कल्पवासी, श्रद्धालु बल्कि प्रयागराजवासी भी बेसब्री से कर रहे हैं। महाकुंभ में संगम, मेला क्षेत्र और प्रयागराज के दुकानदार पूजा सामग्री, पत्रा-पंचाग, धार्मिक पुस्तकें, रुद्राक्ष और तुलसी की मालाओं को नेपाल, बनारस, मथुरा-वृदांवन से मंगा रहे हैं। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु लौटते समय अपने साथ संगम क्षेत्र से धार्मिक पुस्तकें, पूजन सामग्री, रोली-चंदन और मालाएं जरूर ले जाते हैं।

सबसे ज्यादा गीता प्रेस की किताबों की हो सकती है मांग

प्रयागराज के दारागंज में धार्मिक पुस्तकों के विक्रेता संजीव तिवारी का कहना है कि सबसे ज्यादा गीता प्रेस, गोरखपुर से छपी धार्मिक पुस्तकों की मांग होती है। अधिकांश श्रद्धालु राम चरित मानस, भागवत गीता, शिव पुराण और भजन व आरती संग्रह की मांग करते हैं। इसके अलावा पूजा-पाठ का काम करने वाले पुजारी वाराणसी से छपे हुए पत्रा और पंचाग भी खरीद कर ले जाते हैं। मुरादाबाद और बनारस में बनी पीतल और तांबें की घंटियां, दीपक, मूर्तियां भी मंगाई जा रही है। मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु और साधु-संन्यासी पूजा-पाठ के लिए हवन सामग्री, आसन, गंगाजली, दोनें-पत्तल, कलश आदि की मांग करते हैं। इन्हें भी बड़ी मात्रा में दुकानदार अपनी दुकानों में मंगा कर स्टोर कर रहे हैं।

नेपाल-उत्तराखण्ड से आ रही रुद्राक्ष और तुलसी की मालाएं

पूरे शहर में होटल, रेस्टोरेंट, खाने-पीने की दुकानों के साथ पूजा सामग्री, धार्मिक पुस्तकों, माला-फूल की दुकानें भी सजने लगी हैं। थोक व्यापारियों का कहना है कि पुजारी संगम क्षेत्र से पत्रा और पंचाग लेकर जाते हैं। रुद्राक्ष की मालाएं उत्तराखण्ड और नेपाल से तो तुलसी की मालाएं मथुरा-वृंदावन से, रोली, चंदन और अन्य पूजन सामग्री बनारस और दिल्ली के पहाड़गंज से मंगाई जा रही हैं।

सनातन आस्था का महापर्व महाकुंभ

महाकुंभ सनातन आस्था का महापर्व है। इस अवसर पर सनातन धर्म में आस्था रखने वाले देश के कोने-कोने से प्रयागराज आते हैं। त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं। इस वर्ष महाकुम्भ के अवसर पर 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान है। प्रयागराजवासी और यहां के दुकानदार व्यापारी भी महाकुम्भ को लेकर उत्साहित हैं। महाकुम्भ उनके लिए पुण्य और सौभाग्य के साथ व्यापार और रोजगार के अवसर भी लेकर आया है।

हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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