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Champai Soren: भाजपा में आते-आते क्यों रुक गए चंपई
Champai Soren: भाजपा में आते-आते क्यों रुक गए चंपई
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Wednesday, August 21, 2024
Updated On: Wednesday, August 21, 2024
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा के सामने मुख्यमंत्री पद की शर्त रखा था। बताया जाता है कि भाजपा ने इससे इंकार कर दिया। कारण यह बताया जा रहा है कि भाजपा के पास बाबू लाल मरांडी और अर्जुन मुंडा जैसे दो बड़े आदिवासी नेता हैं।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Wednesday, August 21, 2024
झारखंड विधानसभा चुनाव की अभी घोषणा नहीं हुई है। लेकिन वहां राजनीतिक सरगर्मी तेज है। चुनाव पूर्व पार्टी बदलने का खेला शुरू होने वाला है। इसमें सबसे बड़ा नाम पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम)के कद्दावर नेता चंपई सोरेन (Champai Soren) का है। चंपई तीन दिन पूर्व जेएमएम को अलविदा कह भाजपा का दामन थामने वाले थे। वे दिल्ली भी पहुंच गए थे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफोर्म से जेएमएम का नाम और झंडा हटा दिया था। पार्टी में हो रहे अपमान को लेकर ‘एक्स’ पर पत्र भी लिख चुके थे। अब वो तीन दिन दिल्ली में रहकर वापस अपने गांव चले गए हैं। आखिर फिर क्या हुआ कि भाजपा में उनके प्रवेश पर विराम लग गया।
मुख्यमंत्री पद की रखी शर्त
सूत्र बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा (BJP) के सामने मुख्यमंत्री पद की शर्त रखी थी। बताया जाता है कि भाजपा ने इससे इंकार कर दिया। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भाजपा के पास बाबू लाल मरांडी और अर्जुन मुंडा दो बड़े आदिवासी नेता हैं। दोनों मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यदि भाजपा सत्ता में आती है और किसी आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता है तो इनमें से किसी को भी पार्टी इस कुर्सी पर बैठा सकती है. इसलिए भाजपा ने चंपई को इसके लिए मना कर दिया है।
भाजपा (BJP) का ऑफर
भाजपा के सूत्रों की माने तो पार्टी ने उनसे मुख्यमंत्री के अलावा अन्य विकल्प के बारे में पूछा। इस पर उन्होंने कोई दूसरा विकल्प नहीं बताया। तब भाजपा ने उन्हें दो ऑफ़र दिया। पहला, झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें राज्यपाल बनाने का और दूसरा, उनके बेटे को विधानसभा चुनाव में टिकट देने का। चंपई के बेटे को सरायकेला, घाटशिला तथा पोटका में से किसी भी एक सीट पर टिकट देने का भाजपा ने ऑफ़र दिया है। इसके बाद चंपाई सोचने के लिए थोडा समय मांगा है।
झारखंड नेताओं का भाजपा पर दबाव
बताया जाता है कि झारखंड के भाजपा नेताओं ने भी राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने चंपई सोरेन को लेकर नाराजगी जताया है। पार्टी को प्रदेश के नेताओं ने सपष्ट कह दिया है कि दूसरे दलों से नेताओं को लाकर अपने कार्यकर्ताओं की मेहनत और त्याग को नजरंदाज नहीं किया जाएं। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है। कहा यह भी जा रहा है कि झारखंड के पार्टी नेताओं से राष्ट्रीय नेतृत्व ने चंपई मामले में चर्चा नहीं किया था। इसके बाद प्रदेश के नेताओं की नाराजगी का असर यह हुआ कि चंपई तीन दिन दिल्ली में रहे लेकिन उन्हें पार्टी में शामिल नहीं किया गया।
अभी बातचीत नहीं हुई है: मरांडी
इस पूरे घटनाक्रम पर झारखंड भाजपा के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने कहा कि चंपई सोरेन के भाजपा में आने को लेकर अभी हमसे कोई चर्चा नहीं हुई है। यह सिर्फ मीडिया का अफवाह है कि वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा से नाराज हैं। वहां उनका रोजाना अपमान हो रहा है। इस बारे में वे खुद सब चीज सार्वजनिक कर चुके हैं। चंपई सोरेन बहुत ही बरिष्ठ नेता है। वे भविष्य में क्या करेंगे, इस पर वे खुद निर्णय लेंगे। भाजपा में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने बताया कि अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। यदि वो भाजपा में आना चाहेंगे तो पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्णय लेंगे।
संन्यास नहीं लेंगे चंपई
चंपई सोरेन ने अपने पत्र में तीन विकल्प का जिक्र किया था। इसमें पहला विकल्प उन्होंने संन्यास लेना, दूसरा अलग पार्टी यह संगठन खड़ा करना और तीसरा विकल्प अच्छे साथी का साथ जाना। चंपई आज तीन बाद जब दिल्ली से अपने गांव वापस लौटे तो उन्होंने पहले विकल्प को अब ख़ारिज कर दिया। यानी अब वे संन्यास नहीं लेंगे।
चंपई अब दो विकल्प पर सोच-विचार करेंगे। संगठन बनाने या फिर किसी पार्टी में शामिल होंगे। इस पर आज उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों के बीच आएं हैं। अपने लोगों से बात करेंगे। संन्यास अब नहीं लेंगे। बल्कि अपने लोगों के लिए पूरे प्रदेश का दौरा करूंगा। वहीँ कुछ लोगों का यह भी कहना है कि चंपई झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद भाजपा में आ सकते हैं।