छिंदवाड़ा भी है भाजपा के निशाने पर

Authored By: Ruby Sarkar, Senior Writer and Journalist

Published On: Thursday, April 18, 2024

Updated On: Wednesday, April 24, 2024

chhindwara bhi hai bhajpa ke nishane par

भाजपा का इस बार का लक्ष्य है कि छिंदवाड़ा सीट भी भाजपा के पक्ष में आए और भाजपा मध्यप्रदेश की सभी सीटों पर विजय हासिल करें...

राजस्थान, गुजरात, हरियाणा की तरह मध्यप्रदेश भी भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे फिर से दोहराने की कोशिश में भाजपा लगी है। वहीं कांग्रेस के नेताओं में चुनाव का डर तो पहले से ही था, लेकिन इस बार तो हर सीट के लिए प्रत्याशी मिलना भी मुश्किल हो गया है। मध्य प्रदेश के पुराने दिग्गज प्रत्याशियों ने पहले से ही हथियार डाल दिए हैं क्योंकि वे 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पराजय देख चुके हैं। यही कारण है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भोपाल या बालाघाट से प्रत्याषी बनाने की चर्चा चली थी, लेकिन उन्होंने कह दिया है कि वे छिंदवाड़ा नहीं छोड़ेंगे। छिंदवाड़ा से उनके बेटे नकुलनाथ कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी हैं, लेकिन छिंदवाड़ा की स्थिति यह है कि कमलनाथ के सबसे करीबी नेता मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने भी कमलनाथ का साथ नहीं निभाया। अब कमलनाथ कांग्रेस में तो हैं, लेकिन अलग-थलग।

कमलनाथ ही क्यों, दिग्विजय सिंह ने भी कह दिया है कि अभी उनका राज्यसभा का कार्यकाल बाकी है, मतलब भोपाल, राजगढ़, गुना कहीं से भी वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इसी तरह कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को भोपाल, होशंगाबाद से लड़ाने पर विचार चल ही रहा था कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस के पूर्व विधायक विशाल पटेल इंदौर लोकसभा से कांग्रेस के संभावित दावेदार थे, उन्होंने भी कांग्रेस छोड़ी दी। संजय शुक्ला और पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक और बाद में कांग्रेस नेता बने अर्जुन पलिया, पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष रहे आलोक चंसोरिया, भोपाल नगर पालिक निगम के सभापति रहे कैलाश मिश्रा तथा योगेश शर्मा, अतुल शर्मा, सुभाष यादव, दिनेश ढिमोले, जसपाल सिंह अरोरा, अतर सिंह दरबार, पंकज संघवी जैसे कई बड़े दिग्गज हैं, जो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस की तरफ से मध्यप्रदेश के लिए लोकसभा प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की गई, उसमें 8 नाम नए हैं, जो आधे-अधूरे मन से चुनाव लड़ने के लिए उतर रहे हैं। इधर, पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। कांग्रेस पार्टी को जल्द ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करनी होगी। कांग्रेस के हाईकमान के दबाव में संभव है कि दिग्गज मैदान में उतरें।

वहीं, भाजपा ने मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भाजपा के जीतने का रिकार्ड शानदार रहा है। देश के अनेक बड़े-बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा गया है। भाजपा की सूची में 14 नए प्रत्याशियों के नाम हैं। इनमें मुरैना, ग्वालियर, सागर, भोपाल, दमोह, सीधी, जबलपुर, होशंगाबाद, रतलाम, विदिशा, गुना, बालाघाट, छिंदवाड़ा और धार शामिल हैं। जिन सीटों पर मौजूदा सांसदों को दोबारा टिकट दिया गया है, वे हैं भिंड (संध्या  राय), टीकमगढ़ (केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार), खजुराहो (प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा), सतना (गणेश सिंह), रीवा (जनार्दन मिश्रा), शहडोल (हिमाद्री सिंह), मंडला (केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते), राजगढ़ (रोडमल नगर), देवास (महेंद्र सिंह सोलंकी), मंदसौर (सुधीर गुप्ता), खरगोन (गजेंद्र पटेल), खंडवा (ज्ञानेश्वर पाटिल) और बैतूल (दुगार्दास उइके), इंदौर (शंकर) लालवानी) और उज्जैन (अनिल फिरोजिया)।

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा 400 पार की जुगत में अपने सहयोगियों की संख्या बढ़ाती जा रही है और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की न्याय यात्रा जहां-जहां से गुजरी, वहां से कोई न कोई बड़ा कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल होता चला गया। अब तो लोकसभा चुनाव के मिशन को पूरा करने के लिए भाजपा ने पहली बार मध्यप्रदेश के साथ जिला स्तर  पर जॉइनिंग कमेटी का गठन कर दिया है, जिसके राज्य स्तरीय कमेटी के मुखिया भाजपा के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा हैं।

दूसरी तरफ इंडि गठबंधन की कोई भूमिका मध्यप्रदेश में नहीं है, क्योंकि यहां सदैव भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है। हालांकि कांग्रेस ने एक सीट खजुराहो समाजवादी पार्टी को दी है। बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पहली सूची में मैहर से पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी को टिकट दिया है, जो सतना सीट से चुनाव लडेंगे। इसके साथ ही सूची में सात प्रत्याशियों के नाम हैं। इसमें खजुराहो से कमलेश पटेल, सीधी से पूजनराम साकेत, मंडला से इंदर सिंह उईके, छिंदवाड़ा से उमाकांत बंदेवार, मंदसौर से कन्हैयालाल मालवीय, बैतूल से अशोक भलावी के नाम सामने आए हैं।

रूबी सरकार पत्रकारिता क्षेत्र में सुपरिचित नाम हैं। पिछले ढाई दशकों से उन्होंने अलग-अलग शहरों व महानगरों के कोने -कोने में जाकर लोगों की आशा और आकांक्षाओं को पत्रकारिता की मुख्यधारा से जोड़ा है। उनकी लगन और साधना का विशेष प्रतिफल है कि अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया है।

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