Founder of World’s First ‘Answer Engine’ Company : जिन्हें आइआइटी में नहीं मिला मनचाहा ब्रांच, अमेरिका की MIT ने भी दाखिला देने से किया इंकार
Founder of World’s First ‘Answer Engine’ Company : जिन्हें आइआइटी में नहीं मिला मनचाहा ब्रांच, अमेरिका की MIT ने भी दाखिला देने से किया इंकार
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Friday, February 14, 2025
Updated On: Friday, February 14, 2025
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में इन दिनों भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर साइंटिस्ट एवं एंटरप्रेन्योर अरविंद श्रीनिवास (Aravind Srinivas) की खूब चर्चा हो रही है. उन्होंने एक ऐसी एआइ आधारित कंपनी की स्थापना की है, जो हर सवाल के सटीक जवाब देने का दावा करती है. यानी कंपनी का सर्च इंजन किसी वेबसाइट पर ले जाने की बजाय डायरेक्ट यूजर्स के सवालों का जवाब दे सकता है.
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Friday, February 14, 2025
हाइलाइट
- चेन्नई के मूल निवासी अरविंद ने 2022 में तीन साथियों के साथ मिलकर स्थापित की Perplexity AI कंपनी
- दुनिया की पहली ‘आंसर इंजन’ कंपनी होने का दावा
- एंटरप्रेन्योर के साथ एंजेल इंवेस्टर भी हैं अरविंद
- कम अंक के कारण नहीं मिल सका था कंप्यूटर साइंस ब्रांच
- MIT ने दाखिला देने से किया था इंकार
Answer Engine Founder: पहले मन में कोई जिज्ञासा या सवाल होते थे, तो किताबों, घर के बड़ों या शिक्षकों के पास जाते थे. जब गूगल एवं दूसरे सर्च इंजन आए, तो सभी प्रकार की जानकारियां वहां से हासिल की जाने लगीं. लेकिन अब एक ऐसा भी सर्च इंजन विकसित हो चुका है, जो गूगल एवं अन्य सर्च इंजन की तरह वेबसाइट के लिंक देने की बजाय सीधे सवाल के सटीक एवं विस्तृत जवाब देता है. साथ में सुझाव भी देता है. वर्ष 2022 के अगस्त महीने में अरविंद श्रीनिवास ने अपने जिन तीन साथियों (डेनिस, एंडी, जॉनी) के साथ मिलकर परप्लेक्सिटी एआइ (Perplexity AI) कंपनी की स्थापना की थी, वो दुनिया की पहली ‘आंसर इंजन’ कंपनी बताई जा रही है. इस चैट आधारित सर्च इंजन में अमेजन एवं एनवीडिया जैसी कंपनियों ने निवेश किया है. बकौल अरविंद, जीपीटी-3 जैसे एडवांस मॉडल्स के प्रयोग से तेजी से विश्वसनीय जानकारियां यूजर्स तक पहुंच सकेंगी. प्लेटफॉर्म को यूजर फ्रेंडली भी बनाया गया है.
कम अंक के कारण नहीं मिला कंप्यूटर साइंस ब्रांच
1994 में चेन्नई में जन्मे अरविंद श्रीनिवास की बचपन से मैथ्स एवं टेक्नोलॉजी में गहरी दिलचस्पी थी. उन्होंने आइआइटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ड्युअल डिग्री हासिल की. वैसे, वे कंप्यूटर साइंस में दाखिला लेना चाहते थे. लेकिन कम अंकों के कारण वह ब्रांच नहीं मिल सकी. एक साल बाद उन्हें दूसरे ब्रांच में स्थानांतरण करने का अवसर मिला. लेकिन सीजीपीए 0.01 कम होने से यह मौका भी हाथ से निकल गया. कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई न कर पाने के बावजूद अरविंद ने खुद से मशीन लर्निंग सीखने का निर्णय लिया. उन्होंने यूट्यूब, किताबों एवं रिसर्च पेपर की मदद से कोडिंग में इस्तेमाल होने वाली भाषा पाइथन सीखी.
पढ़ाई के दौरान एआइ पर किया शोध
आइआइटी मद्रास से ग्रेजुएशन करने के बाद अरविंद अमेरिका के मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी करना चाहते थे. लेकिन एमआइटी ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया. तब उन्होंने बर्क्ले स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की. अरविंद ने कंप्यूटर विजन, कंट्रास्टिव लर्निंग एवं ट्रांसफॉर्मर मॉडल के उपयोग को लेकर कई शोध किए, जिससे अकादमिक गलियारे में उनकी चर्चा होने लगी. 2018 में ओपनएआइ (OpenAI) के को-फाउंडर जॉन की उन पर नजर गई और उन्होंने अरविंद को इंटर्नशिप का ऑफर दिया. इसके बाद वे लंदन स्थित डीपमाइंड (DeepMind) से भी जुड़े. साल 2020 से 2021 के बीच अरविंद गूगल के साथ रहे. वहां उन्होंने HaloNet एवं ResNet-RS जैसे कटिंग एज विजन मॉडल्स के विकास में अहम योगदान दिया. पीएचडी पूरी करने के पश्चात् उन्होंने बतौर रिसर्च साइंटिस्ट ओपनएआइ के साथ काम करना शुरू कर दिया. यहां वे उस टीम का हिस्सा रहे, जिसने DALL-E2 नामक टेक्स्ट टु इमेज जेनरेटर विकसित किया.
लीक से हटकर काम करने में विश्वास
श्रीनिवास एक एंजेल इनवेस्टर की भूमिका भी निभा रहे हैं. उन्होंने इलेवनलैब्स, सुनो कंपनी में भी निवेश किया है. वे अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए काम करने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएआइडी (USAID) से करीब 43 लाख करोड़ रुपये का फंड लेने जा रहे हैं. ऐसा करके उन्होंने एलॉन मस्क को एक प्रकार की चुनौती दी है, क्योंकि मस्क इस एजेंसी को बंद कराना चाहते हैं. श्रीनिवास लीक से हटकर काम करने में विश्वास करते हैं. कॉरपोरेट जगत में जहां मीटिंग्स का चलन है. वहां अरविंद कम से कम मीटिंग करते हैं. ज्यादातार संवाद टेक्स्ट मैसेज के जरिये होता है. उनका मानना है कि इससे सभी मुद्दे पर ही बातचीत करते हैं, उसमें किसी प्रकार का भटकाव नहीं आता है. न ही समय की बर्बादी होती है.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने ‘एक्स’ पर जताया अफसोस
हाल में अरविंद फिर से सुर्खियों में आए थे, जब एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर आदित्य भारद्वाज ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि उन्हें बहुत अफसोस है कि उन्होंने साल 2022 में अरविंद के ऑफर पर ध्यान नहीं दिया. उन्हें परप्लेक्सिटी में फाउंडिंग इंजीनियर का पद ऑफर हुआ था. हालांकि, इन सब विवादों से बेफिक्र अरविंद अपने मिशन पर जुटे हुए हैं. वे भारत में एआइ के कुशल पेशेवर तैयार करने के लिए एक मिलियन डॉलर निवेश के अलावा हफ्ते में 5 घंटे देने को तैयार हैं. उनका मानना है कि मॉडल ट्रेनिंग स्किल्स विकसित करना जरूरी है, ताकि देश को एआइ क्रांति का अधिक से अधिक फायदा हो सके. साथ ही दुनिया में यह संदेश जा सके कि भारत एआइ में भी इसरो जैसी उपलब्धि हासिल कर सकता है.
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