‘आकाश’ वायु रक्षा प्रणाली: कैसे बना भारत की रणनीति और वैश्विक ताकत का अभेद्य सुरक्षा कवच?
‘आकाश’ वायु रक्षा प्रणाली: कैसे बना भारत की रणनीति और वैश्विक ताकत का अभेद्य सुरक्षा कवच?
Authored By: Nishant Singh
Published On: Saturday, May 10, 2025
Updated On: Saturday, May 10, 2025
'आकाश' मिसाइल प्रणाली ने भारत की रक्षा नीति में क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी है. इस प्रणाली की हालिया घटनाओं में भूमिका, वैश्विक प्रभाव, आर्थिक संभावनाएं और भविष्य की रणनीतिक दिशा इसे भारत की सैन्य ताकत का आधुनिक प्रतीक बनाते हैं. जानिए इसकी क्षमताएं, समकक्ष प्रणालियों से इसकी तुलना, और क्यों यह बन रही है ग्लोबल गेमचेंजर.
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Saturday, May 10, 2025
भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है – ‘आकाश’ मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली. यह न केवल भारतीय वायुसेना और सेना की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि अब यह भारत को वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में भी स्थापित कर रही है.
‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली: एक परिचय
‘आकाश’ एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इसका निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा किया गया है. यह प्रणाली 2010 के दशक से भारतीय सेना और वायुसेना में सेवा में है.
‘आकाश’ की विशेषताएँ
- लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमता: ‘आकाश’ प्रणाली एक साथ 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और 12 पर एक साथ हमला कर सकती है.
- रडार प्रणाली: इसमें ‘राजेंद्र’ 3D रडार है, जो 360 डिग्री कवरेज प्रदान करता है और उच्च इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर्स (ECCM) क्षमता से लैस है.
- मोबिलिटी: यह प्रणाली पूरी तरह से मोबाइल है और इसे ट्रक या टैंक जैसे वाहनों पर तैनात किया जा सकता है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया संभव होती है.
- विविधता में क्षमता: यह प्रणाली लड़ाकू जेट, क्रूज मिसाइल, हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है.
विशेषता | विवरण |
---|---|
रेंज | 45 किमी तक |
ऊँचाई | 18,000 मीटर तक |
गति | मैक 2.5 (2,500 किमी/घंटा) |
लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमता | एक बैटरी 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है |
लॉन्च क्षमता | एक साथ 12 लक्ष्यों पर हमला कर सकती है |
वॉरहेड | 60 किलोग्राम प्री-फ्रैगमेंटेड हाई एक्सप्लोसिव |
गाइडेंस सिस्टम | सक्रिय रडार होमिंग |
लॉन्च प्लेटफॉर्म | T-72, BMP-2, ट्रक आधारित |
हालिया घटनाएँ: पाकिस्तान के ड्रोन हमलों का सामना
8 और 9 मई 2025 की रात को पाकिस्तान ने भारतीय शहरों को निशाना बनाकर कई ड्रोन हमले किए. भारतीय सेना और वायुसेना ने ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली का उपयोग करके इन हमलों को नाकाम किया. रक्षा अधिकारियों के अनुसार, ‘आकाश’ प्रणाली ने पश्चिमी सीमा और जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम किया और उनका जवाब दिया.
ड्रोन हमलों को विफल करना (2025)
- 8-9 मई 2025 की रात पाकिस्तान द्वारा 15 भारतीय शहरों पर किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को आकाश मिसाइल सिस्टम ने नाकाम किया.
- यह पहली बार था जब आकाश प्रणाली को वास्तविक समय में इतने बड़े पैमाने पर एक साथ तैनात किया गया.
LOC (नियंत्रण रेखा) की रक्षा
- जम्मू-कश्मीर में LOC पर तैनात रहकर ‘आकाश’ प्रणाली ने पाकिस्तान की तरफ से किए गए कई ड्रोन घुसपैठ प्रयासों को विफल किया.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की प्रतिक्रिया
- जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया, तो पाकिस्तान ने जवाबी हवाई हमलों की कोशिश की.
- आकाश मिसाइल ने कई दुश्मन ड्रोनों को सीमा पार करने से पहले ही नष्ट कर दिया.
हवाई सुरक्षा का मजबूत कवच
- यह प्रणाली प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों, तेल रिफाइनरियों, परमाणु संयंत्रों जैसे संवेदनशील ठिकानों की हवाई सुरक्षा के लिए तैनात की गई.
AAKASH मिसाइल प्रणाली की विशेषताओं का तुलनात्मक विश्लेषण
विशेषता | आकाश मिसाइल प्रणाली | S-400 (रूस) | पैट्रियट (अमेरिका) |
---|---|---|---|
अधिकतम रेंज | 45 किमी | 400 किमी | 160 किमी |
गति | मैक 2.5 | मैक 4 | मैक 4.5 |
रडार कवरेज | 80 किमी (मल्टीफंक्शन रडार) | 600 किमी | 200 किमी |
लागत | ₹2-3 करोड़ | ₹400-500 करोड़ | ₹300-400 करोड़ |
स्वदेशी निर्माण | हाँ | नहीं | नहीं |
‘AAKASH’ का वैश्विक प्रभाव
‘आकाश’ प्रणाली की सफलता ने इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है. 2024 में, आर्मेनिया ने ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली के लिए एक समझौता किया, जिसकी कीमत ₹6,000 करोड़ से अधिक थी. इसके बाद, वियतनाम, फिलीपींस, ब्राजील और मिस्र जैसे देशों ने भी इस प्रणाली में रुचि दिखाई है. ‘आकाश’ प्रणाली की 96% से अधिक सामग्री स्वदेशी है, जिससे यह भारत के आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
‘आकाश’ और ‘आकाश-एनजी’: भविष्य की दिशा
‘आकाश’ प्रणाली का उन्नत संस्करण ‘आकाश-एनजी’ (Next Generation) विकासाधीन है. इसमें 70 से 80 किमी तक की रेंज, सक्रिय रडार होमिंग, और जामिंग के प्रति बेहतर प्रतिरोध जैसी विशेषताएँ होंगी. ‘आकाश-एनजी’ प्रणाली को रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे आधुनिक युद्धों के अनुभवों से सीखा गया है.
‘आकाश’ प्रणाली का आर्थिक प्रभाव
‘आकाश’ प्रणाली की लागत पश्चिमी या रूसी प्रणालियों की तुलना में बहुत कम है. एक ‘आकाश’ मिसाइल की लागत लगभग ₹2.5 करोड़ है, जबकि समान विदेशी प्रणालियाँ ₹5-6 करोड़ की होती हैं. इससे भारत को विदेशी मुद्रा की बचत होती है और आत्मनिर्भरता की दिशा में मदद मिलती है.
‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली न केवल भारतीय रक्षा तंत्र की रीढ़ है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक भी है. इसकी सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर है और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है.
आकाश मिसाइल प्रणाली भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करती है.
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