एनडीए क्यों नहीं रिझा पाई आदिवासियों को, झारखंड की आदिवासी का भरोसा अभी भी शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन पर ही

एनडीए क्यों नहीं रिझा पाई आदिवासियों को, झारखंड की आदिवासी का भरोसा अभी भी शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन पर ही

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, November 23, 2024

jharkhand tribal trust shibu hemant soren
jharkhand tribal trust shibu hemant soren

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने दिशोम गुरू यानी शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार पर भी भरोसा जताया है। पांच साल तक हेमंत सोरेन के कामों के जनता ने दूसरे मुख्यमंत्री के कार्यकाल से बेहतर माना।

असल में, झामुमो नेता और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव के दौरान लोगों को यह समझाने में सफल रहे कि केंद्र सरकार और भाजपा के नेताओं ने इन्हें जबरन जेल में डाल दिया। आदिवासियों की खनिज संपदा पर केंद्र सरकार की नजर है। जल जंगल और जमीन की बात को झामुमो जिस प्रकार से जनता के बीच ले गई, आदिवासियों ने उसको लेकर सहानुभूति दिखाई। नतीजा, राज्य में तीसरी बार बनेगी हेमंत सरकार।

सहानुभूति लहर का असर

हेमंत सोरेन पर चल रहे कानूनी और राजनीतिक हमलों के बीच उनकी छवि एक संघर्षशील और जमीनी नेता की बनी रही। ईडी जांच और भाजपा के आरोपों के बावजूद जनता ने उनके प्रति सहानुभूति और समर्थन दिखाया। आदिवासी समुदाय ने अपनी एकजुटता का परिचय देते हुए हेमंत सरकार के पक्ष में मतदान किया।

जनता का अटूट भरोसा

हेमंत सरकार की नीतियों, विशेष रूप से आदिवासी हितों को लेकर उठाए गए कदम, जैसे वनाधिकार कानून, शिक्षा सुधार और रोजगार सृजन, ने उन्हें जनता का प्रिय बना दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी योजनाओं का प्रभाव साफ तौर पर मतदाताओं के रुझान में दिखाई दिया।

एनडीए के लिए बड़ा झटका

एनडीए, विशेष रूप से भाजपा, ने चुनावी मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख अपनाया था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। जनता ने उनकी नीतियों को नकारते हुए हेमंत सोरेन को प्राथमिकता दी। यह हार विपक्ष के लिए झारखंड की राजनीति में पुनर्विचार की आवश्यकता को दर्शाती है।

एनडीए क्यों रही नाकाम

एनडीए की ओर से आदिवासी समुदाय को जोड़ने के प्रयासों में निरंतरता और स्थानीय मुद्दों की गहरी समझ की कमी नजर आई।

भाजपा की नीतियों पर अविश्वास: आदिवासी समुदाय में भाजपा के प्रति यह धारणा गहरी है कि उसकी नीतियां उनकी भूमि, जल और जंगल पर अधिकारों को कमजोर करती हैं।

हेमंत के खिलाफ हमले उलटे पड़े: ईडी और अन्य मुद्दों पर हेमंत सोरेन को घेरने की भाजपा की कोशिशें सहानुभूति लहर में बदल गईं। आदिवासी समुदाय ने इसे उनके नेता पर अन्याय के रूप में देखा।

शिबू सोरेन की विरासत का असर

झारखंड में शिबू सोरेन को अब भी “धरती पुत्र” के रूप में देखा जाता है। उनकी छवि और संघर्षपूर्ण इतिहास आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणादायक हैं। हेमंत सोरेन ने उनकी इस विरासत को न केवल संभाला है, बल्कि उसे और मजबूत किया है।

आदिवासी मुद्दों पर फोकस बना सफलता की कुंजी

हेमंत सोरेन ने न केवल आदिवासी हितों को प्राथमिकता दी है, बल्कि उनका प्रशासन ग्रामीण इलाकों और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी सक्रिय नजर आया है। उनकी “आदिवासी पहचान की राजनीति” ने एनडीए की नीतियों और अभियानों को कमजोर कर दिया।

झारखंड के इस चुनाव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आदिवासी समुदाय की आवाज और उनकी समस्याओं को समझे बिना राज्य की राजनीति में सफलता पाना मुश्किल है।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य राज्य खबरें