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Gita Jayanti 2024: आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करती है गीता जयंती
Gita Jayanti 2024: आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करती है गीता जयंती
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, December 9, 2024
Updated On: Monday, December 9, 2024
गीता जयंती हिंदू चंद्र कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2024) के दिन पड़ती है। इस दिन गीता की 5161वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।सूर्योदय के बाद का दिन उदयातिथि मानने के कारण गीता जयंती 11 दिसंबर को मनाई जाएगी।
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, December 9, 2024
श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय महाकाव्य महाभारत का एक अभिन्न अंग है।यह जीवन, कर्तव्य और आध्यात्मिकता पर प्रासंगिक ज्ञान का एक पूजनीय ग्रंथ है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है, जो अपने विचारों से दुनिया भर के लाखों लोगों का मार्गदर्शन करता है। महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है श्रीमद्भगवद्गीता । इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को दिव्य शिक्षा दी थी, जो गीता ग्रंथ के रूप में संग्रहीत की गई। इस दिन को ही गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल 11 दिसंबर को मनाई जा रही है गीता जयंती (Gita Jayanti)। आइये इसके आध्यात्मिक महत्व को जानते हैं।
जीवन, कर्तव्य और आत्मा पर विचार (Gita quotes)
गीता जयंती उस दिन की याद दिलाती है, जब श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को अपनी दिव्य शिक्षा दी। संकोच और संदेह के क्षण में, कृष्ण ने जीवन, कर्तव्य और आत्मा की प्रकृति के बारे में गहन प्रश्नों को संबोधित करते हुए गीता के ज्ञान से अर्जुन को प्रबुद्ध किया।
यह पवित्र ग्रंथ धर्म मार्ग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग पर शिक्षा देती है। ये सिद्धांत जीवन की चुनौतियों पर विजय पाने और उद्देश्य खोजने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। गीता जयंती के अवसर पर गीता ग्रंथ गहन चिंतन और आध्यात्मिक विकास का अवसर बनाती है।
मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती (Mokshda Ekadashi 2024)
द्रिक पंचांग के अनुसार, गीता जयंती हिंदू चंद्र कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2024) के दिन पड़ती है। इस दिन गीता की 5161वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 11 दिसंबर को सुबह 03:42 बजे से आरंभ होगी। एकादशी तिथि 12 दिसंबर को प्रातः 01:09 बजे समाप्त हो जाएगी। सूर्योदय के बाद का दिन उदयातिथि मानने के कारण गीता जयंती 11 दिसंबर को मनाई जाएगी।
आध्यात्मिक विचार प्रदान करती है (Spiritual Views)
गीता जयंती केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि श्री कृष्ण द्वारा दिए गए शाश्वत मार्गदर्शन की याद दिलाती है। यह आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करता है और उद्देश्य की भावना को प्रेरित करता है। यह जीवन के संघर्षों से जूझने और मुकाबला करने के लिए आध्यात्मिक विचार प्रदान करता है। गीता जयंती के अवसर पर प्रत्येक व्यक्ति को भगवद गीता का ज्ञान समझना चाहिए। अपने जीवन में इसकी प्रासंगिकता पर विचार करना चाहिए। अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और ध्यान के माध्यम से गीता के उपदेशों को अपनाया जा सकता है।
कैसे मनानी चाहिए गीता जयंती (How to Celebrate Geeta Jayanti 2024)
गीता जयंती के अवसर पर भक्त मंदिरों या घरों में गीता के श्लोकों का पाठ करने के लिए एकत्रित होते हैं। इसके आध्यात्मिक दर्शन पर विचार करते हैं। यह सामूहिक पाठ कृष्ण के मार्गदर्शन की समझ और दैनिक जीवन में इसके प्रयोग को बढ़ावा देता है। इस अवसर पर श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिरों को सजाया-संवारा जाता है। यहां विशेष प्रार्थनाएं और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो गीता दर्शन के अर्थ को उजागर करते हैं। भक्त अपनी आध्यात्मिक समझ को समृद्ध करने के लिए प्रार्थना करते हैं और चर्चाओं में भाग लेते हैं।
कीर्तन-भजन का आनंद
कई भक्त अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए मोक्षदा एकादशी के अवसर पर उपवास रखते हैं। कुछ लोग सभी तरह के भोजन से परहेज करते हैं, जबकि अन्य लोग सीमित आहार का पालन करते हैं। भक्त उपवास को प्रार्थना और ध्यान के साथ जोड़ते हैं, ताकि श्री कृष्ण के साथ उनका संबंध मजबूत हो सके। इस अवसर श्रीकृष्ण के भक्ति गीतों और कीर्तन का आनंद लिया जाता है। इससे भक्तों को भगवद गीता की आध्यात्मिक शिक्षा से जुड़ने में मदद मिलती है।
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