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PK का दावा: “बिहार में नहीं हुआ बदलाव”, क्या विकास बनेगा चुनावी मुद्दा?
PK का दावा: “बिहार में नहीं हुआ बदलाव”, क्या विकास बनेगा चुनावी मुद्दा?
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, April 30, 2025
Updated On: Wednesday, April 30, 2025
चुनावी मौसम जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बिहार की राजनीति में बयानबाजी तेज होती जा रही है. इसी क्रम में प्रसिद्ध चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने राज्य की विकास यात्रा पर सवाल उठाते हुए एक बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, "बिहार में कोई असली बदलाव नहीं हुआ है, आज भी ज़मीनी हकीकत वही है जो दशकों पहले थी."
Authored By: सतीश झा
Updated On: Wednesday, April 30, 2025
Prashant Kishor Claim : जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है, चाहे वह किसी भी पार्टी, जाति या धर्म से जुड़ी हो. प्रशांत किशोर ने कहा,”बिहार में एक बात तो तय है कि लोग बदलाव चाहते हैं. चाहे वो RJD हो, BJP हो, JDU हो, कोई भी पार्टी हो या कोई भी जाति, धर्म हो, लोग बदलाव चाहते हैं क्योंकि उन्होंने पिछले 30-35 सालों में सभी पार्टियों के नेताओं को देख लिया है. बिहार की बुनियादी समस्याओं जैसे शिक्षा, रोजगार, पलायन में कोई सुधार नहीं हुआ है. वे दूसरे राज्यों में हो रही तरक्की को देख रहे हैं और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.”
20 मई से “बिहार बदलाव यात्रा”, 11 मई से हस्ताक्षर अभियान
प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने घोषणा की कि वे 20 मई से ‘बिहार बदलाव यात्रा’ शुरू करेंगे. इस यात्रा के माध्यम से वे गांव-गांव जाकर जनता से संवाद करेंगे और राज्य के सामने खड़ी असल समस्याओं को उजागर करेंगे. यह यात्रा जनसंपर्क और जनजागरण का अभियान होगी, जिसके जरिए वे बिहार की राजनीति में नई दिशा देने का प्रयास करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 11 मई से जन सुराज पार्टी पूरे बिहार में एक हस्ताक्षर अभियान चलाएगी. इस अभियान के तहत राज्य भर में 1 करोड़ लोगों से तीन प्रमुख मुद्दों पर बात की जाएगी, जो सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विश्वसनीयता से जुड़े हैं. PK का कहना है कि यह अभियान केवल विरोध या आलोचना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बिहार की जनता को यह समझने का अवसर देगा कि जिन वादों को आधार बनाकर वोट लिए गए, उनका क्रियान्वयन किस हद तक हुआ.
बदलाव का नेतृत्व कौन करेगा
PK ने आगे कहा कि बदलाव का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन यह स्पष्ट है कि जनता अब यथास्थिति से तंग आ चुकी है और बदलाव के लिए तैयार है. बिहार की राजनीति अब तक जातिगत समीकरणों और स्थानीय सामाजिक संरचनाओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन PK की इस टिप्पणी ने बहस छेड़ दी है – क्या इस बार आम जनता विकास को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाएगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि PK की बातों में दम है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बिहार के मतदाता परंपरागत मुद्दों से आसानी से नहीं हटते. विकास के दावे तो हर चुनाव में किए जाते हैं, लेकिन उन्हें वोट में कैसे बदला जाए, यह एक बड़ी चुनौती है.
JDU ने पलटवार किया
PK के बयान पर सत्ताधारी दल JDU ने पलटवार किया है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “बिहार में पिछले 15 वर्षों में जो कार्य हुए हैं, वह किसी से छुपे नहीं हैं. सड़क, बिजली, स्कूल और कानून-व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में राज्य ने महत्वपूर्ण प्रगति की है. PK केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बिहार की छवि खराब कर रहे हैं.”
बिहार के कई युवा मतदाता मानते हैं कि शिक्षा और रोजगार को लेकर सरकारों ने वादे तो किए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर बदलाव बहुत धीमा रहा है. गांवों में अब भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार की भारी कमी महसूस की जाती है.
PK की यह टिप्पणी बिहार की राजनीति को एक नए विमर्श की ओर ले जाने की कोशिश मानी जा सकती है, जहां जातिगत ध्रुवीकरण की जगह विकास और सुशासन की बातें केंद्र में हों. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आम मतदाता इस बदलाव को स्वीकार करता है या फिर परंपरागत वोटिंग पैटर्न ही इस बार भी हावी रहेगा.