ममता बनर्जी के प्रस्ताव को बताया मानवाधिकारों का उल्लंघन, चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत नहीं

ममता बनर्जी के प्रस्ताव को बताया मानवाधिकारों का उल्लंघन, चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत नहीं

Authored By: सतीश झा

Published On: Tuesday, December 3, 2024

mamata banerjee and chinmay krishna das brahmchari
mamata banerjee and chinmay krishna das brahmchari

इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक बल भेजने के प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। संगठन के नेता खैरुल अहसान ने इसे "मानवाधिकारों और वास्तविकता के विरुद्ध" बताते हुए खारिज किया और इसे भारतीय साजिश का हिस्सा करार दिया।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Tuesday, December 3, 2024

देशद्रोह और अन्य गंभीर आरोपों में जेल में बंद हिंदू संत और इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी (Chinmoy Krishna Das Brahmachari) को मंगलवार को भी जमानत नहीं मिल सकी। बांग्लादेश के चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस के एडीसी (अभियोजन) मोफिजुर रहमान ने बताया कि जमानत याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 2 जनवरी की तारीख तय की।

38 वर्षीय चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को 25 नवंबर को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा ने हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया था। तब से वह जेल में हैं। इस बीच, अदालत में उनके पक्ष में कोई वकील उपस्थित नहीं हो पाया, जिससे उन्हें राहत नहीं मिल सकी।

मंगलवार को जारी एक बयान में खैरुल अहसान (Khairul Ahsan) ने कहा कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का यह प्रस्ताव “मानवता और वास्तविकता से परे” है। उन्होंने इसे निर्मम और अवैध कदम बताते हुए दावा किया कि यह भारतीय सरकार की बांग्लादेश के खिलाफ चल रही साजिशों का हिस्सा है।

खैरुल अहसान ने बांग्लादेश की जनता और सरकार से अपील की कि वे इस कथित हस्तक्षेप और साजिश के खिलाफ सतर्क रहें। उन्होंने भारत पर बांग्लादेश की स्थिरता को कमजोर करने के प्रयासों का आरोप लगाया और सभी पक्षों से इस तरह की कोशिशों को रोकने के लिए एकजुट प्रयास करने का आह्वान किया। इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और परस्पर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति पर भी चर्चा तेज हो गई है।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, बांग्लादेश हाई कोर्ट में भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की याचिका दायर की गई है। वकील इखलास उद्दीन भुइयां द्वारा दायर याचिका में भड़काऊ समाचार और सामग्री का हवाला दिया गया है। याचिका में विशेष रूप से स्टार जलसा, स्टार प्लस, ज़ी बांग्ला, और रिपब्लिक बांग्ला चैनलों का उल्लेख किया गया है।

याचिका की सुनवाई जस्टिस फातिमा नजीब और जस्टिस सिकदर महमूदुर रजी की पीठ कर सकती है। सूचना और गृह मंत्रालय के सचिव और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग सहित कई संस्थानों को याचिका में पक्षकार बनाया गया है। यह घटनाक्रम बांग्लादेश और भारत के बीच मीडिया और धार्मिक विषयों को लेकर बढ़ते तनाव को उजागर करता है।

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य खबरें