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Buddha Purnima 2025: आध्यात्मिक चिंतन का दिन है बुद्ध पूर्णिमा
Buddha Purnima 2025: आध्यात्मिक चिंतन का दिन है बुद्ध पूर्णिमा
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, May 2, 2025
Last Updated On: Friday, May 2, 2025
Buddha Purnima 2025: मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था. इस वर्ष यह तिथि 12 मई, बुधवार है. यह दिन आध्यात्मिक चिंतन और उत्सव का समय है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, May 2, 2025
Buddha Purnima 2025: माना जाता है कि राजकुमार सिद्धार्थ गौतम का जन्म वैशाख पूर्णिमा को हुआ था. इसी दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. 2025 में बुद्ध जयंती 12 मई को है. ज्ञान प्राप्त कर सिद्धार्थ गौतम गौतम बुद्ध बन गए और बौद्ध धर्म की स्थापना की. बुद्ध पूर्णिमा को वेसाक जयंती या बुद्ध जयंती (Buddha Purnima 2025) के रूप में भी जाना जाता है. बुद्ध जयंती या बुद्ध दिवस बौद्ध त्योहार है, जो दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया के अधिकांश हिस्सों में मनाया जाता है.
आध्यात्मिक चिंतन और उत्सव का समय (Spiritual Thinking)
मान्यता है कि गौतम बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटना- जन्म, ज्ञान प्राप्त करना और मृत्यु भी इसी दिन घटित हुआ था. इसलिए इस दिन को दुनिया भर के बौद्धों द्वारा “तीन बार धन्य उत्सव” माना जाता है. यह दिन आध्यात्मिक चिंतन और उत्सव का समय है, जिनमें प्रार्थना सभा, मंदिर के दर्शन और सेवा कार्य किए जाते हैं.
जागृत व्यक्ति बुद्ध (Buddha Awakening)
हिंदी कैलेंडर के वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. सिद्धार्थ गौतम, जिन्हें बाद में बुद्ध के नाम से जाना गया, का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व हुआ था और उनकी मृत्यु लगभग 483 ईसा पूर्व हुई थी. माना जाता है कि उन्हें 35 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे “बुद्ध” या “जागृत व्यक्ति” बन गए. उनका निधन 80 वर्ष की आयु में हुआ.
बौद्ध धर्म की उत्पत्ति (Bauddha Darshan Origin)
बौद्ध धर्म एक प्राचीन धर्म-दर्शन है, जिसकी उत्पत्ति भारत में 5वीं या 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास हुई थी. यह सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं पर आधारित है, जिन्हें बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है, जो 5वीं या 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में रहते थे. इसलिए बौद्ध धर्म 2,500 साल से भी ज़्यादा पुराना है.
बुद्ध का दर्शन (Bauddha Darshan)
बुद्ध का दर्शन बौद्ध धर्म के रूप में भी जाना जाता है. यह दुख के अनुभव और इसे दूर करने के तरीके पर आधारित है. यह चार आर्य सत्यों की अवधारणा पर जोर देता है. इसमें दुख की प्रकृति (दुक्खा), इसका कारण, निरोध और निरोध की ओर ले जाने वाला मार्ग (अष्टांग मार्ग) शामिल है. बौद्ध धर्म ज्ञान, दया, धैर्य, उदारता और करुणा जैसे गुणों के महत्व पर भी प्रकाश डालता है.
जीवन के तीन सत्य (Bauddha Darshan)
महात्मा बुद्ध के अनुसार, जीवन में सब कुछ अस्थायी और हमेशा बदलता रहता है. कुछ भी स्थायी नहीं है, इसलिए कोई भी चीज या व्यक्ति आपको सच्ची खुशी नहीं दे सकता है. जीवन के तीन सार्वभौमिक सत्य हैं कोई शाश्वत, अपरिवर्तनीय आत्मा नहीं है और “स्व” केवल बदलती विशेषताओं या गुणों का एक संग्रह है.
भगवान विष्णु के नौंवे अवतार की मान्यता (Shri Vishnu Avatar)
उत्तर भारत में बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार और भगवान कृष्ण को 8वां अवतार माना जाता है. दक्षिण भारतीय मान्यता में बुद्ध को कभी भी विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है. दक्षिण भारत में बलराम को भगवान विष्णु का 8वां अवतार और कृष्ण को 9वां अवतार माना जाता है. बलराम को अधिकांश वैष्णव आंदोलनों द्वारा विष्णु के अवतार के रूप में गिना जाता है. बौद्ध भी बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार नहीं मानते हैं.
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