Asthma in Ayurveda: वसाका और तुलसी जैसे हर्ब से किया जा सकता है अस्थमा का इलाज

Asthma in Ayurveda: वसाका और तुलसी जैसे हर्ब से किया जा सकता है अस्थमा का इलाज

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, December 27, 2024

Updated On: Friday, December 27, 2024

Asthma in Ayurveda Vasa and Tulsi herbs for asthma treatment
Asthma in Ayurveda Vasa and Tulsi herbs for asthma treatment

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अस्थमा को 'तामक श्वास कहा जाता है। इसे दोषों के असंतुलन के कारण श्वसन तंत्र का विकार माना जाता है। आयुर्वेद अस्थमा के उपचार में दोषों को संतुलित करना और शरीर में सामंजस्य स्थापित करता है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, December 27, 2024

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Pollution) घटने का नाम नहीं ले रहा है। इसलिए सांस की कई बीमारी (Respiratory Disease) के साथ-साथ अस्थमा के मामले भी खूब दिखाई डे रहे हैं । हम अस्थमा के कारण सही से सांस नहीं ले पाते हैं। हमें लगता है कि सांस की कमी के कारण दम घुट जाएगा। अस्थमा के रोगी के लिए साथ मुश्किल यह है कि वे यह नहीं जान पाते हैं कि अगला अस्थमा अटैक उन्हें कब आ जाएगा। इससे उनकी सांस फूलने लग जाती है। एलोपैथ मेडिसिन तत्काल राहत तो दे देती है। इसके साइड इफेक्ट भी बहुत हैं। इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। आयुर्वेद की मदद से इसके लक्षणों पर काबू (Asthma in Ayurveda) पाया जा सकता है।

अस्थमा को आयुर्वेद कैसे मैनेज करता है (Asthma in Ayurveda)

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नीतू भट्ट बताती हैं, ‘आयुर्वेद से न केवल लक्षणों (Asthma Symptoms) का इलाज किया जा सकता है, बल्कि ट्रिगर्स को भी खत्म किया जा सकता है। इससे तीव्रता को कम कर श्वसन तंत्र को मजबूत किया जा सकता है। फेफड़ों की कार्यक्षमता में भी सुधार हो सकता है। इससे व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है। अस्थमा के लक्षणों से राहत मिलती है।’

कैसे होता है अस्थमा (cause of Asthma)

अस्थमा एक क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज है, जो एयर पाथवेज में सूजन और संकुचन का कारण बनती है। पाथवेज फेफड़ों में हवा को अंदर और बाहर ले जाने वाली ट्यूब हैं। इससे अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह रिएक्शन पोलेन ग्रेन्स, धूल कण और पालतू पशुओं के बाल और रूसी से एलर्जी के कारण हो जाती है। यह एयर पोलूशन, सांस में संक्रमण, एक्सरसाइज और यहां तक कि तनाव के संपर्क में आने के कारण भी हो सकती है। इसके कारण घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या बार-बार हो सकती है।

आयुर्वेद कैसे करता है अस्थमा का इलाज (Asthma treatment in Ayurveda)

डॉ. नीतू भट्ट बताती हैं,’आयुर्वेदिक चिकित्सा में अस्थमा को ‘तामक श्वास (‘Tamaka Shwasa)’ कहा जाता है। इसे दोषों के असंतुलन के कारण श्वसन तंत्र का विकार माना जाता है। आयुर्वेद अस्थमा के उपचार में दोषों को संतुलित करना और शरीर में सामंजस्य स्थापित करता है। विशिष्ट दोषों में असंतुलन विशिष्ट लक्षण का कारण बनता है। इसलिए सबसे पहले दोष को पहचानना जरूरी है। जैसे कि वात दोष के कारण हुए अस्थमा में सूखी खांसी और घरघराहट होती है। यह शुष्क और ठंडे मौसम के संपर्क में आने से शुरू हो सकती है। पित्त (अग्नि तत्व) अस्थमा में गर्मी, सूजन और छाती में जलन महसूस होती है। यह आमतौर पर संक्रमण, एलर्जी और प्रदूषण से शुरू होता है। कफ अस्थमा के कारण बलगम अधिक आता है। यह एलर्जी, कुछ खाद्य पदार्थों और नम वातावरण के संपर्क में आने से शुरू हो सकता है।’

अस्थमा के आयुर्वेदिक उपचार (Asthma Ayurvedic treatment) 

1)  जडी बूटी से उपचार (Herbal Treatment for Asthma)

डॉ. नीतू भट्ट के अनुसार, हर्ब और स्पाइसेज ब्रोन्कोडायलेटर और एक्सपेक्टोरेंट गुण दिखाते हैं। ये वायुमार्ग खोलने और कंजेशन को कम करने में मदद करते हैं। सबसे प्रभावी में से कुछ में शामिल हैं: वसाका (Vasaka) , तुलसी (Tulsi), मुलेठी (Liquorice), मिर्च (Long pepper), इलायची (Cardamom), दालचीनी (Cinnamon), शहद (Honey), अदरक (Ginger) से इसका उपचार किया जा सकता है।

2)  तलीय और ठंडे खाद्य पदार्थों से परहेज़ (oily food) 

अस्थमा के रोगियों को आम तौर पर आसानी से पचने वाले और पौष्टिक खाद्य पदार्थ लेने चाहिए। उन्हें गर्म सूप, पकी हुई सब्जियां और हर्बल टी का सेवन करना चाहिए। अस्थमा के मरीज को भारी, तैलीय और ठंडे खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। फ़ूड ट्रिगर्स से बचना, भोजन को छोड़े बिना नियमित खाने के कार्यक्रम का पालन करना और ध्यान से खाना ये सभी पाचन प्रक्रिया पोषक तत्वों को शरीर में पहुंचाने में मदद करते हैं।

3)  जीवनशैली में बदलाव (lifestyle changes for Asthma)

जीवनशैली में बदलाव के लिए एलर्जी, धूल, पोलेन ग्रेन और धुएं जैसे सामान्य ट्रिगर्स से बचना चाहिए। श्वसन तंत्र को मजबूत करने और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करने वाली तकनीकें भी अपनाना चाहिए। हाफ स्पाइनल ट्विस्ट और कोबरा पोज़ जैसे कुछ योग आसन चेस्ट को खोलने में मदद करते हैं। अनुलोम विलोम जैसे गहरी सांस लेने के व्यायाम श्वसन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करते हैं।

4)  पंचकर्म (Ayurvedic Cleaning)

पंचकर्म चिकित्सा शरीर से बलगम और विषाक्त पदार्थों को निकालने में प्रभावी है। ये दोषों में संतुलन लाने में मदद करते हैं। वमन और विरेचन (शुद्धिकरण) जैसे उपचार कुछ लोगों के लिए फायदेमंद हैं। जिन लोगों को कफ और पित्त दोषों में असंतुलन होता है। शवासन का रोजाना अभ्यास अस्थमा को कंट्रोल में रहने में कारगर होता है।

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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