मंगलवार 14 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति

मंगलवार 14 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति

Authored By: Galgotias Times Bureau

Published On: Monday, January 13, 2025

Updated On: Monday, January 13, 2025

Makar Sankranti 2025: Celebrating on Tuesday, 14th January.
Makar Sankranti 2025: Celebrating on Tuesday, 14th January.

इस वर्ष सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी, 2025 को अपराह्न 3 बजकर 26 मिनट पर होने के कारण मकर संक्रांति का पुण्यकाल दिन में प्रातः 9 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 9 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

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Updated On: Monday, January 13, 2025

Makar sankranti : संक्रांति का अर्थ है संक्रमण काल। जब सूर्य दो राशियों के संधि में चलने लगता है तब उस राशि में सूर्य की संक्रांति कही जाती है। जब सूर्य धनु राशि के अंतिम बिंदु से मकर राशि के आदि बिंदु में गमन करते हैं तब उस काल-खंड को मकर संक्रांति कहते हैं। सूर्य का बिंब (मंडल) बहुत बड़ा होने से तथा गति धीमी होने से सूर्य को दो राशियों के संधि बिंदु को पार करने में लगभग बत्तीस घटी अर्थात 12 घंटा 48 मिनट लगते हैं। इसी को पञ्चांगकार संक्रांति काल कहते हैं। संक्रांति के इस संपूर्ण समय को धर्मशास्त्रों में स्नान, दान, जप,हवन आदि के लिये अत्यन्त पुण्यदायी कहा गया है।मुहूर्त्तचिन्तामणिकार कहते हैं- संक्रान्तिकालाद् उभयत्र नाडिकाः पुण्या मताः षोडश षोडशोष्णगोः। अर्थात् सूर्य की संक्रांति में दोनों ओर की राशियों की सोलह-सोलह घटियां पवित्र हैं। इसी को संक्रांति का पुण्यकाल कहा गया है।

वसंत संपात प्रत्येक वर्ष अपने नियत स्थान से 50 कला पीछे हट जाता है। इस क्रम में प्रत्येक बहत्तर वर्ष में वह एक दिन पहले आ जाता है और 960 वर्षों में एक नक्षत्र पहले आ जाता है। इसी गणना से संपूर्ण राशिचक्र अर्थात 360 अंशों का पूरा चक्कर लगाने में छब्बीस हजार (26000) वर्ष लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में निरयन से सायन संक्रांति पूर्व-पूर्व होती चली जाती है। आज भी जो निरयन संक्रांति 14 जनवरी को मनायी जा रही है वही सायन के आधार पर मकर संक्रांति 21 दिसम्बर को हो रही है। जब वसंत संपात प्रत्येक ७२ वर्षों में एक दिन पीछे खिसकता है तब अंग्रेजी तारीख एक दिन आगे बढ़ जाती है। आज से 72 वर्ष पूर्व निरयन मकर संक्रांति 13 जनवरी को पड़ती थी। पुनः 14 जनवरी को होने लगी। अब उसी संपात के कारण 15 जनवरी को पड़ने लगी है। लेकिन 72 वर्ष की संधि बेला में चार छः वर्ष आगे पीछे संक्रांति होती रहती है। ऐसी स्थिति में संक्रांति कभी दिन में कभी रात्रि में होती है तब उसका पुण्यकाल कब माना जाए ?

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इस विषय में हेमाद्रि ने कहा है कि जब सूर्य सांयकाल या अर्द्धरात्रि में संक्रमण करे, तब पुण्यकाल अगले दिन मानना चाहिए। सूर्यास्त के समय हो तो पूर्व में और रात्रि में होने पर पूरे दिन पुण्यकाल मानना चाहिए। प्रायः यही बात कुछ मत/मतान्तर से सभी धर्मशास्त्रकार मानते हैं।इस वर्ष सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी, 2025 को अपराह्न 3 बजकर 26 मिनट पर होने के कारण मकर संक्रांति का पुण्यकाल दिन में प्रातः 9 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 9 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसी दिन देश भर में खिचड़ी भी मनाई जाएगी।

pro. girija shankar shastri

प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री
अध्यक्ष, ज्योतिष विभाग,
काशी हिंदू विश्वविद्यालय,
 वाराणसी

 

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वरिष्ठ लेखक और शैक्षिक विषयों की जानकार
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