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Vaibhav Lakshmi : लक्ष्मी जी की स्वरुप वैभव लक्ष्मी देती हैं दोनों हाथों से आशीर्वाद
Vaibhav Lakshmi : लक्ष्मी जी की स्वरुप वैभव लक्ष्मी देती हैं दोनों हाथों से आशीर्वाद
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, April 7, 2025
Updated On: Monday, April 7, 2025
लक्ष्मी जी की स्वरुप हैं वैभव लक्ष्मी. धन और वैभव की देवी लक्ष्मी को समर्पित है वैभव लक्ष्मी व्रत. यह व्रत शुक्रवार को किया जाता हैइसे करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है. इस स्वरुप में मां दोनों हाथों से आशीर्वाद देती हैं.
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, April 7, 2025
कानपुर के फीलखाना स्थान पर विराजमान हैं वैभव लक्ष्मी (Vaibhav Lakshmi). वैभव लक्ष्मी मंदिर में मां की मूर्ति स्थापित हैं. मंदिर के संरक्षक दावा करते हैं कि पूरे भारत मे ऐसी मूर्ति और कहीं नहीं है. यही कारण है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर विराजमान लक्ष्मी माता अपने दोनों हाथों से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं.
लक्ष्मी माता दोनों हाथों से भक्तों को देती हैं आशीर्वाद
देश भर में देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों के तमाम मंदिर स्थापित हैं. सभी मंदिर अपनी विशेषताओं और मान्यताओं के लिए भी जाने जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर कानपुर के फीलखाना स्थित वैभव लक्ष्मी मंदिर है. यहां पर स्थापित वैभव लक्ष्मी की मूर्ति का स्वरूप बिल्कुल अलग है. दरअसल मंदिर में विराजमान लक्ष्मी माता अपने दोनों हाथों से भक्तों को आशीर्वाद दे रहीं हैं. वेदों और पुराणों के अनुसार कमल के फूल पर विराजमान लक्ष्मी माता के एक हाथ में कमल का फूल और दूसरे हाथ से आशीर्वाद या धन की वर्षा करती हैं.
कन्या स्वरूप मां ने सपने में दिए थे दर्शन
मंदिर के संरक्षक आनन्द कपूर ने बताया, ‘साल 2001 में उन्हें एक सपना आया. जिसमें एक छोटी सी कन्या अपने दोनों हाथों से आशीर्वाद देते हुए उनसे बोली कि मैं माता लक्ष्मी हूं. मुझे स्थान देते हुए मेरी पूजा अर्चना करो. हालांकि उस समय कपूर परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. इसलिए उन्होंने इस बात को कुछ समय के लिए टाल दिया, लेकिन कहीं न कहीं उन्हें यह सपना लगातार बेचैन भी कर रहा था। कुछ समय बाद खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करते हुए साल 2002 में बसंत पंचमी के अवसर पर दोनों हाथों से आशीर्वाद देती हुई मूर्ति स्थापित कराई गई. स्त्री-पुरुष देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हुए श्वेत पुष्प, श्वेत चंदन से पूजा कर तथा चावल और खीर से भगवान को भोग लगाकर पूजा संपन्न करते हैं.
नवरात्रि में पड़ने वाले शुक्रवार के दिन वितरित किया जाता है खजाना
साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दिनों में शुक्रवार के दिन मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को खजाना वितरित किया जा रहा है, इसे लेने के लिए कानपुर ही नही बल्कि उसके आस-पास के जिलों से हजारों की संख्या में भक्त घंटों लाइनों में लग कर मां के आशीर्वाद रूपी खजाने को प्राप्त करते हैं.
मंदिर आकर हाथों में मेहंदी लगवाने की प्रथा
इस मंदिर की मान्यता यह भी है कि जिस किसी लड़के या लड़की के विवाह में कोई रुकावट आ रही है, वह हरतालिका तीज के अवसर पर यहां हाथों में मेहंदी लगवाये. इससे साल के भीतर विवाह का योग बनता है, साथ ही हर साल बसंत पंचमी के दिन मंदिर की स्थापना दिवस के अवसर पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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