दिल्ली में बढ़ रहा है प्रदूषण, मेडिकल सुविधा है कितना तैयार

दिल्ली में बढ़ रहा है प्रदूषण, मेडिकल सुविधा है कितना तैयार

Authored By: सतीश झा

Published On: Wednesday, October 16, 2024

pollution increasing in delhi ncr

दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम के आते ही प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है। इस बार भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। प्रदूषण (Pollution) के बढ़ते स्तर से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।

राजधानी में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण (Pollution) की समस्या शुरू हो गई है। इसके साथ ही शुरू हो गई है इससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां। इन बीमारियों के मरीजों की संख्या को देखते हुए राजधानी के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल ) में प्रदूषण से जुड़ी हर तरह की परेशानी के लिए सप्ताह में एक दिन विशेष क्लीनिक की शुरुआत की गई है।

सरकार के प्रयास

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। जैसे, निर्माण कार्यों पर रोक, पानी का छिड़काव और सड़कों की सफाई। साथ ही, कई इलाकों में एंटी-स्मॉग गन (Anti-smog Gun) का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद, लोगों को अभी भी शुद्ध हवा नहीं मिल पा रही है। सरकार ने अस्पतालों में विशेष तौर पर सांस और फेफड़ों के इलाज के लिए अलग से बेड की व्यवस्था की है और अधिक वेंटिलेटर्स उपलब्ध कराए हैं। साथ ही, डॉक्टरों को प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

आरएमएल में शुरू हुआ विशेष क्लीनिक

राजधानी के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल ) पॉल्यूशन क्लीनिक के इंचार्ज डॉ अमित सूरी (Dr. Amit Suri) ने बताया कि क्लीनिक में प्रदूषण से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान के लिए संपर्क किया जा सकता है, जहां विशेषज्ञों की टीम को जरूरी उपकरण के साथ इलाज के लिए नियुक्त किया गया है। आरएमएल अस्पताल में हर सोमवार को दोपहर दो बजे से चार बजे तक कमरा नंबर एक से पांच (ग्राउंड फ्लोर) में प्रदूषण से जुड़ी बीमारी का इलाज होगा। क्लीनिक को विशेषज्ञों की टीम के साथ पूरी क्षमता के साथ संचालित करना शुरू कर दिया गया है। क्लीनिक में आने वाले सभी मरीजों को उनके लक्षण के आधार पर आंख, कान, त्वचा या फिर मनोवैज्ञानिकों के पास रेफर किया जाएगा, जिससे परेशानी में जरूरी सलाह दी जा सके। इसके साथ ही मरीजों को इस बात की भी सलाह दी जाएगी कि वह खुद को प्रदूषण की वजह से होने वाले दुष्प्रभाव से कैसे बचा सकते हैं। पॉल्यूशन क्लीनिक शुरू होने से मरीज को शुरुआती चरण में ही प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं से बचाया जा सकेगा। इसमें सबसे अहम प्रदूषण की वजह से खांसी, जुकाम, सिरदर्द, नजला या फिर सांस लेने में दिक्कत आदि परेशानियां हो सकती हैं।

दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध

दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस साल भी दिवाली के मौके पर पटाखों पर सख्त प्रतिबंध जारी किया है। इस फैसले का उद्देश्य वायु और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जो हर साल त्योहारों के दौरान बढ़ जाता है और राजधानी के निवासियों, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है।

  1. सभी प्रकार के पटाखों पर रोक: सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी प्रकार के पटाखों, चाहे वह ग्रीन पटाखे हों या पारंपरिक, पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। किसी भी प्रकार का पटाखा जलाना, बेचना या खरीदना अवैध होगा।
  2. कानूनी कार्रवाई: पटाखे जलाने या बेचने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा और उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। दिल्ली पुलिस और प्रशासन के अधिकारी सख्ती से निगरानी कर रहे हैं।
  3. जागरूकता अभियान: दिल्ली सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया है। स्कूलों, कॉलोनियों और विभिन्न इलाकों में प्रदूषण और पटाखों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है। बच्चों और युवाओं को पटाखों के स्थान पर दीये और अन्य पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से दिवाली मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  4. वैकल्पिक उत्सव: सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे पटाखों के बजाय दीयों, मोमबत्तियों, और एलईडी लाइट्स से अपनी दिवाली को रोशनी से भरें। इसके अलावा, सामुदायिक स्तर पर पटाखों के बजाय संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

सरकार ने पटाखों के प्रतिबंध के अलावा, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि सड़कों पर पानी का छिड़काव, कूड़े को जलाने पर रोक, और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल। साथ ही, लोगों को घरों के अंदर रहकर वायु शुद्धिकरण उपकरणों का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

About the Author: सतीश झा
समसामायिक मुद्दों पर बीते दो दशक से लेखन। समाज को लोकदृष्टि से देखते हुए उसे शब्द रूप में सभी के सामने लाने की कोशिश।

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