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चमत्कार को नमस्कार
चमत्कार को नमस्कार
Authored By: विशेष खेल संवाददाता, गलगोटियाज टाइम्स
Published On: Thursday, July 18, 2024
Updated On: Friday, July 26, 2024
ओलंपिक यानी खेल की दुनिया का महामेला। सैकड़ों खिलाड़ी, दसियों देश और दांव पर हजारों मेडल। यूं तो हर खिलाड़ी की अभिलाषा मेडल जीतना ही होता है, लेकिन ओलंपिक में तो भाग लेना ही अपने आप में एचीवमेंट माना जाता है। कम से कम भारत के संदर्भ में बीते कुछ वर्षों तक तो यही कहा जाता रहा है, लेकिन अब तस्वीर तेजी से बदल रही है। सुनहरी भी हो रही है और सुखद भी।
पेरिस ओलंपिक 26 जुलाई से आरंभ हो रहे हैं, 11 अगस्त तक खेलों का यह महामेला चलेगा। तमाम यादें छोड़ जाएगा। तो हमने सोचा क्यों न आपको ओलंपिक और भारत की यारी के बारे में कुछ रोचक किस्से पढ़ाए जाएं। क्रिकेट क्रेजी देश में बाकी खेलों को हमेशा से दोयम स्थान मिलता रहा है, लेकिन अब ओलंपिक के लिए जोश-ओ-खरोश रहता है, जज्बा रहता है और रहता है इंतजार…कब खेल शुरू होंगे। इस सीरीज की पहली कड़ी में बात कि कैसे हमारी हाकी टीम पहली बार सितारा बनकर लौटी…
बात 1928 की है। तब आज की तरह हवाई जहाज से यात्रा का चलन नहीं था। पानी के जहाज से ही विदेश यात्रा की जाती थी। एम्सटर्डम में ओलंपिक होने थे। भारतीय हाकी टीम पहली बार ओलंपिक में भाग लेने जा रही थी। आज जिस हाकी टीम के ओलंपिक जादू का बखान करते हम थकते नहीं हैं, उस टीम को बांबे पोर्ट पर विदा करने के लिए मात्र तीन लोग ही आए थे। यह खेल का हाल था उस समय। मगर कहते हैं न कि चमत्कार को ही नमस्कार किया जाता है। यही भारतीय हाकी टीम जब एम्सटर्डम से सोने का पदक लेकर लौटी तो वही बांबे पोर्ट हजारों भारतवासियों से भरा पड़ा था, स्वागत को आतुर लोग।
यह तो हुई जीत के असर की बात। अब जरा सुनिए कैसे यही हीरो टीम अपने पहले ओलंपिक में जाने के लिए पैसों की कमी से जूझ रही थी। कुल 15 खिलाड़ी इस हाकी टीम के लिए चुने गए थे जिनमें से एम्सटर्डम जाने के लिए शिप पर सवार हो चुके थे। पैसे की कमी के कारण दो खिलाड़ियों को टीम से अलग कर दिया गया। हालांकि धन की व्यवस्था हुई और उन्हें भी अंतिम समय में जाने का मौका मिला। समझा जा सकता है कि सबसे बड़े खेल उत्सव में जा रही टीम का मनोबल क्या रहा होगा। इस पर एक और तनाव यह कि टीम बांबे के खिलाफ अभ्यास मैच हार चुकी थी सो लोगों में इस टीम को लेकर अधिक आशा भी नहीं थी, लेकिन टीम ने कमाल किया। पहले ही अभ्यास मैच में 1908 और 1920 की ओलंपिक चैंपियन इंग्लैंड को पराजित कर दिया।
अंग्रेज तो इससे सकते में आ गए थे और 1928 के ओलंपिक में भाग ही नहीं लिया। आपने फिल्म लगान तो देखी होगी, जिसमें गांव वालों की क्रिकेट टीम अंग्रेजों को हराकर लगान माफ करा लेती है, लेकिन इससे बहुत पहले ही हमारी हाकी टीम अंग्रेजों से लगान वसूल कर चुकी थी, वह भी उन्हीं की धरती लंदन में। दरअसल तैयारी के लिए टीम 20 दिन लंदन में रही और यहीं पर एक अभ्यास मैच में उसने दो बार की ओलंपिक चैंपियन टीम इंग्लैंड को हरा दिया। हार से बौखलाए अंग्रेजों ने ओलंपिक ही न खेलने का फैसला किया। हालांकि इसका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है कि भारत से हार के कारण इंग्लैंड की टीम ने उस बार ओलंपिक नहीं खेला, लेकिन खेल जगत में यह प्रसंग बहुत चर्चित रहा है कि इस फैसले के पीछे वजह भारत से हार ही थी। बहुत स्वाभाविक भी है यह। जिस देश पर अंग्रेज लंबे समय से राज कर रहे थे, भला उससे हार कैसे सहन कर सकते थे। भारतीय टीम के कप्तान से आदिवासी जयपाल सिंह मुंडा जो पहले लंदन में रहकर पढ़ाई कर चुके थे।
एम्सटर्डम ओलंपिक ही पहला ओलंपिक था जहां दुनिया में मेजर ध्यानचंद का जादू देखा। पहले ही मैच में आस्ट्रिया के खिलाफ मेजर साब ने छह गोल किए…अकेले दम। पूरी दुनिया ने देखा। इसके बाद तो एक के बाद एक मैचों में ध्यानचंद का जलवा बरकरार रहा और भारतीय टीम का भी। टीम ने सभी मैच जीते और फाइनल भी। ध्यानचंद में हैट्रिक भी बनाईं और भारतीय टीम पहला स्वर्ण पदक लेकर गर्व से सीना चौड़ाकर देश लौटी। खास बात यह कि भारत के खिलाफ एक भी गोल नहीं हुआ। स्वदेश वापसी पर हजारों प्रशंसकों के स्वागत की बात तो हम पहले कर ही चुके हैं। जो टीम ओलंपिक में जाने को तरस रही थी, वह अब ओलंपिक चैंपियन थी, लेकिन यह तो बस शुरुआत थी। एक लंबे ओलंपिक स्वर्णिम इतिहास की शुरुआत। तो बाकी की कहानी आगे की किस्तों में…
पेरिस ओलंपिक 2024 पदक तालिका
Rank | Country | Total | |||
---|---|---|---|---|---|
1 | USA | 27 | 35 | 32 | 94 |
2 | CHN | 25 | 23 | 17 | 65 |
3 | AUS | 18 | 13 | 11 | 42 |
4 | FRA | 13 | 17 | 21 | 51 |
5 | GBR | 12 | 17 | 20 | 49 |
6 | KOR | 12 | 8 | 7 | 27 |
7 | JPN | 12 | 7 | 13 | 32 |
8 | NED | 10 | 5 | 6 | 21 |
9 | ITA | 9 | 10 | 9 | 28 |
10 | GER | 8 | 5 | 5 | 18 |
33 | IND | 0 | 0 | 3 | 3 |