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भगवान महाकाल की ‘शाही सवारी’ में ‘शाही’ शब्द हटाने की हो गई तैयारी, ढूंढा जा रहा नया नाम
भगवान महाकाल की ‘शाही सवारी’ में ‘शाही’ शब्द हटाने की हो गई तैयारी, ढूंढा जा रहा नया नाम
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, September 4, 2024
Updated On: Tuesday, September 3, 2024
शिवजी महाकाल बनकर आततायियों का नाश करते हैं। भगवान शिव ने असुरों को चेतावनी दी, लेकिन वे नहीं माने। तब महादेव असुरों से पृथ्वी को मुक्त कर दिया। भक्तों ने भगवान शिव से इसी स्थान पर रुकने के लिए आग्रह किया। इसके बाद भगवान वहां विराजमान हो गए और महाकाल कहलाए।
Authored By: स्मिता
Updated On: Tuesday, September 3, 2024
ईश्वर संसार के पालनकर्ता हैं और संहारक भी ईश्वर ही हैं। भगवान शिव शंकर खुद अपने भक्तों का हालचाल लेते हैं और उन्हें सुख प्रदान करते हैं। वे संरक्षण और संहारण दोनों की जिम्मेदारी लिए हुए हैं। उनके भक्त प्रतीक स्वरुप महाकाल की सवारी निकलते हैं। इस सवारी को महाकाल की शाही सवारी कहा जाता है। अब साधु-संत समाज नहीं चाहते हैं कि महाकाल की सवारी के साथ शाही शब्द जुड़े। यह शब्द उन्हें राजतंत्र और उसकी कड़ी व्यवस्था की याद दिला देता है। प्रभु खुद को भक्त का सेवक मानते हैं, राजा नहीं। इसलिए भक्तों के अनुकूल शब्द (Bhagwan Mahakal Shahi Sawari) ढूंढें जा रहे हैं।
कौन हैं महाकाल (Mahakal)
जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है, तो अत्याचारियों को खत्म करने के लिए खुद भगवान धरती पर आते हैं। शिवजी महाकाल बनकर आततायियों का नाश करते हैं। भगवान शिव ने असुरों को चेतावनी दी, लेकिन वे नहीं माने। तब महादेव धरती फाड़कर प्रकट हुए और असुरों से पृथ्वी को मुक्त कर दिया। भक्तों ने भगवान शिव से इसी स्थान पर रुकने के लिए आग्रह किया। इसके बाद भगवान वहां विराजमान हो गए और महाकाल कहलाए।
महाकाल मंदिर के ऊपर गर्भगृह में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति प्रतिष्ठित है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं। दक्षिण में नंदी की प्रतिमा है। तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर की मूर्ति केवल नागपंचमी के दिन दर्शन के लिए खुली होती है।
क्या है महाकाल का अर्थ
महाकाल मतलब महान काल होता है, जो अंततः सभी चीजों को नष्ट कर देता है। हिंदू धर्म के अनुसार, महाकाल भगवान शिव को संदर्भित करता है, क्योंकि वह सभी तत्वों का नाश करने वाले हैं। उसके परे कुछ भी नहीं है। कोई तत्व नहीं, कोई आयाम नहीं, यहां तक कि समय (काल) भी नहीं। इसलिए वे महा (महान) काल (समय) हैं।
महाकाल की शाही सवारी
महाकाल की शाही सवारी (Mahakal Shahi Sawari 2024) सावन माह के प्रत्येक सोमवार को और भादो के पहले 2 सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है। भादो के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल की अंतिम सवारी निकलती है। इसका रूट अन्य सवारियों से ज्यादा लंबा होता है। इसका स्वरूप अन्य सवारियों से बहुत ज्यादा वैभवशाली और विशाल होता है। इस वर्ष सावन-भादो माह में भगवान महाकाल की कुल 7 शाही सवारियां निकाली जाएंगी। सावन महीने में 5 और भादो माह में 2 सवारी निकलेगी। उज्जैन के राजा महाकाल बाबा श्रावण मास में प्रति सोमवार नगर भ्रमण करते हैं और अपनी प्रजा को देखते हैं। महाशिवरात्रि के दिन समूचा शहर शिवमय हो जाता है।
संस्कृत के पांच व हिंदी के पांच नए नाम भी सुझाए जाएंगे
उज्जैन सहित मध्य प्रदेश के सनातनी समाज इस मुद्दे पर एकजुट हैं। इसमें न केवल इस्लामिक और सामंतवादी गंध वाले शब्द शाही सवारी को हटाने की मांग की जाएगी, बल्कि संस्कृत के पांच व हिंदी के पांच नए नाम भी सुझाए जाएंगे। मध्य प्रदेश के साधु, संतों, कथावाचकों, विद्वानों तथा आम जनता ने एक स्वर में कहा है कि हमारे आराध्य की यात्रा से ‘शाही’ जैसा फारसी शब्द हटाया जाना चाहिए।
नया शब्द प्रयोग में लाया जाएगा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अनुसार, ‘शाही सवारी’ के स्थान पर ‘राजसी सवारी’ शब्द का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए धर्माचार्यों, संस्कृतिविदों, पंडे-पुजारियों से विमर्श कर नया नाम तय किया जायेगा। शाही सवारियां मुगल बादशाहों और बेगमों की निकलती थीं। जानकरआश्चर्य होगा कि 16वीं-17वीं सदी में महाकाल मंदिर की व्यवस्थाएं मुस्लिम सत्ताधारियों के शाही फरमान पर निर्भर हो गईं थीं। ‘शाही’ शब्द का प्रयोग तब से होता आ रहा है। सिंहस्थ मेले के ‘शाही स्नान’ भी उसी दौर में प्रचलित हुए।
(हिंदुस्तान समाचार के इनपुट के साथ)