Fatty Liver Disease in Children : भारत के बच्चों में फैटी लिवर डिजीज बढ़ने के क्या हैं कारण

Fatty Liver Disease in Children : भारत के बच्चों में फैटी लिवर डिजीज बढ़ने के क्या हैं कारण

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, March 3, 2025

Updated On: Monday, March 3, 2025

भारत में बच्चों में बढ़ती फैटी लिवर बीमारी, इसके कारण और बचाव के तरीके।
भारत में बच्चों में बढ़ती फैटी लिवर बीमारी, इसके कारण और बचाव के तरीके।

Fatty Liver Disease in Children : हाल के दिनों में भारत के बच्चों में फैटी लीवर डिजीज के मामलों में 35 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है. आइये जानते हैं कि क्या हैं कारण और इसे रोकने के क्या हैं उपाय.

Authored By: स्मिता

Updated On: Monday, March 3, 2025

Fatty Liver Disease in Children: भारत में फैटी लिवर के मामलों की व्यापकता बढ़ रही है. यह वयस्कों और बच्चों दोनों को प्रभावित कर रही है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत की लगभग 38% आबादी फैटी लिवर या नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से पीड़ित है. विशेष रूप से चिंता की बात यह है कि लगभग 35% मामले बच्चों में हैं, जिन्हें अब मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज (MASALD) कहा जाता है. एम्स के आंकड़े भारत में फैटी लिवर रोगों के बढ़ते बोझ को दूर करने के लिए हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.

कब होता है नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD)

एनएएफएलडी तब होता है जब लिवर कोशिकाओं में बहुत अधिक वसा बनती है. आमतौर पर लिवर सीधे आंत से भोजन लेता है. यह वसा, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को ऊर्जा और अन्य प्रोटीन में संसाधित करता है. इस प्रक्रिया में असंतुलन के कारण लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो सकती है. मुख्य रूप से ट्राइग्लिसराइड्स (वसा का प्रकार) और अन्य लिपिड, जो लिवर के वजन का लगभग 10% बनाते हैं, जिससे संभावित रूप से लिवर को नुकसान हो सकता है. लिवर शरीर का सबसे बड़ा अंग है, जो पाचन, ऊर्जा भंडारण और विष को हटाने में सहायता करता है.

फैटी लिवर के प्रकार (Types of Fatty Liver Disease)

फैटी लिवर के दो मुख्य प्रकार हैं – NAFLD, और अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, जो मुख्य रूप से बहुत ज़्यादा शराब पीने से होता है. NAFLD विकसित और विकासशील दोनों देशों में युवा लोगों में क्रोनिक लिवर रोग का सबसे आम कारण है. भारत में इसका प्रचलन सामान्य वजन वाले बच्चों में 3-10% से लेकर अधिक वजन/मोटे बच्चों में 10-60% तक है.

बच्चों में फैटी लीवर रोग का कारण (Cause of Fatty Liver Disease in Children)

यह तब होता है जब लीवर में बहुत अधिक वसा (ट्राइग्लिसराइड्स) जमा हो जाती है. मुख्य रूप से खराब खान-पान की आदतों और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण यह होता है. फैटी लीवर रोग लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक विकसित होता है. यह 10 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों में भी विकसित हो सकता है.

  • गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग के जोखिम कारकों में शामिल हैं (NAFLD Risks)
  • मोटापा
  • इंसुलिन प्रतिरोध
  • प्री-डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज
  • हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ट्राइग्लिसराइड्स

क्या है डेटा (Fatty Liver Disease Data in Children)

हार्वर्ड हेल्थ के बच्चों पर किये गए शोध बताते हैं कि बच्चों में फैटी लीवर डिजीज महामारी बन जाने का मुख्य कारण यह है कि अधिक से अधिक बच्चे मोटापे का सामना कर रहे हैं. मोटापे से प्रभावित बच्चों में फैटी लीवर रोग विकसित होने की 38% संभावना होती है. मोटापा अपने आप में एक महामारी है. फैटी लीवर रोग के आनुवंशिक कारक भी हो सकते हैं और माता-पिता से विरासत में मिल सकते हैं.

फैटी लीवर के खतरे क्या हैं (Fatty Liver Disease Risks)

फैटी लिवर रोग जीवन भर की समस्याओं का कारण बन सकता है. इसलिए समय रहते इसका उपचार करना महत्वपूर्ण है. समय के साथ फैटी लिवर रोग गंभीर लिवर क्षति का कारण बन सकता है. फैटी लिवर रोग को एक मूक रोग माना जाता है, क्योंकि यह कोई लक्षण पैदा नहीं कर सकता है. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) में विकसित हो सकता है. फैटी लिवर रोग के उपचार की एक चुनौती यह है कि इसमें अक्सर तब तक कोई लक्षण नहीं दिखते जब तक कि गंभीर स्थिति न हो जाए. इसलिए बच्चे में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या दिखने पर तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जायें.

मोटापे से पीड़ित 9 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे की जांच जरूरी (Obesity Risks for Fatty Liver Disease)

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, मोटापे से पीड़ित बच्चों की 9 से 11 वर्ष की आयु के बीच जांच की जानी चाहिए. जिन बच्चों का वजन अधिक है और जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास है, उनकी भी जांच की जानी चाहिए. फैटी लीवर की बीमारी को रिवर्स करने या ठीक करने के लिए कोई दवा नहीं है. जीवनशैली में बदलाव बीमारी के बढ़ने पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं.

फैटी लीवर से बचाव के लिए बच्चे क्या करें (Fatty Liver Disease Prevention for Children)

फैटी लीवर की बीमारी वाले बच्चों को एक आहार विशेषज्ञ के साथ मिलकर एक पोषण योजना बनानी चाहिए. इसमें कम कैलोरी, कम चीनी और कम वसा शामिल हो. बच्चों को अपनी शारीरिक गतिविधि भी बढ़ानी चाहिए. बच्चों के वजन घटाने पर ध्यान देना चाहिए. बच्चों को समझाएं कि चिप्स, सोडा और स्पोर्ट्स ड्रिंक जैसे उनके पसंदीदा खाद्य पदार्थ उनके स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुंचा रहे हैं. सब्जियां वास्तव में उनकी कैसे मदद कर सकती हैं. बच्चों को यह सिखाना कि ये खाद्य पदार्थ उनके लीवर को कैसे प्रभावित करते हैं, उन्हें बेहतर विकल्प चुनने में मदद करता है. बच्चों को बास्केटबॉल, फ़ुटबॉल, नृत्य या परिवार के साथ घूमना या साइकिल चलाना चाहिए.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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