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5 से 8 जून तक लद्दाख में सिंधु दर्शन यात्रा उत्सव का आयोजन, क्या है सिंधु की धार्मिक महत्ता
5 से 8 जून तक लद्दाख में सिंधु दर्शन यात्रा उत्सव का आयोजन, क्या है सिंधु की धार्मिक महत्ता
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, April 17, 2025
Last Updated On: Thursday, April 17, 2025
ऋग्वेद में सिंधु नदी का उल्लेख किया गया है और हिंदू शब्द की उत्पत्ति का श्रेय भी इसे ही दिया जाता है. सिंधु के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाने के लिए लद्दाख में 5 से 8 जून तक सिंधु दर्शन यात्रा उत्सव का आयोजन किया जाएगा.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, April 17, 2025
Sindhu Darshan Yatra 2025 : भारतीय सिंधु सभा की ओर से सिंधु दर्शन यात्रा उत्सव 2025 का आयोजन आगामी 5 से 8 जून को लेह लद्दाख में किया जायेगा. इसका आनलाइन रजिस्ट्रेशन 30 अप्रैल तक किया जाएगा. भारतीय सिंधु सभा के प्रदेश प्रभारी मूलचंद बसंताणी ने बताया कि 5 से 8 जून तक लेह में सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन किये जाएंगे. समारोह में देश भर से संत महात्मा व संगठन के केंद्रीय पदाधिकारी सम्मिलित होगें.
यात्रा उत्सव का उद्देश्य (Yatra Utsav Aim)
हिंदू धर्म में सिंधु को गंगा की तरह माता माना गया है. इसलिए सिंधु के दर्शन, सिंधु घाट पर स्नान व पूजन, बहिराणा पूजन, हवन यज्ञ, अलग अलग प्रदेशों से आये सांस्कृतिक दलों द्वारा अपनी प्रस्तुति दी जाएगी. सिंधु माता का आशीर्वाद सभी को मिले व तीर्थयात्रा के साथ राष्ट्र भक्ति की भावना भी बढे़. इस यात्रा उत्सव का यही उद्देश्य है. लेह लद्दाख में वर्ष भर यात्री सम्मिलित होते हैं.
सड़क और वायु मार्ग के विकल्प
यात्रा में शामिल होने के लिए सड़क एवं वायु मार्ग के विकल्प उपलब्ध हैं. वायु मार्ग से 5 जून सुबह लेह पहुंचना है. 5, 6, 7, 8 जून आयोजन एवं लेह भ्रमण व 9 जून सुबह रवानगी होगी. सड़क मार्ग जिसमें जम्मू-लेह-जम्मू, जम्मू लेह चंडीगढ और जम्मू लेह मार्ग से तीर्थयात्री सम्मिलित हो सकेंगे. यात्रा 31 मई से शुरू होकर 12 जून तक समाप्त होगी.
ऋग्वेद में सिंधु नदी का उल्लेख (Sindhu River in Rigved)
सिंधु नदी का उल्लेख वेदों में भी है. अफगानिस्तान की नदी कुंभा नदी और सिंधु नदी व इसकी पांच मुख्य शाखाओं का उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है. सिंधु नदी ऋग्वेद में सबसे अधिक बार उल्लेखित नदी है. गंगा नदी का उल्लेख ऋग्वेद संहिता में भी किया गया है. भारत की सात सबसे पवित्र नदियों में से सिंधु महत्वपूर्ण है, क्योंकि सिंधु के कारण ही भारत को अपना नाम मिला है. सिंधु-इंडस-इंडिका-इंडिया). ऋग्वेद में सिंधु नदी को बहुत पवित्र बताया गया है और ‘सिंधु’ नाम से ही ‘हिंदू’ शब्द भी आया है.
सप्त सिंधु का आध्यात्मिक महत्व (Sapt Sindhu Spiritual Significance)
सिंधु मतलब पवित्र. भारत की सात पवित्र नदियों को सप्त सिंधु के नाम से जाना जाता है. ये गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी और सिंधु हैं. इन नदियों का हिंदू धर्म में बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है. माना जाता है कि इनके पानी में शुद्धिकरण और शुभ गुण होते हैं. वैदिक साहित्य में सरस्वती नदी का बार-बार उल्लेख मिलता है (गंगा नदी से 80 गुना अधिक). किसी अन्य नदी को सरस्वती जितना महत्व और सम्मान नहीं मिला है. सरस्वती नदी की महिमा में विभिन्न ऋषियों ने वैदिक भजन रचे हैं.
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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