देवघर के श्रावणी मेला की व्यवस्था में AI Technique का होगा बमबम

देवघर के श्रावणी मेला की व्यवस्था में AI Technique का होगा बमबम

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, July 8, 2025

Last Updated On: Tuesday, July 8, 2025

Deoghar Shravani Mela 2025 में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए AI तकनीक, ड्रोन, CCTV, RFID जैसी अत्याधुनिक व्यवस्थाएं की गई हैं.
Deoghar Shravani Mela 2025 में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए AI तकनीक, ड्रोन, CCTV, RFID जैसी अत्याधुनिक व्यवस्थाएं की गई हैं.

11 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाले श्रावणी मेला की तैयारी शिवजी के एक धाम बाबा वैद्यनाथ धाम में भी हो रही है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर में लगने वाले श्रावणी मेला की इस बार विशेष तैयारी की जा रही है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, July 8, 2025

Deoghar Shravani Mela 2025: श्रावणी मेला 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस अवसर पर कांवड़ यात्री गंगा जल भर कर शिव मंदिर में शिव जी का जलाभिषेक करते हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर (झारखंड) के बाबा वैद्यनाथ शिवजी का भी भक्तगण जलाभिषेक करते हैं. इस अवसर पर देवघर में भी श्रावणी मेला की विशेष तैयारी की जाती है. इस बार की तैयारी बेहद ख़ास है, क्योंकि एआई बेस्ड तकनीक की मदद ली गई है. जानते हैं बाबा वैद्यनाथ धाम में श्रावणी मेला को लेकर खास तैयारी के बारे में.

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ

बाबा बैद्यनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. देवघर स्थित यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भगवान शिव को समर्पित सबसे पूजनीय मंदिर है. ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, मंदिर का मूल निर्माण 8वीं शताब्दी में नागवंशी वंश के पूर्वज पूरन मल ने करवाया था. सदियों से मंदिर ने कई जीर्णोद्धार और विस्तार देखे हैं. ये विभिन्न स्थापत्य शैलियों और सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाते हैं. वर्तमान संरचना का श्रेय 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह को दिया जाता है. यह नागरा और द्रविड़ शैलियों का मिश्रण है.

बाबा बैद्यनाथ मंदिर की कथा

बाबा बैद्यनाथ मंदिर की कहानी पुराणों में शिव और रावण से जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार, रावण भगवान शिव को लंका ले जाना चाहता था. वह शिवजी के प्रतीक स्वरुप शिवलिंग को ले जा रहा था. भगवान विष्णु ने अपनी माया से ब्राह्मण का रूप धारण कर शिवलिंग को जमीन पर रख दिया. इससे वह वहीं स्थापित हो गया. यही स्थान बाद में बाबा बैद्यनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

एआई बेस्ड तकनीक से मेला परिसर की निगरानी

श्रावणी मेला 11 जुलाई से नौ अगस्त तक चलेगा. इस दौरान देवघर में श्रद्धालुओं के लिए खास इंतजाम किया जा रहा है. श्रावणी मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए वीआईपी, वीवीआईपी दर्शन पूर्ण रूप से बंद कर दी जाएगी. एआई बेस्ड तकनीक से पूरे मेला परिसर की निगरानी की जा रही है. श्रावणी मेले के दौरान एआई बेस्ड इंट्रीगेटेड मेला कंट्रोल रूम, एआई बेस्ड 200 कैमरा, चैट बोर्ड-इंफॉरमेशन फीडबैक व हेल्पलाइन, एआई बेस्ड ट्रैफिक मैनजेमेंट सिस्टम, सामान्य कैमरा 700, एआई बेस्ड 10 ड्रोन, 40 टेलीविजन, फेस रिकोग्नाइशन कैमरा आदि का उपयोग किया जाएगा.

रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन का होगा प्रयोग

रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन के माध्यम से खासकर छोटे बच्चों पर नजर रखी जाएगी. RFID कार्ड एक ऐसी तकनीक है, जिसमें रेडियो तरंगों का उपयोग कर वस्तुओं या व्यक्तियों की पहचान की जाती है. इसके जरिए मेले में बिछड़े छोटे बच्चों को उनके परिवार से मिला जाएगा. ओपी, ट्रैफिक ओपी, स्वास्थ्य केंद्र, सूचना सह सहायता केंद्र, विद्युत केंद्र, पर्यटन केंद्र, मातृत्व विश्राम गृह, श्रद्धालुओं के लिए बनाए जाने वाले टेंट, मेला क्षेत्र में शौचालय, पेयजल, स्नानगृह, कूड़ेदान, साफ-सफाई व कचड़ा उठाव की व्यवस्थाओं को 24 घंटे दुरूस्त रखने की भी व्यवस्था की जा रही है. साथ ही मेला क्षेत्र में पथ प्रकाश, साज-सज्जा, तोरण द्वार व बिजली आपूर्ति को लेकर सुरक्षात्मक उपायों के अलावा वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था की स्थिति भी दुरूस्त रखने की कवायद की जाएगी.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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