ट्रंप के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) का ‘इंडिया प्रेम’

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Thursday, November 14, 2024

doanld trump and national security advisor walz
doanld trump and national security advisor walz

वाल्ज भारत और इससे जुड़े मुद्दों को बेहतरी से समझते हैं। एनएसए बनने के बाद भारत और अमेरिका के रिश्ते अधिक बेहतर बनने की उम्मीद की जा रही है...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Last Updated On: Thursday, November 14, 2024

हाइलाइट्स

  • फ्लोरिडा से संबंध रखने वाले रिपब्लिकन नेता वाल्ज की सबसे खास बात यह है कि वह अमेरिकी संसद (कांग्रेस) में बने इंडिया काकस के सदस्य हैं।
  • 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में वह इंडिया काकस के एक और सदस्य व डेमोक्रेट नेता रो खन्ना के साथ भारत आए थे।

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं। जनवरी में वह कार्यभार भी संभाल लेंगे। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में यूं तो अब्राहम लिंकन, फ्रैंकलिन रूजवेल्ट, रोनाल्ड रीगन, जान एफ कैनेडी से लेकर बराक ओबामा तक कई प्रेसीडेंट खबरों में रहे, आइडियल माने गए, विवादों में भी रहे, लेकिन ट्रंप तो ट्रंप ही हैं। चाहे वह केवल 2015 में राजनीतिक करियर आरंभ करने के बाद महज नौ साल में दूसरी बार दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का प्रेसीडेंट बनना, वह भी सभी कयासों को धता बताकर…यह केवल ट्रंप ही कर सकते हैं। अमेरिका की राजनीति को नेशनलिज्म का नया टानिक पिलाने वाले ट्रंप पिछला चुनाव हारने के बाद जनवरी 2020 में कैपिटोल हिल उपद्रव के लिए भी चर्चा में रहे हैं। कहा गया कि बाइडन के हार के बाद सत्ता हस्तांतरण के समय अमेरिकी प्रशासन की धुरी कैपिटोल हिल में उपद्रव करने वाले ट्रंप के ही फालोअर थे, प्रशंसक थे, समर्थक थे। हालांकि ट्रंप सीधे इन्वाल्व नहीं थे, लेकिन नाम खूब उछला। तो इस तरह के नेता हैं ट्रंप।

उनकी जीत को भारत के लिहाज से भी खूब देखा जा रहा है… भारत के लिए उनका जीतना अच्छा है या नहीं…क्या रुख रहेगा नए प्रेसीडेंट का आदि आदि…अब दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद ट्रंप अपने प्रशासनिक साथी चुनने में जुटे हैं। खबरों के गलियारों से अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर के रूप में जो नया नाम निकलकर आ रहा है, वह भारतीयों को खुश करने वाला है। यह नाम है माइकल वाल्ज। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि उन्हें ट्रंप ने एनएसए चुन लिया है। भारत के लिहाज से बात करें तो वाल्ज खासे भारत समर्थक हैं। एक और बात….वह चीन के कट्टर आलोचक भी हैं। कई घटनाएं इन दोनों तथ्यों की गवाही देती हैं।

फ्लोरिडा से संबंध रखने वाले रिपब्लिकन नेता वाल्ज की सबसे खास बात यह है कि वह अमेरिकी संसद जिसे कांग्रेस कहा जाता है, में बने इंडिया काकस के सदस्य हैं। इंडिया काकस यानी इंडिया के बारे में बात करने वाला समूह। अब इसका महत्व आप इसी से समझ लीजिए कि यह अमेरिका में बने विभिन्न देशों के समूहों में सबसे बड़ा और अहम समूह है। वाल्ज इसके को-चेयर यानी सह-अध्यक्ष हैं। जाहिर है कि वह भारत और इससे जुड़े मुद्दों को बेहतरी से समझते हैं। एनएसए बनाने के पीछे ट्रंप ने एक कारण शायद वाल्ज के मिलिट्री बैकग्राउंड को भी रखा होगा। वाल्ज अमेरिकी सेना में कर्नल रह चुके हैं और ग्रीन बेरेट नाम की एलीट मिलिट्री विंग में सेवा दे चुके हैं। जाहिर है कि देश की सुरक्षा के बिंदुओं पर उनकी मजबूत पकड़ होगी। 27 साल लंबे सैन्य करियर में वाल्ज कई बार अफगानिस्तान में युद्ध की स्थिति में जा चुके हैं। स्वाभाविक है कि वह एशिया की परिस्थितियों से भी भलीभांति वाकिफ हैं। शायद यही कारण है कि वह चाहते हैं कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर एक औपचारिक एलायंस का गठन करे।

वाल्ज भारत भी आ चुके हैं। 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में वह इंडिया काकस के एक और सदस्य व डेमोक्रेट नेता रो खन्ना के साथ आए थे। वाल्ज का भारत से लगाव इस बात से भी जाहिर है कि कोरोना महामारी में उन्होंने पत्र लिखकर भारत को मेडिकल हेल्प देने की सिफारिश भी की थी। 2019 से हाउस आफ रिप्रजेंटेटिव यानी अमेरिकी संसद के निचले सदन के वह सदस्य हैं। वाल्ज बहुत स्पष्टवादी कहे जाते हैं और बाइडन प्रशासन की नीतियों के धुर विरोधी और आलोचक रहे हैं। एक उदाहरण देखिए…जब बाइडन ने बतौर प्रेसीडेंट अफगानिस्तान से अमेरिका सेना की वापसी का फैसला किया तो उसकी समीक्षा करने वाली हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सदस्य के तौर पर वाल्ज ने इसे अपरिपक्व निर्णय बताया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी सेना बड़ी संख्या में अफगानिस्तान में हथियार छोड़ आई है जो तालिबान के हाथ लग सकते हैं। चीन पर वाल्ज की नीति बेहद स्पष्ट है। वह हमेशा अमेरिका और उसकी सेना को चीन के साथ किसी संभावित तनाव या युद्ध की स्थिति के लिए बहुत मजबूत बनाने के पक्षधर रहे हैं। वह एशिया पैसिफिक में भारत को बहुत महत्व देते रहे हैं और उनका कहना है कि अमेरिका एक वैश्विक शक्ति है और भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, उभर रहा है। जनवरी में जैक सुलिवान का कार्यकाल पूरा होने के बाद जब वाल्ज एनएसए की जिम्मेदारी संभालेंगे तो उनकी कार्यशैली में सभी की रुचि होगी, खासकर भारतीयों की…

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।
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