क्या ठाकरे परिवार दिखाएगा एकता? उद्धव और राज होंगे एक साथ!
क्या ठाकरे परिवार दिखाएगा एकता? उद्धव और राज होंगे एक साथ!
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, April 19, 2025
Updated On: Monday, April 21, 2025
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है. इस बार चर्चा का केंद्र है शिवसेना (Shivsena) के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का परिवार. उनके बेटे उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और भतीजे राज ठाकरे (Raj Thackeray)को लेकर सियासी कानाफूसी हो रही है. क्या लंबे समय से अलग राह पर चल रहे ठाकरे परिवार के ये दो नेता अब साथ आ सकते हैं? शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और मनसे (MNS) प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) एक साथ आएंगे ? यदि हां, तो इसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में कितना अंतर आएगा ? राजनीतिक गलियारों में ऐसे कई सवाल ने जोर पकड़ लिया है और इसके पीछे कई अहम संकेत भी देखे जा रहे हैं.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, April 21, 2025
Uddhav and Raj Thackeray Alliance : हाल ही में दोनों नेताओं के बीच बातचीत की खबरें सामने आई हैं. सूत्रों के मुताबिक, कुछ करीबी पारिवारिक सदस्यों और शिवसेना के पुराने वरिष्ठ नेताओं ने दोनों को एकजुट करने की पहल शुरू की है. माना जा रहा है कि राज्य की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों और शिवसेना के बंटवारे के बाद बदले समीकरणों को देखते हुए ठाकरे परिवार में एकता की जरूरत महसूस की जा रही है.
साझा ताकत एक बार फिर मराठी वोटबैंक को एकजुट कर सकती है
राज ठाकरे (Raj Thackeray), जो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख हैं, पिछले कुछ समय से BJP के साथ अपने रिश्तों को लेकर चर्चा में रहे हैं. वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) विपक्ष में रहकर लगातार BJP और शिंदे गुट पर हमलावर रही है. लेकिन अब बदलते राजनीतिक माहौल और आगामी चुनावों को देखते हुए दोनों नेताओं के बीच समझौते की संभावना जताई जा रही है. अगर यह एकता होती है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. ठाकरे परिवार की साझा ताकत एक बार फिर मराठी वोटबैंक को एकजुट कर सकती है और राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है.
BMC चुनाव पर दिखेगा असर!
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे के संभावित एक साथ आने की अटकलों ने राजनीतिक हलचल को और भी तेज कर दिया है. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि अगर ये दोनों कद्दावर नेता एक मंच पर आते हैं, तो इसका सीधा असर आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव पर पड़ सकता है. BMC चुनाव लंबे समय से टलते आ रहे हैं, लेकिन यह चुनाव मुंबई की राजनीति में सबसे अहम माना जाता है. वर्षों तक BMC पर शिवसेना का कब्जा रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी के टूटने और नई राजनीतिक समीकरण बनने से तस्वीर काफी बदल गई है. ऐसे में अगर उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आते हैं, तो यह मराठी मतदाताओं को फिर से एकजुट करने का बड़ा प्रयास माना जाएगा.
यह गठबंधन NDA के पर कितना डालेगा असर
यह हलचल उस वक्त और बढ़ गई जब इस साल के अंत तक मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव कराए जाने की संभावना जताई गई. ठाकरे परिवार के दो प्रमुख चेहरे – उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे – के बीच बढ़ती नजदीकियों ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का माहौल बना दिया है. दोनों नेताओं के बयानों ने संकेत दिए हैं कि वे आगामी निकाय चुनावों में एक साथ आ सकते हैं. इस संभावित गठजोड़ को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है. जहां BJP ने इसे “राजनीतिक मजबूरी” करार दिया, वहीं कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने ठाकरे परिवार के इस संभावित मेल को “सकारात्मक संकेत” बताते हुए इसका स्वागत किया है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर राज और उद्धव ठाकरे साथ आते हैं, तो मुंबई की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, खासकर BJP के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की दिशा में यह बड़ा कदम साबित हो सकता है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और NCP इस नए समीकरण से आशान्वित हैं और मान रही हैं कि ठाकरे परिवार की एकजुटता BJP को कड़ी चुनौती दे सकती है. यह भी माना जा रहा है कि अगर यह गठबंधन आकार लेता है, तो महाविकास आघाड़ी (MVA) के अंतर्गत एक मजबूत गठबंधन तैयार किया जा सकता है, जिससे BMC चुनाव में भाजपा की राह मुश्किल हो सकती है.
फडणवीस का बड़ा बयान: अगर बिछड़े लोग साथ आते हैं, तो खुशी की बात है
महाराष्ट्र की राजनीति में मचे सियासी घमासान के बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संभावित एकता पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अगर ठाकरे परिवार के दोनों प्रमुख नेता साथ आते हैं तो इसमें बुराई नहीं, बल्कि यह एक अच्छी बात है. फडणवीस ने अपने बयान में कहा, “अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ में आते हैं तो हमें खुशी होगी। अगर कोई भी बिछड़े लोग साथ में आते हैं या उनका विवाद खत्म होता है, तो ये एक सकारात्मक संकेत है. इसमें हमें बुरा मानने की क्या जरूरत है?” हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि इससे ज्यादा वह कुछ नहीं कह सकते. उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को एक राजनीतिक प्रक्रिया बताया और कहा, “उन्होंने (राज ठाकरे) ऑफर दिया, इन्होंने (उद्धव ठाकरे) जवाब दिया, फिर इन्होंने शर्तें रखीं, अब इस पर वो जवाब देंगे. इसमें मैं क्या बोलूं?”
राजनीतिक गलियारों में फडणवीस के इस बयान को काफी संतुलित और संयमित माना जा रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान भाजपा की ओर से किसी भी संभावित विपक्षी एकता को हल्के में लेने की कोशिश हो सकता है, या फिर यह दिखाने की रणनीति हो सकती है कि भाजपा को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता.
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