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स्लीप एप्निया (Sleep Apnea): क्या सोते समय आपकी भी उखड़ती है सांस?
स्लीप एप्निया (Sleep Apnea): क्या सोते समय आपकी भी उखड़ती है सांस?
Authored By: डॉ. नईम अहमद सिद्दीकी
Published On: Monday, October 14, 2024
Updated On: Monday, October 14, 2024
ओएसए (Obstructive Sleep Apnea) में सोते समय सांस नली में रुकावट आती है। इससे ऑक्सीजन की कमी होती है और सांस उखड़ती है। बिना इलाज के याददाश्त, एकाग्रता और व्यवहार पर असर पड़ता है।
Authored By: डॉ. नईम अहमद सिद्दीकी
Updated On: Monday, October 14, 2024
हाइलाइट्स
- यदि सोते समय सांस उखड़ती है, तो हो सकती है आब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए Sleep apnea) की समस्या
- दिनचर्या में बदलाव लाकर और गुणवत्तापूर्ण नींद लेकर इस समस्या को गंभीर होने से बचा जा सकता है।
- सीपीएपी (कंटिन्यूअस पॉजिटिव एअरवेज प्रेशर) नामक मेडिकल उपकरण की सहायता से सोते समय मरीज को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है।
- गंभीर स्थिति होने की स्थिति में मरीज को स्लीप सेंटर या अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है।
- लंबे समय ओएसए का समुचित इलाज नहीं किए जाने पर याददाश्त कमजोर होना, एकाग्रता की कमी और व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है।
इन दिनों काम काज के तनाव और अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण अधिकतर लोगों की नींद बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। यह समस्या शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के साथ कहीं अधिक है। असंतुलित दिनचर्या ने नींद की गुणवत्ता को काफी प्रभावित किया है। नींद न आना, सोते समय खर्राटे लेना या फिर बीच रात में नींद टूट जाना आदि नींद से जुड़ी कुछ साधारण समस्याएं हैं। इन सभी के बीच ओएसए यानी आब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि ओएसए का अभी तक सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन मेडिकल उपकरणों और दिनचर्या में सुधार करके इसकी गंभीरता को कम किया जा सकता है।
क्या है ओएसए की समस्या
ओएसए यानी आब्सट्रक्ट्रिव स्लीप एप्निया में सोते समय सांस नली के ऊपरी हिस्से में रुकावट आ जाती है, जिससे फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती और मरीज की सोते समय ही सांस उखड़ने लगती सोते समय बीच-बीच में कुछ देर के लिए सांस रुक जाती है। ऐसे मरीज सोते समय अचानक सांस लेना बंद कर देते हैं, गहरी सांस लेते हैं या फिर ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने पर नींद से जाग जाते हैं। ऐसे मरीजों को हिदायत दी जाती है कि उनकी सांस की मॉनिटरिंग करने के लिए परिवार का कोई न कोई सदस्य उनके पास अवश्य हो। यदि सही समय पर नींद की इस समस्या इलाज नहीं किया जाता है तो गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। लंबे समय ओएसए का समुचित इलाज नहीं किए जाने पर याददाश्त कमजोर होना, एकाग्रता की कमी और व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है।
क्या हैं बीमारी के लक्षण
ओएसए की समस्या से पीड़ित मरीज को कभी उसकी समस्या के बारे में तब तक पता ही नहीं चलता, जब तक कि परिवार के किसी सदस्य द्वारा उसे इसके बारे में बताया न जाए। शुरुआती लक्षणों में तेज आवाज के साथ खर्राटे, सोते समय ऑक्सीजन के लिए मशक्कत करना, सुबह सूखे हुए मुंह के साथ उठना, सुबह सिरदर्द बने रहना, गुणवत्तापरक नींद में कमी और दोपहर के समय नींद आना प्रमुख लक्षण हैं। इस समस्या को हाइपरइंसोमेनिया भी कहा जाता है। उपरोक्त सभी ओएसए के प्रारंभिक लक्षण माने जाते हैं।
क्या ओएसए का इलाज संभव है?
एक मेडिकल उपकरण जिसे सीपीएपी (कंटिन्यूअस पॉजिटिव एअरवेज प्रेशर) भी कहा जाता है की सहायता से सोते समय मरीज को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है या फिर गंभीर स्थिति होने की स्थिति में मरीज को स्लीप सेंटर या अस्पताल में भर्ती किया जाता है। सीपीएपी के माध्यम से ऑक्सीजन को मस्तिष्क और फेफड़ों की तरफ दवाब दिया जाता है। इसे एक मास्क के रूप में मरीज को सोते समय मुंह पर लगाना होता है, जिससे श्वांस नली पूरी तरह खुली रहती है और मस्तिष्क व फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारु रूप से होती रहती है। इस उपकरण की मदद से मरीज गुणवत्तापूर्ण नींद ले सकता है। हालांकि श्वांस नली के संकुचन को एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं से भी खोला जा सकता है, बावजूद इसके चिकित्सक ओएसए का सटीक इलाज दिनचर्या में समुचित बदलाव को ही मानते हैं।