UPI Meta क्या है? NPCI ला सकता है डिजिटल पेमेंट्स में बड़ा बदलाव!
UPI Meta क्या है? NPCI ला सकता है डिजिटल पेमेंट्स में बड़ा बदलाव!
Authored By: संतोष आनंद
Published On: Saturday, April 19, 2025
Updated On: Saturday, April 19, 2025
UPI Meta डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में बड़ा और एडवांस कदम हो सकता है। अगर इसे सही रेगुलेशन और सुरक्षा के साथ लागू किया गया, तो यह फीचर न केवल ग्राहकों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि देश को तेज, सुरक्षित और सहज डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर और मजबूत गति से ले जाएगा।
Authored By: संतोष आनंद
Updated On: Saturday, April 19, 2025
भारत की डिजिटल पेमेंट क्रांति में Unified Payments Interface (UPI) ने अहम भूमिका निभाई है और अब यह सिस्टम एक और बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है- जिसका नाम है UPI Meta। यह नया फीचर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा प्रस्तावित है और इसका उद्देश्य ऑनलाइन खरीदारी और ट्रांजैक्शन को और आसान, फास्ट और सुरक्षित बनाना है। आइए विस्तार से जानते हैं कि UPI Meta क्या है, यह कैसे काम करेगा, इसके लाभ और संभावित चुनौतियां क्या हैं?
UPI Meta क्या है
UPI Meta अभी प्रस्तावित सुविधा है, जिसके जरिए यूजर अपनी पसंदीदा UPI ID (जैसे phonepe@upi या abc@okaxis) को किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट या ऐप पर स्थायी रूप से सेव कर सकेंगे। इसका मतलब है कि हर बार भुगतान के समय यूजर को UPI ID डालने या ऐप चुनने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह सुविधा कुछ वैसी ही है जैसे कार्ड की डिटेल्स को टोकन के जरिए वेबसाइट पर सुरक्षित रूप से स्टोर कर लिया जाता है ताकि अगली बार भुगतान प्रक्रिया फास्ट हो।
UPI Meta कैसे काम करेगा
पहली बार जब कोई यूजर किसी वेबसाइट पर UPI के जरिए भुगतान करेगा, तो वेबसाइट या ऐप एक रिक्वेस्ट भेजेगी कि क्या वह उस UPI ID को सुरक्षित रूप से सेव कर सकती है। अगर यूजर अनुमति देता है, तो उस UPI ID को उस वेबसाइट के साथ लिंक कर दिया जाएगा। अगली बार उसी वेबसाइट पर कुछ खरीदते समय उस UPI ID से तुरंत पेमेंट किया जा सकेगा, जिससे हर बार दोहराए जाने वाले स्टेप्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूरा सिस्टम कस्टमर की अनुमति पर आधारित होगा और NPCI के दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षित रूप से काम करेगा।
UPI Meta की जरूरत क्यों है
फिलहाल ऑनलाइन पेमेंट करते समय ग्राहक को हर बार UPI ऐप चुनना पड़ता है, फिर ID डालनी होती है, ऐप ओपन होता है और पेमेंट की पुष्टि करनी होती है। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है। UPI Meta इन चरणों को घटा देगा और अनुभव को कार्ड पेमेंट जितना आसान बना देगा। इसका उद्देश्य UPI को एक ऐसा विकल्प बनाना है, जो कार्ड की तुलना में न केवल तेज हो बल्कि अधिक सहज भी हो।
UPI Meta के फायदे
यह फीचर चेकआउट को तेज बनाएगा, जिससे बार-बार UPI ID डालने की जरूरत नहीं होगी। इससे उन ग्राहकों को खास तौर लाभ होगा जो किसी वेबसाइट से बार-बार खरीदारी करते हैं। यह ऑनलाइन रिटेलर्स के लिए कन्वर्जन रेट बढ़ा सकता है और ग्राहकों के लिए खरीदारी को सुविधाजनक बना सकता है। साथ ही, यह UPI को कार्ड पेमेंट के एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करेगा।
संभावित चुनौतियां और चिंताएं
हालांकि यह सुविधा ग्राहकों को आसान अनुभव दे सकती है, लेकिन इसके साथ कुछ चिंताएं भी सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी कंपनियां जैसे PhonePe और Google Pay इसका फायदा उठा सकती हैं और तेजी से अपने यूजर्स को लॉक-इन कर सकती हैं। इससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है। साथ ही, डाटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी भी एक बड़ा मुद्दा है। NPCI को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सुविधा पूरी तरह से यूजर की अनुमति और प्राइवेसी को ध्यान में रखकर लागू हो।
NPCI और RBI की भूमिका
UPI Meta को लागू करने से पहले NPCI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी लेनी होगी। NPCI यह भी सुनिश्चित करेगा कि हर नई वेबसाइट या ऐप के साथ UPI ID सेव करने से पहले यूजर से स्पष्ट अनुमति ली जाए। साथ ही, यूजर को कभी भी सेव की गई UPI ID हटाने या बदलने का विकल्प मिलना चाहिए।
UPI Meta डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में बड़ा और एडवांस कदम हो सकता है। अगर इसे सही रेगुलेशन और सुरक्षा के साथ लागू किया गया, तो यह फीचर न केवल ग्राहकों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि देश को तेज, सुरक्षित और सहज डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर और मजबूत गति से ले जाएगा।
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