राजनीति में नई शुरूआत कर दी देवेन्द्र फडणवीस ने, दोनों ठाकरे बंधुओं को एक मंच पर ला दिया
राजनीति में नई शुरूआत कर दी देवेन्द्र फडणवीस ने, दोनों ठाकरे बंधुओं को एक मंच पर ला दिया
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, July 5, 2025
Updated On: Saturday, July 5, 2025
राजनीति का कोई स्थायी चरित्र नहीं होता है. दो दशक पहले बाल ठाकरे (Bal Thackeray) के परिवार में फूट हुआ. कई बार कोशिशें हुईं, लेकिन उद्धव (Udhav Thackeray) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) को एक साथ कोई नहीं कर पाया. समय का पहिया घूमा और अचानक भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) का विरोध करते-करते उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर आ गए. इसे महाराष्ट्र की राजनीति का एक नया अध्याय माना जा रहा है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Saturday, July 5, 2025
Devendra Fadnavis Masterstroke: महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक ऐतिहासिक क्षण तब दर्ज हुआ जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे वर्षों की दूरी और सियासी कटुता भुलाकर एक मंच पर नजर आए. यह नज़ारा न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत का संकेत भी दे गया. मंच से बोलते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, “मैंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं. जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया… हम दोनों को साथ लाने का काम.”
देवेंद्र फडणवीस (Devndra Fadanvis) की इस रणनीतिक सफलता ने महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा दी है. उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) का एक मंच पर आना न सिर्फ प्रतीकात्मक है, बल्कि इससे आने वाले समय में राज्य के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं.
20 साल बाद बदली तस्वीर
2006 में बाल ठाकरे (Bal Thackeray) के परिवार में राजनीतिक मतभेदों ने उद्धव और राज के रास्ते अलग कर दिए थे. इसके बाद शिवसेना और मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे. समय-समय पर दोनों नेताओं को साथ लाने की कोशिशें होती रहीं, लेकिन हर बार सियासी दूरियां कायम रहीं.
फडणवीस बने सियासी सूत्रधार
इस एकता की पटकथा के पीछे सबसे बड़ा नाम भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का बताया जा रहा है. राज ठाकरे के बयान ने साफ कर दिया कि फडणवीस ने पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभाई है. यही वजह है कि उन्होंने मंच से खुलेआम उनके प्रयासों को स्वीकार करते हुए कहा कि जो काम बालासाहेब भी नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिखाया.
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इस सियासी मेल-मिलाप को भाजपा के लिए रणनीतिक बढ़त माना जा रहा है. यह गठजोड़ न सिर्फ मराठी वोटबैंक को एकजुट कर सकता है, बल्कि भाजपा और MNS-शिवसेना (उद्धव गुट) की त्रिकोणीय सियासत में नया समीकरण भी रच सकता है.
विरोध से सहमति तक
हाल के दिनों में फडणवीस (Devndra Fadanvis) और ठाकरे गुटों के बीच तल्खी चरम पर थी. उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) लगातार भाजपा और फडणवीस पर तीखे हमले करते रहे, वहीं राज ठाकरे (Raj Thackeray) कभी-कभार भाजपा के साथ दिखाई दिए लेकिन पूरी तरह गठबंधन नहीं किया.
ऐसे में यह राजनीतिक चमत्कार ही कहा जाएगा कि देवेंद्र फडणवीस की रणनीति और राजनीतिक संवाद ने दोनों ठाकरे बंधुओं को एक साझा मंच पर ला खड़ा किया. विश्लेषकों के अनुसार, फडणवीस (Devndra Fadanvis) अब सिर्फ भाजपा के नेता नहीं, बल्कि राजनीतिक जोड़-तोड़ और पुनर्संरचना के चाणक्य के रूप में उभरते दिख रहे हैं.
बदलता समीकरण
महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटनाक्रम 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बेहद अहम माना जा रहा है. जहां भाजपा के लिए यह एक बड़ी राजनीतिक जीत है, वहीं शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे को भी इससे राजनीतिक संबल मिल सकता है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र में विपक्षी दलों का एक नया गठजोड़ आकार ले सकता है.
फडणवीस की नई भूमिका?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि फडणवीस (Devndra Fadanvis) अब ‘मुख्यमंत्री से अधिक बड़े रणनीतिकार’ की भूमिका में हैं. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि भाजपा उन्हें महाराष्ट्र में विपक्षी दलों को तोड़ने और जोड़ने की जिम्मेदारी देकर 2029 की केंद्र की राजनीति में बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर रही है.
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