जी7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में बार-बार मोदी के शामिल होने के क्या हैं मायने
Authored By: Gunjan Shandilya
Published On: Friday, June 14, 2024
Updated On: Thursday, June 27, 2024
पिछले कुछ वर्षों से भारत को जी 7 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बतौर मेहमान लगातार बुलाया जा रहा है। अब तक कुल 11 बार भारत को इसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाया गया है। पिछले पांच वर्षों से भारत लगातार सम्मेलन का मेहमान बनता आ रहा है। यह भारत के कूटनीतिक ताकत का असर है।
जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने इटली पहुंचे पीएम मोदी
इटली के अपुलिया शहर में जी 7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) शुरू हो चुका है। आज शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली रवाना हो गए हैं। भारत जी 7 का स्थायी सदस्य नहीं है। इसके बावजूद भारत की शिखर सम्मेलन में उपस्थिति वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती ताकत को दिखाता है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार छठी बार इस सम्मेलन में सम्मलित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने चुनाव के दौरान ही मोदी को निमंत्रण भेज दिया था। यह मेलोनी और मोदी की दोस्ती और कूटनीति का असर है।
मोदी सरकार 3.0 की पहली विदेश यात्रा
मोदी सरकार 3.0 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह पहली विदेश यात्रा है। प्रधानमंत्री 14 जून को शिखर सम्मेलन में शिकरत करेंगे। सम्मेलन में उम्मीदतः रूस-यूक्रेन युद्ध, हमास-इजरायल विवाद के अलावा दक्षिण अफ्रीका के मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। इटली रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने इस दौरे से संबंधित ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने लिखा, ‘G7 शिखर सम्मेलन में मैं विश्व के साथी नेताओं से मिलने, अपनी पृथ्वी को बेहतर बनाने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के मकसद से अनेक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं।’
शिखर सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय वार्ता करेंगे मोदी
प्रधानमंत्री मोदी कल यानि 14 जून को सम्मेलन में दुनिया की शक्तिशाली देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस बैठक के बाद मोदी कई बड़े नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) के सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की सबसे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से वार्ता होगी। उसके बाद वे ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। फिर जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज से भी अलग से मिलेंगे। प्रधानमंत्री मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। मेलोनी वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी की वार्ता जापान के प्रधानमंत्री से भी होगी। अभी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात निर्धारित नहीं है। कनाडाई प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की संभावना न के बराबर बताई जा रही है। इन वार्ताओं के बाद इटली की प्रधानमंत्री आमंत्रित मेहमान राष्ट्राध्यक्षों रात्रि भोज देंगे।
शिखर सम्मेलन में इन मुद्दों पर वार्ता
G7 शिखर सम्मेलन में दुनिया में शांति कायम करने के मुद्दों पर गंभीरता विचार विमर्श किये जाने की संभावना है। खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास विवाद के इस दौर में दुनिया में शांति कैसे कायम हो इसकी चर्चा बेहद जरुरी हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल और इसका दुनिया पर पड़ रहे प्रभाव पर भी चर्चा होने की संभावना है। AI को जिस प्रकार दुनिया में इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे बेहद खतरनाक होता जा रहा है। इसके अलावा मिडिल ईस्ट के हालात, अफ्रीका और भूमध्यसागर के हालात, एनर्जी के क्षेत्र में नये बदलाव आदि गंभीर मुद्दों पर वार्ता होगी। इन मुद्दों के अलावा स्विटज़रलैंड में शांति शिखर सम्मेलन की योजना पर भी चर्चा होने की पूरी संभावना जताई जा रही है।
क्यों महत्वपूर्ण है G7
G7 में शामिल देश विकसित एवं ताकतवर हैं। दुनिया के GDP में G7 देशों का हिस्सा 40 प्रतिशत से ज्यादा है। यदि व्यापार की बात करें तो पूरी दुनिया के व्यापार में G7 की हिस्सेदारी करीब 35 प्रतिशत है। वर्ल्ड बैंक (World Bank) और आईएमएफ (IMF) में G7 में शामिल देशों का प्रभाव है। दुनिया की आर्थिक नीतियों को G7 के देश बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। कई विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि यूरोपीय देशों के साथ रूस और चीन के तनावपूर्ण संबंधों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद का प्रभाव घटा है। वहीं G7 का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आपसी टकराहट की वजह से सुरक्षा परिषद बड़ा निर्णय नहीं ले पाता है। दुनिया की अधिकतर बड़ी कंपनियां इन्हीं देशों में है। जी 7 की यह भी बहुत बड़ी ताकत है।
भारत पहले भी बना है विशिष्ठ अतिथि देश
पिछले कुछ वर्षों से भारत को जी 7 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बतौर मेहमान लगातार बुलाया जा रहा है। अब तक कुल 11 बार भारत को G7 सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाया गया है। पिछले 5 सालों से लगातार भारत को न्योता दिया गया है। भारत के बढ़ते कूटनीतिक ताकत के कारण कोई देश इन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाता है।
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