सैम पित्रोदा (Sam Pitroda): राहुल के लिए जरूरी या मजबूरी
Authored By: Gunjan Shandilya
Published On: Saturday, June 29, 2024
Updated On: Saturday, June 29, 2024
सैम पित्रोदा ने चुनाव के दौरान पूर्वोत्तर के लोगों को चीनी तो दक्षिण भारतीय को अफ्रीकी कह कर विवाद पैदा कर दिया था। पार्टी ने चुनावों में नुकसान को देखते हुए उन्हें ओवरसीज अध्यक्ष पद से हटा दिया था।
लोकसभा चुनावों के दौरान विवादित बयानों के कारण पद से हटाए गए सैम पित्रोदा फिर से ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए हैं। देश भर में चुनावी माहौल था और पित्रोदा ने नस्लभेदी टिप्पणी और विरासत टैक्स पर बयान देकर विवाद पैदा कर दिया था। तब उनके बयान पर भाजपा सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावों में मुद्दा बनाया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के ओवरसीज अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। चुनाव के तुरंत बाद उनकी वापसी कई सवाल खड़े करती है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि पित्रोदा कांग्रेस (Congress) के लिए जरूरी हैं या मजबूरी?
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का जोश हाई
चुनावी नतीजों से कांग्रेस बम-बम है। खासकर राहुल गांधी का जोश हाई है। पार्टी के 45 सीट बढ़ने पर नहीं। बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा के बहुमत से दूर रहने पर। हालांकि उनके नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) को बहुमत से 27 सीटें ज्यादा आई। फिर भी कांग्रेस और राहुल फ्रन्टफुट पर बैटिंग कर रहे हैं। और भाजपा बैकफुट पर है। इसलिए कांग्रेस सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा। पार्टी स्तर पर भी बिना दबाव में फैसले ले रही है। इन्हीं फैसलों में सैम पित्रोदा की वापसी है।
पित्रोदा का आश्वासन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मीडिया प्रभारी जयराम रमेश सैम पित्रोदा मामले पर कहते हैं, ‘कांग्रेस ने पित्रोदा को इस आश्वासन पर लाया है कि वह भविष्य में विवाद पैदा होने वाले बयान नहीं देंगे। पार्टी को असहज करने वाली बात नहीं करेंगे।’ जयराम रमेश अभी राहुल के करीबी लोगों में से एक हैं।
भाजपा (BJP) का हमला
नीट मामलों के कारण सरकार और भाजपा बेशक बैकफुट पर है। लेकिन सैम पित्रोदा की वापसी ने इन्हें कांग्रेस के खिलाफ एक मुद्दा जरूर दे दिया है। इसलिए भाजपा ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोल है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पुरी से सांसद संबित पात्रा ने कहा कि पित्रोदा की वापसी से हमें कोई आपत्ति नहीं है। यह उनका फैसला है। लेकिन राहुल गांधी हमारे सवालों का जवाब दे दें। क्या पित्रोदा ने नस्लभेदी टिप्पणी राहुल से सहमति लेकर किया था? क्या विरासत टैक्स पर भी राहुल सहमत हैं? उन्होंने आगे यह भी कहा कि पित्रोदा की वापसी से 1984 के सिख विरोधी दंगों और पुलवामा में आतंकी हमला पर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियों पर पार्टी के समर्थन की मुहर लग गई है।
पित्रोदा का विवादित बयान से गहरा नाता
पित्रोदा सिर्फ इसी चुनाव में नहीं बल्कि पहले भी वे कई बार आपत्तिजनक टिप्पणी करते रहे हैं। 1984 के सिख विरोधी दंगे का समर्थन करने वाले बयान से तो सिख समुदायों में भारी रोष व्याप्त हुआ था। लेकिन कांग्रेस ने उसे समय भी किसी तरह इसे मैनेज किया था। 2019 में पुलवामा में आतंकी हमलों पर भी सवाल खड़ा करते हुए पित्रोद ने सेना को कठघरे में ही खड़ा कर दिया था। इन सबके बावजूद पित्रोदा से कांग्रेस के मोह के कई कारण हैं।
गांधी परिवार (Gandhi Family) से निजी संबंध
पित्रोदा का संबंध गांधी परिवार से राजीव गांधी के समय से ही है। राजीव गांधी से उनके बहुत गहरे ताल्लुकात थे। वे बतौर राजीव के निजी सलाहकार के तौर पर भी रहे हैं। गांधी परिवार अपने पुराने संबंधों को खत्म नहीं करना चाहती। राजीव गांधी ने पित्रोदा को 1989 में दूरसंचार आयोग के पहला अध्यक्ष बनाया था। फिर 2005 से 2009 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के भी प्रमुख बनाए गए थे। 2009 में मनमोहन सिंह ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया था। यह सब गांधी परिवार से उनके पुराने ताल्लुकात के वजह से मिल था।
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