Nanoship gaining popularity in Zen Z : पल भर की मुलाकात से ही खुश और संतुष्ट हैं जेन जी, नैनोशिप को दे रहे प्राथमिकता
Nanoship gaining popularity in Zen Z : पल भर की मुलाकात से ही खुश और संतुष्ट हैं जेन जी, नैनोशिप को दे रहे प्राथमिकता
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Wednesday, February 12, 2025
Updated On: Wednesday, February 12, 2025
Nanoship gaining popularity in Zen Z: जेन जी (Gen Z) के शब्दकोष से लेकर उनकी जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा है, जो हमें इस तेजी से बदलते दौर की झलक देता है. डेटिंग पहले भी होती थी, लेकिन इस पीढ़ी के डेटिंग का अंदाज बिल्कुल अलग है. तभी तो हाल के दिनों में सिचुएशनशिप (Situationship) एवं सिमर डेटिंग (Simmer Dating) की खूब चर्चा हो रही है. इसी कड़ी में डेटिंग का एक और तरीका जो तेजी से लोकप्रिय हुआ है, वह है नैनोशिप (Nanoship). आखिर क्या है ये नैनोशिप, जो जेन जी को इतना लुभा रही है?
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Wednesday, February 12, 2025
Nanoship gaining popularity in Zen Z: वैलेंटाइन वीक (Valentine week) चल रहा है. चारों ओर प्यार व संबंधों की बातें हो रही हैं. वायदे निभाने की कस्में खाई जा रही हैं. युवा इस दिन को खास बनाने के लिए तमाम प्रकार की प्लानिंग कर रहे हैं. लेकिन क्या नई पीढ़ी सच में अपने रिश्तों को लेकर गंभीर है या उन्हें फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स (Friends with benefit) का फॉर्मूला पसंद है. इसमें फायदे के लिए कोई मित्र या पार्टनर बनाने का चलन है. कहते हैं कि हर नई जेनरेशन के लिए रिश्ते एवं प्यार के अलग-अलग मायने होते हैं. किसी जमाने में दोस्ती के लिए मर-मिटने की बातें होती थीं. अब फायदे की दोस्ती का जमाना है. उसमें भावनाओं के लिए कोई खास जगह नहीं बची है.
नैनोशिप में नहीं होता कोई दबाव
अक्सर करके ट्रेन, बस या मेट्रो में सफर के दौरान या पार्टी में अनजाने लोगों से मुलाकात हो जाती है और दो पल के लिए कुछ हल्की-फुल्की बातें हो जाती हैं. इस बातचीत में न कोई उम्मीद छिपी होती है और न ही भविष्य के लिए कोई कमिटमेंट. लेकिन पल भर के लिए बना ये रिश्ता इन दिनों जेन जी को खूब लुभा रहा है. इसे नैनोशिप (Nanoship) का नाम दिया गया है. दरअसल, डेटिंप एप टिंडर द्वारा साल 2024 में जारी की गई ‘ईयर इन स्वाइप रिपोर्ट’ में पहली बार इस शब्द का उल्लेख हुआ. उसके बाद से यह काफी लोकप्रिय हो गया. इसमें आप अगर किसी से मुस्कुराकर हाय-हैलो या कुछ मिनट की बातचीत करते हैं, तो वह नैनोशिप कहलाता है. इसमें संबंध को आगे बढ़ाने का कोई दबाव नहीं होता. जिसे आप ठीक से जानते नहीं, उसके साथ बात करके भी क्षण भर के लिए खुशी का एहसास होता है.
संबंधों को लेकर सावधान हुए जेन जी
टिंडर (Tinder) की रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 34 साल के 8 हजार लोगों पर सर्वे किया गया था, जो सिंगल थे और डेट कर रहे थे. इन लोगों से बातचीत में पाया गया कि हर किसी के लिए रोमांटिक कनेक्शन बेहद मायने रखता है. रोमांस के इस छोटे से पल को नैनोशिप कहा गया. रिलेशनशिप एक्सपर्ट शिवांगी का कहना है कि जेन जी लंबे संबंधों से बचने लगी है. उनके अंदर कमिटमेंट को लेकर एक डर भी समा गया है. डेट पर जाना दिनों दिन महंगा और खर्चीला होता जा रहा. अगर कहीं ब्रेक अप हो जाता है, तो उसका भावनात्मक असर भी काफी गहरा होता है. दूसरा, वे लाइफ में हर पल कुछ नया करना चाहते हैं. फिर वह कोई रिश्ता ही क्यों न हो. इसलिए छोटी-सी, कुछ देर की मुलाकात भी उन्हें खुशी दे रही है.
सेल्फ-इस्टीम से लेकर कॉन्फिडेंस बढ़ा सकता है नैनोशिप
दरअसल, आज की युवा पीढ़ी अपने संबंधों पर खास ध्यान दे रही है. किसी भी रिलेशनशिप में बंधने से पहले वह सामने वाले के बारे में हर छोटी-बड़ी बात जान लेना चाहती है. इसलिए मेट्रो सिटीज में जेन जी के बीच नैनोशिप के अलावा सिमर डेटिंग (Simmer Dating) भी खूब पॉपुलर हो रही है. इसमें वे आराम से डेटिंग करते हैं. आराम से सामने वाले को समझते हैं. पूरा समय लेने के बाद ही रिश्ते को आगे ले जाने या न ले जाने पर फैसला लेते हैं. बहरहाल, अमेरिकी साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट कहती है कि जो युवा नैनोशिप को प्राथमिकता दे रहे हैं, उन्हें कुछ खास तरह के फायदे हो सकते हैं. उनका सेल्फ इस्टीम एवं कॉन्फिडेंस दोनों बढ़ सकता है.
युवा पीढ़ी को लुभा रही सिचुएशनशिप
जेन जी (जेड) के बीच एक और ट्रेंड काफी प्रचलित रहा है और वह है सिचुएशनशिप. यह डेटिंग का एक तरीका है, जिसमें दो लोग बिना किसी कमिटमेंट के साथ में रहते हैं. वे अपने रिश्ते को किसी नाम देने में विश्वास नहीं करते हैं और न ही उसके बारे में किसी को बताना चाहते हैं. अलग-अलग लोगों के लिए इसके मायने अलग हो सकते हैं. रिश्ते में कमिटमेंट न होने से एक-दूसरे को छोड़ना आसान होता है. नई पीढ़ी को वैसे भी अपनी आजादी से समझौता करना पसंद नहीं. वे अपने हिसाब से जीने में भरोसा करते हैं. रिलेशनशिप में यह संभव नहीं. वहां जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं. वायदे पूरे करने पड़ते हैं.
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