क्यों चर्चा में है गढ़ीमाई मेला, जिसको लेकर मेनका गांधी ने नेपाल के उपराष्ट्रपति को लिखा पत्र

क्यों चर्चा में है गढ़ीमाई मेला, जिसको लेकर मेनका गांधी ने नेपाल के उपराष्ट्रपति को लिखा पत्र

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, December 5, 2024

Updated On: Thursday, December 5, 2024

gadhimai fair in nepal
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गढ़ीमाई मेला गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक सामूहिक बलि प्रथा के रूप में दर्ज है। यहां मेले के आरंभ में बनारस के डोम राज परिवार द्वारा 5100 पशुओं की बलि दी जाती है। गढ़ीमाई मेला नेपाल और भारत के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है, लेकिन इस परंपरा को लेकर पशु अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से विरोध कर रहे हैं।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Thursday, December 5, 2024

गढ़ीमाई मेला नेपाल के बारा जिले में हर पांच साल में आयोजित होने वाला धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। यह उत्सव गढ़ीमाई देवी के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें शक्ति और बलिदान की देवी माना जाता है।

महोत्सव की पृष्ठभूमि

गढ़ीमाई मेला मुख्य रूप से तराई क्षेत्र में स्थित गढ़ीमाई मंदिर में आयोजित होता है। इसकी शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई थी, जब गढ़ीमाई देवी की पूजा के लिए पहली बार इस मंदिर का निर्माण किया गया। इस उत्सव की जड़ें स्थानीय धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं में गहरी जुड़ी हुई हैं।

पशु बलि की परंपरा

गढ़ीमाई मेले में पशु बलि सबसे अधिक चर्चित परंपरा है। श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भैंस, बकरियां, कबूतर, सूअर, और मुर्गियों जैसे पशु-पक्षियों की बलि देते हैं। मेले की शुरुआत डोम राज परिवार द्वारा 5100 पशुओं की बलि से होती है। 2019 के मेले में लगभग 2.5 लाख पशुओं की बलि दी गई थी। यह उत्सव गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness Book of World Records) में सबसे बड़े सामूहिक पशु बलि के रूप में दर्ज है।

इस वर्ष मेले में 4 से 5 लाख पशुओं की बलि दी जाने का अनुमान है। 10 दिनों तक चलने वाले इस मेले में हर दिन 10 लाख से अधिक श्रद्धालु आने की संभावना है। भारत और नेपाल से बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं और मान्यता है कि मनोकामना पूरी होने पर पशु बलि दी जाती है।

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मेनका गांधी ने नेपाल के उपराष्ट्रपति को लिखा पत्र

भारत की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने नेपाल के उपराष्ट्रपति रामसहाय प्रसाद यादव (RamSahai Prasad Yadav) को पत्र लिखकर बारा जिले के गढ़ीमाई मेले में शामिल न होने की अपील की है। यह मेला हर पांच साल में आयोजित होता है और इसमें पशु बलि की प्रथा का आयोजन किया जाता है।

मेनका गांधी के प्रेस सलाहकार दिनेश यादव ने बताया कि यह पत्र गढ़ीमाई मेले में पशु बलि कार्यक्रम से पहले भेजा गया है। गढ़ीमाई मंदिर उपराष्ट्रपति यादव के गृह क्षेत्र में स्थित है, और वे 7 दिसंबर को मेले के उद्घाटन समारोह में बतौर प्रमुख अतिथि शामिल होने वाले हैं। मेनका गांधी ने अपने पत्र में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश का हवाला देते हुए यादव से इस कार्यक्रम में शामिल न होने का अनुरोध किया। उन्होंने लिखा कि यदि उपराष्ट्रपति इस आयोजन में शामिल होते हैं, तो यह दर्दनाक और संगठित तरीके से पशु बलि की प्रथा को बढ़ावा देगा, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।

नेपाल सुप्रीम कोर्ट का 2019 का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में गढ़ीमाई मेले में पशु बलि को तुरंत रोकने से इनकार किया था, लेकिन निर्देश दिया था कि इस प्रथा को धीरे-धीरे कम किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि चूंकि यह धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित करना लोगों की भावनाओं को आहत कर सकता है। हालांकि, आदेश के बावजूद 2019 में लगभग 2.5 लाख पशु-पक्षियों की बलि दी गई।

मेनका गांधी का बयान

अपने पत्र में मेनका गांधी ने लिखा, “मैं नेपाल की सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करती हूं, लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि मानव संवेदनशीलता और करुणा हमारी सभ्यता के मूल सिद्धांत हैं। हमें इसे संरक्षित करने की वैश्विक सहमति का पालन करना चाहिए।”

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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