Prayagraj Mahakumbh 2025 : पौष पूर्णिमा स्नान के साथ कल्पवास शुरू, विदेशी श्रद्धालु भी अभिभूत, किया हर हर गंगे का जाप

Prayagraj Mahakumbh 2025 : पौष पूर्णिमा स्नान के साथ कल्पवास शुरू, विदेशी श्रद्धालु भी अभिभूत, किया हर हर गंगे का जाप

Prayagraj Mahakumbh 2025: Devotees, including foreigners, participate in Paush Purnima bath and chant 'Har Har Gange
Prayagraj Mahakumbh 2025: Devotees, including foreigners, participate in Paush Purnima bath and chant 'Har Har Gange

पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही श्रद्धालु मोक्षदायिनी गंगा और कष्ट हरने वाले श्रीराम नाम का जाप करने लगे। इसतरह से श्रद्धालुओं का संगम क्षेत्र में कल्पवास भी शुरू हो गया है। देश और दुनिया से आए श्रद्धालु और यात्री महाकुंभनगर में इस पावन आयोजन (Prayagraj Mahakumbh 2025) से जुड़कर अभिभूत हैं।

विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुंभ की शुरूआत पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ हो गई। इसके साथ ही 1 महीने का यहां कल्पवास भी शुरू हो गया है। महाकुंभ स्नान और कल्पवास दोनों आध्यात्मिक आयोजनों की अनुभूति प्राप्त करने के लिए देश ही नहीं दुनियाभर से श्रद्धालु और यात्री महाकुंभ नगर पहुंच रहे हैं। यह याद रखना जरूरी है कि महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और यह 26 फरवरी तक चलेगा। यह महाकुंभ 144 सालों बाद आया है और बेहद खास माना जा रहा है। महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन (Prayagraj Mahakumbh 2025) किया जाएगा।

ईश्वर से साक्षात्कार की अनुभूति

सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में 4.32 से महाकुंभ स्नान की शुरूआत हो गयी। संगम क्षेत्र में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही माह भर का कल्पवास प्रारंभ हो गया है। संगम में स्नान के बाद श्रद्धालु हर हर गंगे, जय श्रीराम के उद्घोष करने लगे। संगम में डुबकी लगाने के बाद उन्हें ईश्वर से साक्षात्कार की अनुभूति होने लगी। इसके बाद पूजन, दान व भजन का सिलसिला भी शुरू हो गया। गौरतलब है कि गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम (Prayagraj Sangam) में आस्था का गोता भोर से लगने लगा।

मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना

लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम जल में डुबकी लगाकर मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना करने लगे। दिन भर संगम तट के अलग-अलग घाटों पर स्नान चलेगा। पौष पूर्णिमा पर 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान का अनुमान है। मंगलवार को मकर संक्रांति पर अमृत स्नान पर्व का अनूठा संयोग जुड़ रहा है। पहली बार पलवल हरियाणा से स्नान के लिये आए राजेश सैनी के लिए पवित्र संगम में स्नान जीवन धन्य हो जाने के समान है।

Prayagraj Mahakumbh 2025: Kalpvas Begins with Paush Purnima Bath and Devotional Chanting

पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास (Kalpwas 2025)

कल्पवास एक प्राचीन हिंदू परंपरा है, जिसे श्रद्धालु पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक मनाते हैं। श्रद्धालु कल्पवास (कल्प- चार युगों में वर्षों की संख्या के बराबर अवधि) करते हैं। इस दौरान कल्पवासी प्रतिदिन अर्थात सूर्योदय के समय गंगा नदी में पवित्र स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। वे प्रवचन सुनने के लिए विभिन्न संतों के शिविरों में जाते हैं और भजन-कीर्तन, जप जैसी भक्ति गतिविधियों में भाग लेते हैं। यह शाश्वत सत्य की खोज में मोक्ष प्राप्त करने और आध्यात्मिकता के उच्चतम शिखर को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा।

रूस, अफ्रीका, इटली, जर्मनी से भी आकर कर रहे कल्पवास 

ब्राजील, मारीशस, रूस, अफ्रीका, इटली, जर्मनी, स्पेन और अर्जेंटीना समेत कई देशों के श्रद्धालुओं ने हर हर गंगे, गंगा मैया की जय के उद्घोष के साथ पवित्र संगम में डुबकी लगाई। इनमें से कुछ लोग संगम तट पर कल्पवास भी करेंगे।संगम में डुबकी लगाकर बाहर निकले श्रद्धालुओं के भाव काफी निराले थे, लगा मानो उनका ईश्वर से साक्षात्कार हो गया। श्रद्धालुओं के चेहरे का भाव बता रहा था कि जैसे उन्हें कोई अनमोल चीज मिलने वाली हो।

मोक्ष की तलाश (Moksha) 

मोक्ष की तलाश में पहली बार भारत आए ब्राजील के श्रद्धालु फ्रांसिस्को ने कहा कि, ‘मैं पहली बार भारत आया हूं, मैं योग का अभ्यास करता हूं और मोक्ष की तलाश में हूं। यहां आकर मुझे बहुत अद्भुत लग रहा है।’ भारत दुनिया का आध्यात्मिक दिल है। नदी का पानी ठंडा है, लेकिन स्नान के बाद दिल गर्माहट से भर गया है।’

दिव्यता की अनुभूति

मारीशस से महाकुंभ में आए कृष्णा नितेन्दे ने कहा, ‘हमारे पूर्वज भारत से ही मारीशस गये थे। अपने देश और संस्कृति से संबंध होना चाहिए। सभी व्यक्तियों को अपनी जमीन और संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए और हमेशा अपने भीतर की यात्रा करने की कोशिश करनी चाहिए। महाकुम्भ में स्नान के बाद दिव्यता की अनुभूति हो रही है।’ स्पेन से आध्यात्मिक यात्रा पर आए एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि वे वहां डुबकी लगाकर खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। ब्राजील और पुर्तगाल से भी लोग यहां आए हैं।

मिलनसार हैं प्रयागराज के लोग

दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन से प्रयागराज आए एक श्रद्धालु ने कहा, ‘यह बहुत सुंदर है। यहां की सड़कें साफ-सुथरी हैं, लोग बहुत मिलनसार और खुश हैं… हम सनातन धर्म का पालन करते हैं। दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन से आए एक अन्य श्रद्धालु निक्की ने कहा, ‘हम बहुत भाग्यशाली है और यहां गंगा नदी पर आकर बहुत धन्य हैं…।’ मारीशस से आये शिवमय ने कहा, ‘तीर्थों के तीर्थ प्रयागराज पहुंचकर सचमुच दिव्यता महसूस हो रही है।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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