Sharad Purnima 2024 : आज रात चंद्रमा की रोशनी में रखें खीर, इसे कल सुबह खाने से घर में होगी सुख-शांति और समृद्धि की वृद्धि

Sharad Purnima 2024 : आज रात चंद्रमा की रोशनी में रखें खीर, इसे कल सुबह खाने से घर में होगी सुख-शांति और समृद्धि की वृद्धि

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, October 16, 2024

Updated On: Monday, January 20, 2025

sharad purnima 2024
sharad purnima 2024

शरद पूर्णिमा के अवसर पर शुद्ध और शांत मन से मीठी 'खीर' पकाई जाती है। इस खीर को पूरी रात चांदनी में रखा जाता है। फिर अगले दिन प्रसाद के रूप में यह खीर खाई जाती है। माना जाता है कि चांदनी में खीर में ओस की बूंद रूपी अमृत की बरसात होती है। इसे खाने से स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों की बढ़ोत्तरी होती है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Monday, January 20, 2025

हमारी संस्कृति और परंपरा में कई त्योहार हैं, जो प्रकृति प्रेम सिखाते हैं। तन और मन को शुद्ध और शांत करना सिखाते हैं। ऐसा ही त्योहार है शरद पूर्णिमा। शरद पूर्णिमा के दिन आसमान में पूरा चांद दिखाई देता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन वातावरण शुद्ध होता है और ओस की बूंदों में अमृत मौजूद होते हैं। इसलिए इस दिन शांत और खुशी मन से खीर बनाई जाती है। इस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रात भर छोड़ दिया जाता है। इस खीर को सुबह प्रसाद के रूप में खाया और खिलाया जाता है। आइये जानते हैं शरद पूर्णिमा की महत्ता (Sharad Purnima 2024) को।

शरद पूर्णिमा ही अश्विन पूर्णिमा है (Sharad Purnima 2024 or Ashwin Purnima 2024)

शरद पूर्णिमा को अश्विन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। अश्विन महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यह मनाई जाती है। इसे सबसे पवित्र पूर्णिमा तिथियों में से एक माना जाता है। यह तिथि आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ती है। यह शुभ अवसर वर्षा ऋतु से शरद ऋतु में प्रवेश का प्रतीक है।

चंद्र देव और देवी लक्ष्मी की पूजा (Sharad Purnima Significance)

शरद पूर्णिमा का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भक्त धन और समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए चंद्र देव और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को विशेष माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा चमकता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपने सभी 16 चरणों या ‘कलाओं’ से भरा होता है। काशी के विद्वतजनों के अनुसार, इस वर्ष शरद पूर्णिमा बुधवार, 16 अक्टूबर को पूरे देश में मनाई जा रही है। यह रात 8:40 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे समाप्त होगी। बुधवार को चंद्रोदय शाम 5:06 बजे होगा।

खीर खाने का अनुष्ठान (Sharad Purnima Rituals)

इस अवसर पर अध्यात्म के दृष्टिकोण से खूबसूरत परंपरा का पालन किया जाता है। इस अवसर पर शुद्ध और शांत मन से मीठी ‘खीर’ पकाई जाती है। इस खीर को पूरी रात चांदनी में रखा जाता है। फिर अगले दिन प्रसाद के रूप में यह खीर खाई जाती है। माना जाता है कि चांदनी में खीर में ओस की बूंद रूपी अमृत की बरसात होती है। इसे खाने से स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों की बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन लोगों को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान कर लेना चाहिए। आज विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा की जाती है। शुभ समय में देवी लक्ष्मी की मूर्ति को लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। उन्हें पान और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। प्रिय देवता को प्रसाद के रूप में दूध, शहद, दही, चीनी और घी के साथ तुलसी के पत्तों का मिश्रण ‘पंचामृत’ बना कर अर्पित किया जाता है।

शरद पूर्णिमा पर खीर कब खाएं (When to eat kheer on Sharad Purnima 2024)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा सर्दियों के महीनों की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन चंद्र देव की पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार, लोग शरद पूर्णिमा में दिन में चावल की खीर बनाते हैं और की रात को इसे चांदी के बर्तन में खुले आसमान के नीचे रखते हैं। अगली सुबह इसका सेवन किया जाता है। 16 अक्टूबर को पवित्र मन से तैयार की गई खीर को रात में चंद्रमा की रोशनी में रख दें। 17 अक्टूबर को सुबह इस खीर को ग्रहण किया जा सकता है।

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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