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Bird Flu : झारखंड सहित तीन राज्य बर्ड फ्लू की चपेट में, कैसे करें बचाव
Bird Flu : झारखंड सहित तीन राज्य बर्ड फ्लू की चपेट में, कैसे करें बचाव
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, August 29, 2024
Updated On: Thursday, December 26, 2024
एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू (Bird Flu) टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण होती है। ये वायरस स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों के बीच पाए जाते हैं। इससे बचाव के उपाय करना जरूरी है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Thursday, December 26, 2024
हाल में विश्व में मंकी पॉक्स (Monkey Pox) के मिल रहे मामलों से लोग डरे हुए थे। लोग डरें भी क्यों नहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन ने इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। अब भारत में मिल रहे बर्ड फ्लू से लोग सशंकित हो रहे हैं। भोपाल की लैब में बर्ड फ्लू की पुष्टि भी हो चुकी है। हर साल हम बर्ड फ्लू फैलने की खबर जरूर सुनते हैं। इसके कारण दहशत में आना लाजिमी है। जब यह पक्षियों में होने वाला फ्लू है, तो हम इंसान इतने आशंकित क्यों हो जाते हैं? यह सब जानकारी के अभाव में होता है। आइये जानते हैं अब तक कहां-कहां फ़ैल चुका है बर्ड फ्लू (Bird Flu or Avian Flu) और इससे बचाव (Bird flu se kaise Karen bachav) के लिए किन बातों का ख्याल रखा जा सकता है?
एच 5 एन1 और एच 5 एन 2 वायरस का संक्रमण (H5N1 and H5N2 Virus)
झारखंड, आंध्र प्रदेश और ओडिशा बर्ड फ्लू संक्रमण की चपेट में हैं। इन दिनों सबसे अधिक मामले ओडिशा में आ रहे हैं। भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान में जांच के लिए इन राज्यों से आने वाले सैंपलों में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। ओडिशा में 30 से अधिक सैंपल इसी सप्ताह संक्रमित पाए गए हैं। आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक मामले हैदराबाद के आसपास के जिलों से आ रहे हैं। यहां एच5एन1 और झारखंड में एच5एन2 वायरस का संक्रमण है। मप्र की राज्यस्तरीय प्रयोगशाला के वैज्ञानिक डा. जयंत टपासे के अनुसार, मौसम में ठंडक व नमी होने पर बर्ड फ्लू के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए प्रभावित राज्यों के पड़ोसी राज्यों को भी सतर्कता रखने की हिदायत दी गई है।
टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू (Bird Flu or Avian Flu)
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू (Bird Flu) टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण होती है। ये वायरस स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों के बीच पाए जाते हैं। फिर इनसे संक्रमण पोल्ट्री फार्म और अन्य पक्षियों और पशुओं की प्रजातियों में फैलता है। बर्ड फ्लू के वायरस आम तौर पर इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। संक्रमित पक्षियों के खाने पर ये इंसानों की मुश्किल बहुत अधिक बढ़ा देते हैं।
बर्ड स्वाइन और जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस के बीच अंतर
बर्ड स्वाइन और दूसरे तरह के जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस के बीच अंतर है। हू के अनुसार, एवियन, स्वाइन और दूसरे तरह के जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस से इंसान संक्रमित हो सकता है। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस A(H5N1), A(H7N9), और A(H9N2) और स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस A(H1N1), A(H1N2) और A(H3N2) है। इंसानों में यह संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित पशुओं या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क के माध्यम से प्राप्त होते हैं।
सांस नली में संक्रमण और हल्का बुखार हो सकते हैं लक्षण (Bird Flu Symptoms)
मनुष्यों में एवियन इन्फ्लुएंजा के लक्षण वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन (strain) पर निर्भर करते हैं। मनुष्यों में एवियन, स्वाइन और अन्य जूनोटिक इन्फ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से रेस्पिरेटरी सिस्टम का ऊपरी भाग संक्रमित हो जाता है। लक्षणों में हल्के फ्लू जैसी बीमारी, कभी-कभी आंखों में जलन, दर्द, पेट में दर्द और उल्टी- दस्त, सांस लेने में कठिनाई, निमोनिया भी हो सकता है। बुखार, खांसी, सलीवा का प्रोडक्शन अधिक होना, निमोनिया, सेप्सिस, सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत होना यहां तक कि व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
एंटीवायरल दवाएं हो सकती हैं बर्ड फ्लू का उपचार (Bird Flu Treatment)
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट बताता है कि बर्ड फ्लू होने पर बहुत कम दवाइयां असर करती हैं। कुछ एंटीवायरल दवाएं, विशेष रूप से न्यूरोमिनिडेस इनहिबिटर (ओसेल्टामिविर, ज़नामिविर दवाएं) वायरल रेप्लिकेशन की अवधि को कम करने में मदद कर सकती हैं। ये दवाएं जीवित रहने की संभावनाओं में सुधार कर सकती हैं।
बर्ड फ्लू में भी इन्फ्लुएंजा वैक्सीन दिया जाता है। H5N1 इन्फ्लूएंजा वैक्सीन दो खुराक में दी जा सकती है। दी जाने वाली खुराक मौजूदा मौसमी इन्फ्लुएंजा वैक्सीन में किसी एक स्ट्रेन के लिए दी गई खुराक से 12 गुना अधिक होती है। उपचार से अधिक जरूरत एवियन फ्लू से बचाव है।
बर्ड फ्लू से कैसे करें बचाव (Bird Flu Prevention)
- कई बातों का ख्याल रखने पर न सिर्फ अपना, बल्कि दूसरों के जीवन का भी बर्ड फ्लू से बचाव किया जा सकता है।
- नियमित रूप से हाथों को अच्छी तरह धोकर सुखाना।
- खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना, टिश्यू पेपर का उपयोग करना।
- उपयोग करने के बाद टिश्यू या दूसरे संक्रमण फैलाने वाले सामान को सही जगह पर डंप करना।
- अस्वस्थ महसूस करने वाले, बुखार से पीड़ित और इन्फ्लुएंजा लक्षण वाले लोगों के निकट संपर्क से बचना।
- आंख, नाक या मुंह को छूने से बचना।
- एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप वाले देशों में रहने वाले लोगों और यात्रा करने वाले लोगों को पोल्ट्री फार्मों से बचना चाहिए। दूषित प्रतीत होने वाले किसी भी सतह से संपर्क करने से अपना बचाव करें। मुर्गे या अन्य जानवरों के मल को नहीं छुएं।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)