Waqf Amendment Bill 2024: आखिर क्या है वक्फ बोर्ड कानून? क्या है इसका दिल्ली से कनेक्शन? जानें क्या होता है ‘वकिफा’

Authored By: JP Yadav

Published On: Wednesday, April 2, 2025

Last Updated On: Wednesday, April 2, 2025

Waqf Amendment Bill 2024: आखिर क्या है वक्फ बोर्ड कानून? क्या इसका दिल्ली से कनेक्शन? और क्या होता है ‘वकिफा’
Waqf Amendment Bill 2024: आखिर क्या है वक्फ बोर्ड कानून? क्या इसका दिल्ली से कनेक्शन? और क्या होता है ‘वकिफा’

Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ बोर्ड संशोधन कानून 2024 (Waqf Amendment Bill 2024) का मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ महिलाओं को इन बोर्ड में शामिल करना है.

Authored By: JP Yadav

Last Updated On: Wednesday, April 2, 2025

Waqf Amendment Bill 2024 : भारत में वक्फ का इतिहास दिल्ली सल्तनत के शुरुआती दिनों से जुड़ा हुआ है जब सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद के पक्ष में दो गांव समर्पित किए. इसके बाद इसका प्रशासन शेखुल इस्लाम को सौंप दिया दिया, जैसे-जैसे दिल्ली सल्तनत और बाद में इस्लामी राजवंश भारत में फले-फूले भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या बढ़ती गई. दान के रूप में वक्फ संपत्तियां अल्लाह को दी जाती हैं, इसलिए भौतिक रूप से मूर्त इकाई की अनुपस्थिति में वक्फ का प्रबंधन या प्रशासन करने के लिए वक्फ द्वारा या किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा एक ‘मुतवल्ली’ नियुक्त किया जाता है. एक बार वक्फ के रूप में नामित होने के बाद, स्वामित्व वक्फ (वाकिफ) करने वाले व्यक्ति से अल्लाह को हस्तांतरित हो जाता है, जिससे यह अपरिवर्तनीय हो जाता है.

ऐसा रहा वक्फ का सफर

देश में वक्फ का अस्तित्व दिल्ली में सल्तनत के समय से चला आ रहा है. इतिहासकारों के मुताबिक, सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर यानी मुहम्मद ग़ोरी की ओर से मुल्तान की जामा मस्जिद को एक गांव समर्पित कर किया गया था. वर्ष 1923 में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान मुसलमान वक्फ अधिनियम इसे विनियमित करने की पहली कोशिश थी. इसके बाद आजादी के बाद वर्ष 1954 में भारत में वक्फ अधिनियम पहली बार संसद की ओर से पारित किया गया. फिर ठीक कई दशकों के बाद वर्ष 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदला गया. इसके तहत वक्फ बोर्डों को और ज्यादा शक्ति दी. यह भी कम हैरत की बात नहीं कि शक्ति में इस इजाफे के साथ अतिक्रमण और वक्फ संपत्तियों के अवैध पट्टे और बिक्री की शिकायतों भी बढ़ गईं. इसके बाद वर्ष 2013 में अधिनियम में संशोधन किया गया. इसमें वक्फ बोर्डों को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों का दावा करने के लिए असीमित अधिकार प्रदान किए गए. यह अच्छी बात है कि संशोधनों ने वक्फ संपत्तियों की बिक्री को असंभव बना दिया. यह एक तरह से मुश्किल काम भी था.

क्या है उद्देश्य ?

सामान्य भाषा में समझें तो वक्फ इस्लामी कानून दरअल, धार्मिक या फिर धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से समर्पित है. यह संपत्तियों को संभालने का काम करता है. अवधारणा है कि एक बार संपत्ति वक्फ के रूप में नामित होने के बाद यह दान करने वाले व्यक्ति से अल्लाह को ट्रांसफर हो जाती है. फिर इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता है.

जमीनों के मामले तीसरे नंबर पर है वक्फ बोर्ड

उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड सहित 32 वक्फ बोर्ड हैं, जबकि राज्य वक्फ बोर्ड का नियंत्रण लगभग 200 व्यक्तियों के हाथों में है. बताया जाता है कि रेलवे और रक्षा विभाग के बाद वक्फ बोर्ड कथित तौर पर भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक है. यह भी कहा जाता है कि देशभर में वक्फ बोर्ड 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं. कीमत बात करें तो यह 1.2 लाख करोड़ रुपये के करीब है.

क्या है वक्फ बिल

जानकारों का कहना है कि विधेयक संसद से पास हो गया तो यह कानून बन जाएगा. इसका फायदा यह होगा कि नए बिल के कानून बन जाने के बाद वक्फ की संपत्ति का विवाद सुलझाने में अब राज्य सरकारों को पहले से अधिक शक्तियां हासिल होंगी. अहम बात यह है कि इस कानून का असर पुरानी मस्जिदों, दरगाहों या मुसलमानों के धार्मिक संस्थानों पर नहीं पड़ेगा. सच बात तो यह है कि बिल में किए गए परिवर्तनों में वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्यों के अलावे अब बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति भी अनिवार्य होगी. इस पर सर्वाधिक एतराज है.

नए वक्फ बिल में क्या है?

5 वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को अपनी संपत्ति दान कर सकेगा. दान की जाने वाली संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद होने पर उसकी जांच के बाद ही अंतिम फैसला होगा. पुराने कानून की धारा 11 में संशोधन को भी स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य चाहे वह मुस्लिम हों या गैर मुस्लिम, उसे गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा. यह वजह है कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है.

क्या होता है वक्फ ?

उर्दू के जानकारों का कहना है कि ‘वक्फ’ अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है. इसका सामान्य सा अर्थ होता है- ठहरना या रोकना. अपनी प्रॉपर्टी वक्फ को देने वाला इंसान ‘वकिफा’ कहलाता है. अगर इसकी सही परिभाषा के बारे में बताया जाए तो इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी प्रॉपर्टी दान करता है तो इसे प्रॉपर्टी को वक्फ कर देना यानी रोक देना कहते हैं. अहम यह है कि दान स्वरूप चाहे कुछ रुपये हों प्रॉपर्टी हो. इसमें बहुमूल्य धातु के अलावा मकान और जमीन भी शामिल है. वक्फ में कहा है कि दान की गई इस प्रॉपर्टी को ‘अल्लाह की संपत्ति’ कहा जाएगा.

नहीं बेची जा सकती है वक्फ की जमीन

वक्फ की अवधारणा के मुताबिक, वकिफा द्वारा दान की गई या वक्फ की गई इन संपत्तियों को बेचने पर पाबंदी है. इसका इस्तेमाल धर्म के अलावा किसी और मकसद के लिए नहीं किया जा सकता. इस तरह की मान्यता है कि मुस्लिम धर्मगुरु पैगंबर मोहम्मद के समय 600 खजूर के पेड़ों का एक बाग था, जिसे सबसे पहले वक्फ किया गया था. इसके बाद इससे होने वाली कमाई से मदीना के गरीबों की आर्थिक मदद की जाती थी.

नजर आएंगे ये बड़े बदलाव

प्राथमिक उद्देश्य मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करना है, जो औपनिवेशिक युग का कानून है जो आधुनिक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए पुराना और अपर्याप्त हो गया है. निरसन का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है. इस प्रकार इस निरर्थक कानून के निरंतर अस्तित्व के कारण होने वाली विसंगतियों और अस्पष्टताओं को समाप्त करना है.

बढ़ेगी महिलाओं की भागेदारी

वक्फ बिल में प्रावधान किया है, इसके तहत वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री होगी. वक्फ बोर्ड में अब दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे. इतना ही नहीं, बोर्ड के सीईओ भी गैर मुस्लिम हो सकते हैं. विरोधी इस पर ही सबसे ज्यादा एतराज करते हैं. सरकार की ओर से दावा किया गया है कि कानून बदलकर वक्फ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाएगा. सेक्शन-9 और 14 में बदलाव का प्रस्ताव है, इसमें केंद्रीय वक्फ परिषद में 2 महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है. नए बिल में बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात भी कही गई है.

अपना कंट्रोल बढ़ाएगी सरकार

दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार कानून बदलकर वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कंट्रोल बढ़ाएगी. यह भी कहा जा रहा है कि वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में गैर-मुस्लिम एक्सपर्ट्स शामिल होंगे. इसके साथ ही सरकारी अधिकारियों से वक्फ के ऑडिट कराने से वक्फ के पैसे और संपत्ति का हिसाब-किताब ट्रांसपेरेंट होगा. अब CAG के जरिए केंद्र सरकार वक्फ की संपत्ति का ऑडिट करा सकेगी.

जिला मजिस्ट्रेट कर सकेंगे संपत्तियों की जांच

कानूनी बदलाव के लिए सरकार ने जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है. इसके मुताबिक राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं, लेकिन कानून में बदलाव के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी. कानून के अमल में आने के बाद वक्फ संपत्तियों और उसके राजस्व की जांच जिला मजिस्ट्रेट कर सकेंगे.

90 दिन के भीतर दी जा सकेगी चुनौती

नए कानून के मुताबिक, वक्फ ट्रिब्यूनल में अब 2 सदस्य होंगे. इसके साथ ही ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के अंदर स्थानीय हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेंगी. दोनों पक्षों का यह साबित करना होगा कि यह संपत्ति उनकी है.

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जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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