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Vijaya Ekadashi 2025 : 23 फरवरी या 24 फरवरी को है विजया एकादशी, दूर करें दुविधा
Vijaya Ekadashi 2025 : 23 फरवरी या 24 फरवरी को है विजया एकादशी, दूर करें दुविधा
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, February 14, 2025
Updated On: Friday, February 14, 2025
Vijaya Ekadashi 2025 : मान्यता है कि रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए श्रीराम ने विजय एकादशी व्रत रखा था. इसलिए यह एकादशी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. विजया एकादशी पर श्रीहरि के दोनों स्वरूपों श्रीविष्णु और श्रीराम दोनों की पूजा-अर्चना की जा सकती है. इस आलेख से जानते हैं इस वर्ष यह एकादशी 23 फरवरी को है या 24 फरवरी को.
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, February 14, 2025
Vijaya Ekadashi 2025: साल भर में 24 एकादशी (Ekadashi Vrat) मनाई जाती है. सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व है. एकादशी व्रत-उपवास श्रीविष्णु को समर्पित माना जाता है. भक्तगण मन की शांति और घर-परिवार में सुख-शांति-समृद्धि लाने के लिए एकादशी व्रत रखते हैं. कुछ एकादशी निर्जल व्रत लेने के साथ किया जाता है. विजय एकादशी का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. कुछ लोगों के मन में यह दुविधा है कि विजया एकादशी 23 फरवरी को है या 24 फरवरी को. विशेषज्ञ से इस शंका का समाधान करते हुए विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025) के महत्व के बारे में जानते हैं.
विजया एकादशी 2025 मुहूर्त (Vijaya Ekadashi 2025 Muhurta)
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल शास्त्री बताते हैं, ‘फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 23 फरवरी 2025 को दोपहर 1:55 बजे शुरू होगी और 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1:44 बजे समाप्त होगी. एकादशी के सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य उदय की महत्ता के कारण विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन विजय प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि विजया एकादशी ((Vijaya Ekadashi) की महिमा सुनने या पढ़ने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.’
पूजा मुहूर्त – सुबह 6:51 बजे से 8:17 बजे तक
पारण का समय (Ekadashi 2025 Parana) – सुबह 6:50 बजे से 9:08 बजे तक (25 फरवरी, 2025)
विजया एकादशी 2025 महत्व (Vijaya Ekadashi 2025 Significance)
विजया एकादशी की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता बहुत अधिक है. यह सुख, समृद्धि और सफलता लाने वाला माना जाता है. इस व्रत के प्रभाव से पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. विजया एकादशी विजय प्रदान करने वाला व्रत है। स्कंद पुराण के अनुसार, जब कोई व्यक्ति शत्रुओं से घिरा हो, तो विजया एकादशी व्रत कठिन परिस्थितियों में भी विजय सुनिश्चित कर सकता है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि लक्ष्य हमेशा सकारात्मक रखना है. नकारात्मक लक्ष्य को पाने में कभी सफलता नहीं मिलती है. कथा है कि रावण से युद्ध करने से पहले भगवान राम ने भी विजया एकादशी का व्रत रखा था. श्रीविष्णु के भक्त भी कर्मपथ पर चलते हुए इस व्रत के माध्यम से मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं.
श्रीविष्णु और श्रीराम दोनों का करें पूजन (Shree Vishnu and Shree Ram Puja)
भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए विजया एकादशी का व्रत रखा था. इस व्रत के प्रभाव से रावण की हार हुई और भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त की. वास्तव में विजया एकादशी अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है. इस तरह से इस एकादशी से श्रीविष्णु और श्रीराम दोनों जुड़े हैं. विजया एकादशी पर श्रीहरि के दोनों स्वरूपों श्रीविष्णु और श्रीराम दोनों की पूजा-अर्चना की जा सकती है.
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