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एचएमपीवी वायरस कहीं कोरोना जैसी दस्तक तो नहीं!
एचएमपीवी वायरस कहीं कोरोना जैसी दस्तक तो नहीं!
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Wednesday, January 8, 2025
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
2020-21 में चीन से चले कोरोना वायरस ने लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसमें लाखों लोग काल कवलित हुए थे। इससे दुनिया ने किसी तरह से निजात पाई। पर अब फिर चीन में महामारी बन रहा एचएमपीवी वायरस को लेकर ऐसी ही आशंकाएं होने लगी हैं। इसने भारत में भी दस्तक दे दी है। सरकार और चिकित्सकों के तमाम आश्वासनों के बावजूद आशंका इस बात की है कि कहीं एचएमपीवी के रूप में एक और कोरोना तो अपने पैर नहीं पसार रहा है...
Authored By: Galgotias Times Bureau
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
हाइलाइट्स
- देशभर में पांच बच्चे संक्रमित मिले हैं। वहीं गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु में पांच केस मिले हैं।
- यह वायरस फ्लू और अन्य श्वसन संक्रमणों के समान लक्षण पैदा करता है, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह गंभीर रूप ले सकता है।
- यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित कर रहा है।
- एचएमपीवी से बचने के लिए जागरूकता, स्वच्छता और समय पर चिकित्सा सहायता जरूरी
भारत और विश्व में पिछले कुछ वर्षों में वायरल संक्रमणों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। कोविड-19 के बाद अब एचएमपीवी (HMVP virus) नामक एक और वायरस चर्चा का विषय बन गया है। चीन के बाद एचएमपीवी की भारत में भी दस्तक हुई है। देशभर में पांच बच्चे संक्रमित मिले हैं। वहीं गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु में पांच केस मिले हैं। इसमें बच्चे भी शामिल है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित कर रहा है।
क्या हैं एचएमपीवी के लक्षण
फोर्टिस अस्पताल, नोएडा में पल्मोनोलॉजिस्ट, स्लीप मेडिसिन और क्रिटिकल केयर के एक्सपर्ट *डॉ. मयंक सक्सेना का कहना है कि ह्यूमन मेटापन्यूमो वायरस (एचएमपीवी) पहली बार 2001 में खोजा गया था। यह पैरामाइक्सोवायरस परिवार से संबंधित है और मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यह वायरस फ्लू और अन्य श्वसन संक्रमणों के समान लक्षण पैदा करता है, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह गंभीर रूप ले सकता है।
किसे हो सकता है खतरा
एचएमपीवी का प्रभाव व्यक्ति की आयु और प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है। बच्चों में यह वायरस निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस का कारण बन सकता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह गंभीर श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है। पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मधुमेह या दिल की बीमारियों वाले लोग अधिक खतरे में हैं। इसके अलावा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों पर प्रभाव अधिक होता है। खासतौर से जिन्हें कैंसर, एचआईवी या अन्य दीर्घकालिक बीमारियों वाले लोग भी अधिक जोखिम हैं।
भारत में है कितना खतरा
हालांकि एचएमपीवी का प्रकोप वर्तमान में विकसित देशों में अधिक है। लेकिन यह वायरस भारत में भी तेजी से फैल सकता है। क्योंकि भारत की बड़ी आबादी है। यहां घनी बस्तियां है। सीमित स्वास्थ्य सेवाएं और संक्रमणों को पहचानने की कमजोर प्रणाली है। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का अभाव है। यह वायरस सर्दियों के मौसम में अधिक सक्रिय हो सकता है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को चाहिए कि एचएमपीवी को लेकर जागरूकता अभियान चलाएं। स्कूलों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता के नियमों का पालन करना सुनिश्चित किया जाए। एचएमपीवी के लिए अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ टीका विकसित करने पर काम कर रहे हैं। सावधानी और बचाव ही इसका सबसे बड़ा उपाय है।
प्रमुख लक्षण
- नाक बंद होना, नाक बहना और छींक आना।
- सूखी या बलगम वाली खांसी।
- हल्का या तेज बुखार।
- निगलने में दर्द या असुविधा।
- लंबे समय तक थकावट का अनुभव।
ये लक्षण गंभीर मामलों में देखने को मिलते हैं।
बचाव के उपाय
- नियमित रूप से हाथ धोएं।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनें।
- यदि किसी को खांसी, जुकाम या बुखार है, तो उनसे कम से कम 6 फीट की दूरी रखें।
- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी और प्रोटीन युक्त भोजन करें।
यदि लक्षण बिगड़ रहे हों तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।