US President Election 2024 : चुनावी प्रचार में हर दिन पहले से अधिक ताकत झोंक रहे हैं कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, November 4, 2024

kamala harris and donald trump us president election

संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के अंतिम चरण में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी ताकत लगा दी है। दोनों नेता मतदाताओं को अपने-अपने पाले में खींचने के लिए अलग-अलग अंदाज में अपील कर रहे हैं।

द न्यूयॉर्क टाइम्स (The New York Times) के मुताबिक, कमला हैरिस (Kamala Harris) ने रविवार को मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में एक रैली को संबोधित किया। उन्होंने मतदाताओं से एकता बनाए रखने की अपील की और सभी को साथ मिलकर काम करने का संदेश दिया। हैरिस ने यहां अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का नाम नहीं लिया और गाजा में जारी युद्ध को समाप्त करने का वादा किया।

ट्रंप की आलोचना और नाराजगी

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने पेंसिल्वेनिया की तुलना में मैकॉन की रैली में सर्वेक्षणों पर निराशा जाहिर की। उन्होंने जॉर्जिया में आयोजित रैली के दौरान उत्तरी कैरोलिना में आए तूफान हेलेन को लेकर संघीय सरकार की आलोचना की। ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन पर प्रवासियों के लिए आपदा निधि खर्च करने को लेकर भी निशाना साधा।

न्यूयॉर्क के 42 ब्रॉडवे पर मतदाताओं का उत्साह

इस बार न्यूयॉर्क का 42 ब्रॉडवे चर्चा में है, जहां निर्वाचन बोर्ड का दफ्तर स्थित है। पहले दिन यहां करीब एक लाख 40 हजार लोगों ने मतदान किया। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के इलेक्शन लैब ट्रैकर के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में अब तक 6.8 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं।

पूरी दुनिया की नजर है इस चुनाव पर

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों में गहरे विभाजन ने वैश्विक परिदृश्य में बड़े बदलावों की संभावनाएं पैदा कर दी हैं। इस विभाजन ने चीन के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत किया है, जिससे वह अमेरिका की जगह नई वैश्विक व्यवस्था और मौद्रिक वित्तीय प्रणाली का संचालनकर्ता बनने की ओर कदम बढ़ा सकता है। चीन की हान सभ्यता का ऐतिहासिक दृष्टिकोण, जिसमें वह दुनिया की धुरी बनने का सपना देखता है, अब उसे वास्तविकता में बदलने का मौका मिल सकता है। आर्थिक, सैन्य, और राजनीतिक ताकत में शीर्ष पर पहुंचने का यह स्वर्णिम अवसर चीन के सामने है।

इस स्थिति से तीसरे महायुद्ध और सभ्यताओं के संघर्ष का खतरा मंडरा रहा है, जो पृथ्वी के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। इसी बीच, जलवायु परिवर्तन के खतरों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती। स्पेन के वेलेंसिया में हाल ही में आठ घंटे की बारिश से आई तबाही ने विकसित देशों को भी भयभीत कर दिया है। वेलेंसिया जैसे संपन्न इलाके में पानी में बही कारों और मलबे के ढेर ने यह चेतावनी दी है कि जलवायु आपदाओं से कोई सुरक्षित नहीं है, चाहे वह कितना भी समर्थ क्यों न हो।

भारत और दक्षिण एशिया में भी इस साल अतिवृष्टि, बाढ़ और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा, लेकिन यहां के लोग इसके आदी हैं, इसलिए उतना विचलित नहीं हुए जितना यूरोप हुआ। जलवायु परिवर्तन के लगातार बढ़ते प्रभाव से यह साफ हो गया है कि अगर पृथ्वी इसी तरह गर्म होती रही और मानवता को इन बदलावों से लड़ना पड़ा, तो सदी के अंत तक हमारा भविष्य बहुत कठिन हो सकता है। इसके बावजूद, इस मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर गंभीरता की कमी साफ दिखाई देती है।

About the Author: सतीश झा
समसामायिक मुद्दों पर बीते दो दशक से लेखन। समाज को लोकदृष्टि से देखते हुए उसे शब्द रूप में सभी के सामने लाने की कोशिश।

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