गुरु आदित्य योग में भोले शंकर के प्रिय माह सावन का शुभारंभ, यह दिन 11 जुलाई

गुरु आदित्य योग में भोले शंकर के प्रिय माह सावन का शुभारंभ, यह दिन 11 जुलाई

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, July 1, 2025

Last Updated On: Friday, July 4, 2025

11 जुलाई से गुरु आदित्य योग में सावन माह की शुरुआत, भोलेनाथ की कृपा पाने का शुभ अवसर। जानें इस पावन दिन का महत्व और शुभ संयोग.
11 जुलाई से गुरु आदित्य योग में सावन माह की शुरुआत, भोलेनाथ की कृपा पाने का शुभ अवसर। जानें इस पावन दिन का महत्व और शुभ संयोग.

इस वर्ष श्रावण माह 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष सावन माह में दुर्लभ संयोग बन रहा है. सावन माह के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शिव योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहे हैं.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, July 4, 2025

Guru Aditya Yoga 2025: इस वर्ष श्रावण माह 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा है. 11 जुलाई से गुरु आदित्य योग का शुभ संयोग बन रहा है, जिसमें श्रावण माह की भी शुरुआत होगी. इस वर्ष आयुष्मान और सौभाग्य योग के साथ 9 अगस्त को स्नानदान की पूर्णिमा और रक्षाबंधन के साथ सावन का समापन हो जाएगा. सावन का पहला सोमवार व्रत 14 जुलाई को, दूसरा 21 जुलाई को, तीसरा 28 जुलाई को और चौथा सोमवार व्रत 4 अगस्त को होगा.

दुर्लभ है सावन माह का संयोग

ज्योतिषाचार्य अनिल जैन के अनुसार, इस वर्ष सावन माह में दुर्लभ संयोग बन रहा है. सावन माह के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शिव योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहे हैं. इस साल कुल 4 सावन सोमवार पड़ रहे हैं. सावन सोमवार के चार व्रत के अलावा, इस माह में हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नाग पंचमी, कामिका एकादशी, सावन पुत्रदा एकादशी, रक्षाबंधन, श्रावण पूर्णिमा जैसे व्रत-त्योहार भी मनाये जायेंगे. जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उनके लिए सावन माह की बहुत अधिक महत्ता है. महादेव की विशेष पूजा कर और दान-पुण्य कर कालसर्प दोष शांत किया जा सकता है.

शिवजी को विशेष प्रिय हैं बेलपत्र और समीपत्र

भक्त भोले शिवशंकर को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछा तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं. ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व है. तभी से शिवजी को बेलपत्र और शमीपत्र चढाया जाने लगा.

धतूरा, भांग और श्रीफल से महादेव की विशेष पूजा

श्रावण माह में भगवान शंकर की विशेष पूजा होती है. जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से महादेव का अभिषेक किया जाता है. अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, मदार, कनेर, राई फूल आदि अर्पित कर शिवजी को प्रसन्न किया जाता है. धतूरा, भांग और श्रीफल भोग के रूप में महादेव को अर्पित किया जाता है.

शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद खाएं या नहीं

शिवलिंग से सीधे प्रसाद का सेवन नहीं किया जाता है, खासकर यह मिट्टी या पत्थर से बना हो. हिंदू धर्म में एक आम धारणा है. कथा है कि शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला प्रसाद चंदेश्वर का है, जो आत्माओं का प्रधान है. यह भगवान शिव के मुंह पर रहता है. इसके अपवाद भी हैं. धातु या शिवलिंग पर अर्पित किए गए प्रसाद को आम तौर पर खाने के लिए स्वीकार्य माना जाता है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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