Jaya Ekadashi 2025 : स्वयं को श्रीविष्णु से जोड़ने का दिन है जया एकादशी

Jaya Ekadashi 2025 : स्वयं को श्रीविष्णु से जोड़ने का दिन है जया एकादशी

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, February 7, 2025

Updated On: Friday, February 7, 2025

Jaya Ekadashi 2025: Swayam ko Shri Vishnu se jodne ka pavitra din.
Jaya Ekadashi 2025: Swayam ko Shri Vishnu se jodne ka pavitra din.

Jaya Ekadashi 2025 : जया एकादशी सिर्फ उपवास रखने का दिन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है. यह भगवान विष्णु की पूजा-वंदना करने और स्वयं को उनसे जोड़ने का दिन माना जाता है. 8 फरवरी को जया एकादशी है. इसे भीष्म एकादशी भी कहा जाता है. भक्तगण के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पारण सही समय पर किया जाए.

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, February 7, 2025

Jaya Ekadashi 2025: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है एकादशी. इस साल माघ माह जनवरी और फरवरी के बीच पड़ रहा है। चंद्र कैलेंडर के ग्यारहवें दिन एकादशी को हिंदू बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं. यह महीने में दो बार आती है. जया एकादशी के अवसर पर भक्त गण कठोर उपवास और विशिष्ट अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. आध्यात्मिक विषय के जानकार मानते हैं कि इस व्रत को सच्चे मन से करने से आध्यात्मिक शुद्धि, पिछले अपराधों की क्षमा और सुख की प्राप्ति हो सकती है. मन और तन को शुद्ध करने के लिए भक्तगण जया एकादशी के दिन (Jaya Ekadashi 2025) पानी के साथ या बिना पानी के उपवास रखते हैं.

क्यों कहलाती है जया एकादशी भीष्म एकादशी (Bhishma Ekadashi 2025)

कथा है कि महाभारत के दौरान कौरव सेना के सर्वोच्च सेनापति भीष्म के पास यह चुनने की शक्ति थी कि उन्हें कब मरना है? उन्होंने अपनी मृत्यु के लिए अत्यंत शुभ दिन जया एकादशी को चुना. माघ महीने में मनाई जाने वाली पहली एकादशी षटतिला एकादशी है, जो कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन पड़ती है।

निर्जला या फल के साथ भी रखा जा सकता है उपवास (Jaya Ekadashi Rituals)

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनिल शास्त्री बताते हैं, ‘जया एकादशी व्रत आमतौर पर 24 घंटे की अवधि वाला होता है. भक्त स्वयं को श्री हरी से जोड़ने के लिए कठिन व्रत निर्जला एकादशी रखते हैं. पानी के बिना रहना कठिन है. इसलिए फल और तरल पदार्थ लेकर इस एकादशी को किया जा सकता है. एकादशी पारण एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है. द्वादशी तिथि के भीतर पारण करना जरूरी है. जब तक कि द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त न हो जाए. जया एकादशी में विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सौभाग्य, सफलता और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

कब करें पारण (Jaya Ekadashi 2025 Paran Timing)

  • एकादशी तिथि 07 फरवरी, 2025 को 09:26 PM से शुरू हो गई है. उदया तिथि की महत्ता होने के कारण जया एकादशी शनिवार 8 फरवरी, 2025 को मनाई जा रही है.
  • पारण समय 9 फरवरी को 07:05 पूर्वाह्न से 09:17 पूर्वाह्न
  • द्वादशी समाप्ति पारण दिवस पर 07:25 में हो जाएगी.

आध्यात्मिक उत्थान और शांति लाती है (Jaya Ekadashi Significance)

जया एकादशी पर व्रत रखने के साथ भगवान कृष्ण या उनके विभिन्न अवतारों की लीलाओं को याद करते हैं. हरे कृष्ण महामंत्र का यथासंभव जाप करते हैं. भगवद-गीता और श्रीमद्-भागवतम जैसे ग्रंथों को पढ़ते हैं. जया एकादशी का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेकर आती है. इससे आध्यात्मिक उत्थान, शांति और समृद्धि आती है. यदि जया एकादशी पर भक्त वर्जित करना चाहते हैं, तो दाल और चावल नहीं खा सकते हैं. लेकिन इस दिन खाना पूरी तरह से वर्जित नहीं है. आलू जीरा, साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना खीर, कुट्टू की पूरी या पराठा आदि व्रत के व्यंजन खाए जा सकते हैं. दूध और फल भी ले सकते हैं.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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