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Shravan Month 2025: कब से शुरू होगा? जानिए व्रत-त्योहारों की पूरी सूची और धार्मिक महत्व
Shravan Month 2025: कब से शुरू होगा? जानिए व्रत-त्योहारों की पूरी सूची और धार्मिक महत्व
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, June 6, 2025
Last Updated On: Friday, June 6, 2025
Shravan Month 2025 : वैदिक कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के बाद आने वाला श्रावण मास 11 जुलाई, 2025 को शुरू होकर 9 अगस्त, 2025 को समाप्त हो जाएगा. भोले शंकर का माह कहलाने वाले श्रावण या सावन माह का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, June 6, 2025
Shravan Month 2025: श्रावण मास को सावन माह के नाम से भी जाना जाता है. यह भोले शिव शंकर का माह माना जाता है. मान्यता है कि श्रीविष्णु जी के शयन करने (चातुर्मास) के कारण शिवजी ही सृष्टि का संचालन करते हैं. यह महीना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर भगवान शिव के भक्तों के लिए, जिसमें सावन सोमवार व्रत सहित कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. शिव औघरदानी हैं. इसलिए भक्त गण मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए सावन के महीने (Shravan Month 2025) में उनकी खूब पूजा – भक्ति और शिव के मन्त्रों का जाप करते हैं.
कब से कब तक है श्रावण मास (Shravan Month Date & Time 2025)
- द्रिक पंचांग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, श्रावण मास 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को रात 11:07 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त 2025, शनिवार को दोपहर 2:08 बजे समाप्त हो जाएगा.
- आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई को दोपहर 1:36 बजे से 11 जुलाई को दोपहर 2:06 बजे तक रहेगा. श्रावण का पहला दिन, जिसे प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है. यह 11 जुलाई को होगा.
श्रावण माह का धार्मिक महत्व ((Shravan Month Religious Importance)
यह महीना भगवान शिव को समर्पित है, जिसमें भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और अनुष्ठान करते हैं. इसे भक्ति, अनुष्ठान और देवता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक पवित्र समय माना जाता है. इस महीने में भक्त भगवान शिव की पूजा करने के लिए प्रार्थना करते हैं, अनुष्ठान करते हैं और मंदिरों में जाते हैं.
यह महीना भगवान शिव द्वारा समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने की कहानी से जुड़ा है, जिससे दुनिया की रक्षा हुई. भगवान शिव द्वारा विष पीने की कहानी नकारात्मक भावनाओं को सकारात्मक भावनाओं में बदलने की क्षमता का प्रतीक है.
श्रावण माह के प्रमुख त्योहार (Shravan Month 2025 Festivals)
पर्व | तिथि |
---|---|
कामिका एकादशी | 21 जुलाई 2025, सोमवार |
श्रावण सोमवार व्रत — श्रावण के बाद पहला सोमवार | 14 जुलाई, 2025 |
दूसरा सोमवार व्रत | 21 जुलाई 2025 |
तीसरा सोमवार व्रत | 28 जुलाई 2025 |
आखिरी व चौथा सावन सोमवार व्रत | 4 अगस्त 2025 |
मंगला गौरी व्रत —हर सोमवार के बाद का मंगल | 15 जुलाई 2025, 22 जुलाई 2025, 29 जुलाई 2025, 05 अगस्त 2025 |
हरियाली तीज | 27 जुलाई 2025, रविवार |
नाग पंचमी | 29 जुलाई 2025, मंगलवार |
श्रावण पुत्रदा एकादशी | 5 अगस्त 2025, मंगलवार |
रक्षाबंधन | 9 अगस्त 2025, शनिवार |
श्रावण की आध्यात्मिक महत्ता (Shravan Month Spiritual Significance)
- श्रावण को आध्यात्मिक विकास और ईश्वर के साथ अपने संबंध को मजबूत करने का समय माना जाता है. भक्त अक्सर इस दौरान “ओम नमः शिवाय” जैसे शिव मंत्रों का जाप करते हैं.
पुराणों में श्रावण का उल्लेख (Shravan Month Depiction in Puranas)
- शिव पुराण के अनुसार, श्रावण मास में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. समुद्र मंथन के दौरान उनकी भूमिका प्रमुख होती है. इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ और भगवान शिव ने हलाहल विष का सेवन किया. इसलिए वे आशुतोष और नीलकंठ कहलाए. विष के जलन को शांत करने के लिए ही शिवलिंग पर गंगा जल और दूध अर्पित किए जाते हैं.
- भागवत पुराण में श्रावण माह के महत्व तथा सृष्टि और वैदिक ज्ञान के साथ इसके संबंध पर बल दिया गया है. मत्स्य पुराण में उल्लेख है कि श्रावण माह में युगों तक कठोर तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव का प्रेम पाया.
श्रावण में क्या करें और क्या न करें (What to do and what not to do in Shravan Month 2025)
- सावन सोमवार व्रत के दौरान उपवास और प्रार्थना की जाती है.
- उपवास का पालन करने के लिए आमतौर पर अनाज और अन्य विशिष्ट खाद्य पदार्थों से परहेज़ किया जाता है.
फल और दूध-दही को आहार में शामिल किया जाता है.
भगवान शिव की पूजा (Lord Shiva Puja)
- अनुष्ठान करना
- प्रार्थना करना
- शिवलिंग पर गंगा जल के साथ-साथ दूध, बिल्व पत्र भी अर्पित किए जाते हैं.
- शिव मंत्रों का जाप विशेष रूप से “ओम नमः शिवाय” का मंत्रोच्चार
- सावन में किस नियम का पालन किया जाता है (Shravan Month 2025 Rules & Rituals)
- शाकाहारी आहार लिया जाता है. प्याज-लहसुन, मांस-मदिरा का सेवन इस माह में वर्जित है.
- शिव का आशीर्वाद पाने के लिए नकारात्मक गतिविधियों से दूर रहना और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा जाता है.
- इस समय परोपकार, दान और करुणा के कार्य करना शुभ और लाभकारी माना जाता है.