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Lord Brahma: सृष्टि के रचनाकार और पालनहार हैं भगवान ब्रह्मा
Lord Brahma: सृष्टि के रचनाकार और पालनहार हैं भगवान ब्रह्मा
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, April 24, 2025
Last Updated On: Thursday, April 24, 2025
Lord Brahma: हिंदू धर्म की मान्यता है कि देव संपूर्ण जगत के पालनहार हैं. पौराणिक ग्रंथों में 10 देव को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना, विष्णु जगत के पालन का कार्य और महेश अर्थात भगवान शिव सृष्टि का संहार करते हैं. इस आलेख में हम हिरण्यगर्भ कहे जाने वाले सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की चर्चा कर रहे हैं.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, April 24, 2025
Lord Brahma: द्रिक पंचांग पर उपलब्ध जानकारियों के अनुसार, ईश्वर को हिंदू धर्म में ब्रह्म की संज्ञा दी गई है. पुराणों के अनुसार यही ब्रह्म सृष्टि के विकास के तीन महत्वपूर्ण कार्य अर्थात सृजन, पालन और संहार के लिए विभिन्न रूपों में प्रकट होकर एक से अनेक हो जाते हैं. भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना, विष्णु जगत के पालन का कार्य और महेश अर्थात भगवान शिव क्रमश: सृष्टि का संहार करते हैं. यहां ब्रह्मा और ब्रह्म में बहुत अंतर है. यहां हम सृष्टिकर्ता ब्रह्मा (Universe Creator Lord Brahma) की चर्चा कर रहे हैं. उनका एक नाम हिरण्यगर्भ भी है, क्योंकि संपूर्ण ब्रह्मांड उन्हीं (Lord Brahma) से उत्पन्न हुआ है.
ब्रह्मा की उत्पत्ति की कथा (The story of the origin of Brahma)
हिंदू धर्मग्रंथों से स्पष्ट है कि भगवान ब्रह्मा का जन्म श्री हरि विष्णु की नाभि से हुआ था. इसलिए उन्हें भगवान विष्णु का पुत्र भी माना जाता है. भगवान ब्रह्मा की कथा के अनुसार, जब श्री नारायण योगनिद्रा में लीन थे, तब उनकी नाभि से एक दिव्य कमल प्रकट हुआ. इस दिव्य कमल से स्वयंभू ब्रह्मा प्रकट हुए. तब ब्रह्मा जी को संदेह हुआ कि वे इस विशाल शून्य से कैसे और क्यों प्रकट हुए हैं. वे सोचने लगे कि, “मैं कौन हूँ, जो इस कमल के फूल पर बैठा हूँ?” अपनी उत्पत्ति का स्रोत जानने के लिए ब्रह्मा जी ने घोर तपस्या की. लंबी तपस्या के फलस्वरूप भगवान विष्णु ध्यान में लीन होकर उनके सामने प्रकट हुए. उन्होंने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना के लिए प्रेरित किया.
जगत के पिता हैं ब्रह्मा (Universe Father Brahma)
मत्स्य पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जिनसे चार वेदों की उत्पत्ति मानी जाती है. इसी प्रकार उनके चार हाथों में क्रमशः वेद, कमंडलु, अक्षर सूत्र और वरद मुद्रा है. ब्रह्मा जी का मुख्य कार्य सृष्टि रचना है. ब्रह्मा जी ही प्रजापतियों के माध्यम से सभी प्रकार के चर और अचर प्राणियों की रचना करते हैं. सभी पुराणों में ब्रह्मा जी को जगत का पिता माना गया है. ब्रह्मा जी को सभी देवता और दानव पितामह भी कहते हैं.
ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री (Lord Brahma Wife)
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी हैं और देवी सरस्वती उनकी पुत्री हैं. ब्रह्मा जी की सवारी हंस है. देवी सरस्वती ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थीं. सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार भगवान ब्रह्मा के चार पुत्र हैं, जो सामूहिक रूप से सनकादि ऋषियों के नाम से सभी लोकों में प्रसिद्ध हैं.
ब्रह्मा के मानसपुत्र (Lord Brahma Sons)
सनकादि ऋषियों के प्रकट होने के बाद भगवान ब्रह्मा ने अपने दस अंगों से दस अन्य मानसपुत्रों को प्रकट किया था, जिनमें नेत्रों से अत्रि, मुख से अंगिरस, कानों से पुलस्त्य, मन से मरीचि, नाभि से पुलह, हाथ से क्रतु, त्वचा से भृगु, प्राण यानी चेतना से वशिष्ठ, अंगूठे से दक्ष और गोद से नारद प्रकट हुए. इन्हीं मरीचि ऋषि के पुत्र महर्षि कश्यप थे जिनसे जीवों के विभिन्न समुदाय उत्पन्न हुए, मैथुनी सृष्टि बनाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने स्वयं को दो भागों में विभाजित किया और मनु और शतरूपा को उत्पन्न किया, जिनसे संपूर्ण मानव जाति की उत्पत्ति हुई.
भगवान ब्रह्मा का पर्व (Lord Brahma Festival)
- उगादि
- कार्तिक पूर्णिमा
भगवान ब्रह्मा के मंत्र ((Lord Brahma Mantra)
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ प्रजापतये नमः
भगवान ब्रह्मा के मंदिर (Lord Brahma Temple)
सृष्टिकर्ता होने के बावजूद भगवान ब्रह्मा की पूजा बहुत कम देखने को मिलती है. ब्रह्मा जी की पूजा सर्वतोभद्र और लिंगदोभद्र जैसे चक्रों में की जाती है, लेकिन उनकी शारीरिक पूजा भी पुष्कर तीर्थ और ब्रह्यावर्त तीर्थ में ही होती है. मत्स्य पुराण में भगवान ब्रह्मा की मूर्ति पूजा का विस्तार से वर्णन किया गया है. आम तौर पर लोग भगवान ब्रह्मा की पूजा नहीं करते हैं, लेकिन देवता और असुर अक्सर भगवान ब्रह्मा की पूजा करते हैं. भगवान ब्रह्मा ने रावण, हिरण्यकश्यप और त्रिपुरासुर को अवध्य होने का वरदान दिया था, यानी किसी के द्वारा न मारा जा सकने का.
भारत में निम्नलिखित स्थानों पर भगवान ब्रह्मा के मंदिर हैं
- ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर तीर्थ, अजमेर
- आसोतरा ब्रह्मा मंदिर, बाड़मेर
- आदि ब्रह्मा मंदिर, खोखन, कुल्लू घाटी
- ब्रह्मा मंदिर, कुंभकोणम
- ब्रह्मापुरीश्वर मंदिर, तिरुपत्तूर
- ब्रह्मा करमाली मंदिर, पणजी
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