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Omkareshwar Temple: ॐ के आकार में बसा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जानिए इतिहास से लेकर यात्रा तक की पूरी जानकारी
Omkareshwar Temple: ॐ के आकार में बसा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जानिए इतिहास से लेकर यात्रा तक की पूरी जानकारी
Authored By: Nishant Singh
Published On: Friday, July 11, 2025
Last Updated On: Saturday, July 12, 2025
Omkareshwar Temple Madhya Pradesh in Hindi: भारत की पावन भूमि पर अनेक तीर्थस्थल हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान अत्यंत विशिष्ट है. नर्मदा नदी के मध्य मन्धाता द्वीप पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिकता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भी प्रसिद्ध है. यह स्थल न केवल शिवभक्तों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो जीवन में शांति, मोक्ष और आत्मिक संतुलन की तलाश में है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Saturday, July 12, 2025
भगवान शिव के सबसे बड़े और प्राचीन मंदिरों में 12 ज्योतिर्लिंग का नाम शामिल है. ये 12 ज्योतिर्लिंग अलग-अलग राज्यों व शहरों में स्थित हैं. इन्हीं में से एक ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर है, जो कि मध्य प्रदेश में है. ओंकारेश्वर केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और अध्यात्म की वो धुरी है जहां से “ॐ” की अनाहत ध्वनि निकलती है. नर्मदा नदी के मध्य में स्थित यह पवित्र द्वीप ऊपर से देखने पर “ॐ” की आकृति जैसा प्रतीत होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है. यह स्थान सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि एक संपूर्ण अनुभव है—जहां प्रकृति, पौराणिकता और शांति तीनों एक साथ मिलती हैं. जो भी श्रद्धालु यहां आता है, वह कुछ न कुछ नया लेकर ही लौटता है—शांति, आस्था या आत्मज्ञान का भाव. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का परिचय (Introduction to Omkareshwar Jyotirlinga)

- स्थान: खंडवा जिला, मध्यप्रदेश, भारत
- नदी: नर्मदा नदी के मध्य मन्धाता द्वीप पर
- विशेषता: द्वीप का आकार ‘ॐ’ (ओम) के समान
- ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
- अन्य मंदिर: ममलेश्वर (अमरेश्वर) ज्योतिर्लिंग भी समीप स्थित
महादेव की विश्रामस्थली – ओंकारेश्वर की रहस्यमयी मान्यता (The Mysterious Belief of Omkareshwar)
भगवान शिव से जुड़ी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पवित्र श्रंखला में मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर का स्थान चौथा माना जाता है. यह ज्योतिर्लिंग अद्भुत रूप से नर्मदा नदी के किनारे स्थित उस पहाड़ी पर विराजमान है, जिसका आकार स्वयं ॐ (ओंकार) जैसा प्रतीत होता है. ओंकारेश्वर को लेकर अनेक गूढ़ मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन सबसे अद्भुत विश्वास यह है कि भगवान शिव स्वयं तीनों लोकों की यात्रा कर प्रतिदिन रात्रि को यहीं विश्राम हेतु पधारते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर में जल अर्पण किए बिना व्यक्ति की अन्य सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती हैं. यहां कुल 68 तीर्थ, 33 कोटि देवता और 108 प्रभावशाली शिवलिंग स्थित हैं. यह संख्या इस क्षेत्र की पावनता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रमाण है.
ओंकारेश्वर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व (Religious and Spiritual Significance of Omkareshwar)

ओंकारेश्वर सिर्फ एक ज्योतिर्लिंग नहीं, बल्कि वह दिव्य केंद्र है जहां से “ॐ” की अनाहत ध्वनि समस्त ब्रह्मांड में गूंजती है. यह स्थान आत्मा की यात्रा, भक्ति की पूर्णता और शिव के साक्षात् दर्शन का प्रतीक है. मान्यता है कि यहां शिवलिंग स्वयंभू है, यानी किसी मानव ने इसे नहीं बनाया, बल्कि यह धरती पर स्वयं प्रकट हुआ.
यहां आकर शिवभक्तों को जो आत्मिक शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है, वह और कहीं नहीं मिलती. नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर ध्यान, साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है.
हिंदू धर्म की मान्यता है कि यदि किसी ने जीवन में अनेक तीर्थों की यात्रा की हो, लेकिन ओंकारेश्वर में जल चढ़ाकर पूजा न की हो, तो उसकी सभी यात्राएं अधूरी मानी जाती हैं. यही कारण है कि ओंकारेश्वर को “तीर्थों का मुकुट” भी कहा जाता है.
इसके साथ ही यहां की नर्मदा परिक्रमा, रुद्राभिषेक, और शिवरात्रि पूजन से जीवन के समस्त पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहां आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथाएं (Mythological Stories Associated with Omkareshwar Jyotirlinga)
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से कई अद्भुत पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इस स्थान की महिमा को और अधिक दिव्य बनाती हैं. आइए इन कथाओं को सरल शब्दों में समझते हैं:
1. विंध्य पर्वत की कठोर तपस्या
पुराणों के अनुसार, एक समय विंध्याचल पर्वत को अहंकार हो गया कि वह मेरु पर्वत से छोटा है. इस भावना से ग्रसित होकर उसने भगवान शिव की घोर तपस्या की. विंध्य की निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उसे आशीर्वाद दिया कि वह भी पूजनीय पर्वतों में गिना जाएगा. इसी स्थान पर शिवजी ने स्वयं को लिंग रूप में प्रकट किया, जो आज ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि शिव के इस प्रकट रूप ने दो रूपों में अवतार लिया— - ओंकारेश्वर (द्वीप पर)
- मामलेश्वर (मुख्य भूमि पर)
2. राजा मंधाता की तपस्या
एक अन्य कथा के अनुसार, राजा मंधाता, जो सूर्यवंशी राजा थे, उन्होंने अपने जीवन में सत्य, धर्म और तप का पालन करते हुए भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु ओंकार पर्वत पर कठोर तपस्या की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वहीं स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. तभी से यह स्थल एक महान तीर्थ बन गया.
3. देवताओं की विजय की कथा
कहा जाता है कि एक समय जब दानवों का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया था, तब देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी. शिव ने नर्मदा के तट पर प्रकट होकर दानवों का विनाश किया. इसी स्थान पर शिव ने ज्योतिर्लिंग रूप में विराजने का वरदान दिया, ताकि भक्तगण सदा उनका पूजन कर सकें.
4. नर्मदा और शिव की कथा
नर्मदा नदी को शिव की पुत्री भी कहा जाता है. एक मान्यता के अनुसार, शिव ने नर्मदा को यह वरदान दिया कि जहां-जहां वह बहेगी, वहां पापों का नाश होगा और मोक्ष की प्राप्ति संभव होगी. इसलिए ओंकारेश्वर में नर्मदा स्नान और शिव पूजन का विशेष महत्व है.
इन सभी कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि ओंकारेश्वर न केवल एक ज्योतिर्लिंग है, बल्कि शिव भक्ति, तपस्या, और शक्ति का ऐसा केंद्र है, जहां पौराणिक गाथाएं आज भी हवा में गूंजती हैं. यहां हर पत्थर, हर जलकण, और हर लहर एक पुरानी कहानी कहती है – श्रद्धा की, भक्ति की, और मोक्ष की.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास (History of Omkareshwar Jyotirlinga)
कालखंड | योगदान / घटना |
---|---|
पौराणिक काल | भगवान शिव की तपस्या, स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति |
परमार राजवंश | मंदिर निर्माण, तीर्थ का प्राचीन स्वरूप |
मराठा / होलकर युग | पुनर्निर्माण, धर्मशालाएं, घाट निर्माण |
स्वतंत्र भारत | ASI द्वारा संरक्षण, आधुनिक सुविधाएं, पर्यटन केंद्र |

ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य (The Mystery of Omkareshwar Temple)
जैसे उज्जैन में महाकालेश्वर की भस्म आरती प्रसिद्ध है, वैसे ही ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की रात्रि शयन आरती भी रहस्य से भरपूर है. मान्यता है कि भगवान शिव हर रात तीनों लोकों का भ्रमण करके ओंकारेश्वर मंदिर में विश्राम हेतु आते हैं. सबसे रहस्यमय बात यह है कि रात्रि में मंदिर के गर्भगृह में चौपड़ बिछाई जाती है, और सुबह वह ऐसे बिखरी मिलती है, जैसे रात को किसी ने खेली हो. कहा जाता है कि शिवजी माता पार्वती के साथ चौसर खेलते हैं. और आश्चर्य की बात ये है कि रात में बंद मंदिर में एक परिंदा तक प्रवेश नहीं कर सकता, फिर भी सुबह वह चौसर किसी जीवंत खेल की तरह बिखरी होती है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की वास्तुकला (Architecture of Omkareshwar Jyotirlinga)

स्थापत्य की विशेषताएं
- शैली: नागर और द्रविड़ स्थापत्य का अद्भुत संगम
- मुख्य भाग: गर्भगृह (जहां ज्योतिर्लिंग स्थापित है), मंडप (स्तंभयुक्त हॉल), शिखर (ऊंचे गुंबद)
- मंजिलें: मंदिर पांच मंजिला है; हर मंजिल पर अलग-अलग शिवलिंग स्थापित हैं
- सामग्री: स्थानीय बलुआ पत्थर, जटिल नक्काशी और मूर्तिकला
- विशेषता: लिंग मंदिर के शिखर के ठीक नीचे न होकर एक ओर हटकर है, और उसके चारों ओर जल भरा रहता है.
मंदिर परिसर
- प्रथम तल: ओंकारेश्वर लिंग
- द्वितीय तल: महाकालेश्वर लिंग
- तृतीय तल: सिद्धनाथ लिंग
- चतुर्थ तल: गुप्तेश्वर लिंग
- पंचम तल: ध्वजेश्वर लिंग
धार्मिक महत्व और पूजा विधि
- ज्योतिर्लिंग का पूजन: यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, और विशेष पूजन करते हैं.
- नर्मदा आरती: हर शाम नर्मदा तट पर भव्य आरती होती है, जिसमें सैकड़ों दीपों की रोशनी और मंत्रोच्चार से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है.
- महाशिवरात्रि: इस पर्व पर लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. विशेष पूजा, रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है.
- तीर्थ स्नान: नर्मदा नदी में स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है.
ओंकारेश्वर की परिक्रमा
- छोटी परिक्रमा: लगभग 7 किलोमीटर लंबा मार्ग, जिसमें अनेक मंदिर, आश्रम और प्राकृतिक दृश्य आते हैं.
- बड़ी परिक्रमा: तीन दिन की यात्रा, जिसमें सभी प्रमुख तीर्थों के दर्शन होते हैं.
- विशेष स्थल: कोटितीर्थ, चक्रतीर्थ, रामेश्वर मंदिर, गौरीसोमनाथ, अविमुक्तेश्वर, ज्वालेश्वर, केदारेश्वर, अन्नपूर्णा, सिद्धनाथ, काशी विश्वनाथ, ब्रह्मेश्वर आदि.
दर्शनीय स्थल और अन्य मंदिर (Places of Interest and Other Temples)

स्थल का नाम | विशेषता/महत्व |
---|---|
ममलेश्वर (अमरेश्वर) | नर्मदा के दक्षिणी तट पर, द्वितीय ज्योतिर्लिंग |
गौरीसोमनाथ | विशाल लिंगमूर्ति, तीन मंजिला मंदिर |
कुबेर भंडारी मंदिर | कुबेर की तपस्या स्थल, धनतेरस पर विशेष पूजन |
अन्नपूर्णा मंदिर | अन्न की देवी, भक्तों को प्रसाद वितरण |
सिद्धनाथ मंदिर | प्राचीन मंदिर, अद्वितीय स्थापत्य |
ऋणमुक्तेश्वर | ऋणमुक्ति के लिए प्रसिद्ध |
त्रिवेणी संगम | नर्मदा, कावेरी और अन्य धाराओं का संगम |
आदि शंकराचार्य गुफा | अद्वैत वेदांत का प्रचार, गुरु गोविंदपाद से भेंट |
ओंकारेश्वर यात्रा गाइड (Omkareshwar Travel Guide)
1. सड़क मार्ग (By Road)
ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है और देश के विभिन्न भागों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. इंदौर, खंडवा, देवास, उज्जैन और भोपाल जैसे प्रमुख शहरों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं. इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है. इसके अलावा टैक्सी और निजी वाहन से यात्रा करना भी सुविधाजनक होता है, क्योंकि रास्ता सुंदर और सुरक्षित है.
2. रेल मार्ग (By Train)
ओंकारेश्वर तक रेल द्वारा पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है “ओंकारेश्वर रोड स्टेशन”, जो कि ओंकारेश्वर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है. यहां से टैक्सी या ऑटो द्वारा मंदिर परिसर तक पहुंचा जा सकता है.
3. हवाई मार्ग (By Air)
अगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं, तो ओंकारेश्वर के सबसे निकटतम हवाई अड्डा है इंदौर का देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो लगभग 85–90 किलोमीटर दूर है. एयरपोर्ट से ओंकारेश्वर तक टैक्सी की सुविधा उपलब्ध रहती है.
ठहरने की व्यवस्था
- सामान्य से लेकर वातानुकूलित होटल, धर्मशालाएं, रेस्टोरेंट्स
- नर्मदा तट पर नए घाटों का निर्माण, पुराने घाटों की मरम्मत
यात्रा का सर्वोत्तम समय
- अक्टूबर से मार्च: मौसम सुहावना, भीड़ कम, यात्रा सुखद
- महाशिवरात्रि: विशेष धार्मिक आयोजन, भारी भीड़
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: तथ्य (Omkareshwar Jyotirlinga: Facts)
तथ्य | विवरण |
---|---|
स्थान | मन्धाता द्वीप, नर्मदा नदी, खंडवा, म.प्र. |
ज्योतिर्लिंग क्रम | चौथा (12 में से) |
द्वीप का आकार | ॐ (ओम) के समान |
प्रमुख मंदिर | ओंकारेश्वर, ममलेश्वर |
स्थापत्य शैली | नागर व द्रविड़ मिश्रित |
प्रमुख पर्व | महाशिवरात्रि, श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा |
परिक्रमा मार्ग | छोटी (7 किमी), बड़ी (तीन दिन) |
दर्शनीय स्थल | 68 तीर्थ, 33 कोटि देवता, 108 शिवलिंग |
प्रमुख नदी | नर्मदा |
प्रमुख आरती | नर्मदा आरती |
प्रमुख कथा | राजा मान्धाता की तपस्या |
प्रमुख दर्शनीय स्थल | कुबेर भंडारी, गौरीसोमनाथ, अन्नपूर्णा, आदि शंकराचार्य गुफा |
ओंकारेश्वर की आध्यात्मिक ऊर्जा

ओंकारेश्वर न केवल एक मंदिर है, बल्कि यह एक जीवंत आध्यात्मिक केंद्र है. यहां की वायु में मंत्रों की गूंज, नर्मदा की कलकल ध्वनि, दीपों की रोशनी और भक्तों की आस्था मिलकर एक अद्भुत वातावरण रचते हैं. यहां आकर हर व्यक्ति को आत्मिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन के प्रति नई दृष्टि मिलती है. कहा जाता है कि यहां की यात्रा से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ओंकारेश्वर: संस्कृति, कला और परंपरा (Omkareshwar: Culture, Art, and Tradition)
- नृत्य, संगीत और भजन: मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, शास्त्रीय संगीत और नृत्य का आयोजन होता है.
- मेला और उत्सव: महाशिवरात्रि, श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा पर विशाल मेले लगते हैं.
- स्थानीय हस्तशिल्प: नर्मदा के पत्थरों से बनी शिवलिंग, रुद्राक्ष माला, पूजा सामग्री की दुकानें
ओंकारेश्वर की यात्रा: अनुभव और सुझाव

- परिक्रमा अवश्य करें: ओंकार पर्वत की परिक्रमा से अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव मिलता है.
- नर्मदा स्नान: सुबह-सुबह नर्मदा में स्नान करें, यह अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है.
- आरती में भाग लें: शाम की नर्मदा आरती में शामिल होकर दिव्य ऊर्जा का अनुभव करें.
- स्थानीय भोजन: यहां के प्रसाद, हलवा, पूड़ी-सब्जी, और स्थानीय व्यंजन अवश्य चखें.
- फोटोग्राफी: मंदिर, घाट, नर्मदा तट, पर्वत और प्राकृतिक दृश्य फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त हैं.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास, कला और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है. यहां की यात्रा हर शिवभक्त के लिए जीवन का अविस्मरणीय अनुभव है. नर्मदा की गोद में बसा यह स्थल हर आगंतुक को शांति, ऊर्जा और मोक्ष की अनुभूति कराता है. यदि आप जीवन में सच्ची शांति, आस्था और आध्यात्मिकता की तलाश में हैं, तो ओंकारेश्वर की यात्रा अवश्य करें—यह अनुभव आपको जीवनभर प्रेरित करता रहेगा.
प्रेरणादायक पंक्तियां (Inspirational Lines)
“जहां नर्मदा की लहरें गाती हैं,
वहां ओंकारेश्वर की घंटियां बजती हैं.
शिव की महिमा, आस्था की शक्ति,
यही है ओंकारेश्वर की असली भक्ति.”